07 August 2021

जिंदगी ऐसी भी हो सकती है | दिल को छूने वाली कहानी

जिंदगी ऐसी भी हो सकती है

जिंदगी ऐसी भी हो सकती है





मनुष्य के जीवन में अनेक परिवर्तन होते रहते हैं। जीवन बीमा बाजार के इस लेख में इन बदलावों पर आधारित एक दिल को छू लेने वाली कहानी पेश की जा रही है। इस कहानी का आनंद लेने के लिए हम अपने पाठकों से अनुरोध करते हैं कि इस लेख को एकांत में ही पढ़ें और कहानी के दृश्यों को महसूस करने की कोशिश करें।



दिल को छूने वाली कहानी

यह कहानी अखिलेश की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद अखिलेश ने एक अच्छी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। अखिलेश की नौकरी लगते ही उनके घर शादी करने के लिए लोग आने लगे। माता-पिता ने भी एक अच्छी और सुशील लड़की देखकर शादी तय कर दी।


अखिलेश अपनी पत्नी और माता-पिता के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहा था। शादी के करीब 2 साल बाद अखिलेश के घर एक खूबसूरत कन्या ने जन्म लिया। बहुत दिनों बाद घर में नन्हा मेहमान आया था। इस कारण पूरे घर में खुशियों का माहौल बन गया था।


छोटी बच्ची के जन्म लेते ही अखिलेश को उसके जॉब में प्रमोशन मिल गया। लेकिन साथ ही उसका ट्रांसफर भी हो गया। अखिलेश अपने माता-पिता की अकेली संतान था। जिसकी वजह से वह अपने माता-पिता से दूर जाकर कोई काम नहीं करना चाहता था। अखिलेश ने कई बार अपने माता-पिता को साथ चलने के लिए कहा। लेकिन, पिता ने पैतृक घर छोड़ने से इनकार कर दिया।


अंत में, अखिलेश अपने पत्नी और बिटिया के साथ शहर चला आया और अपनी जॉब करने लगा। जब अखिलेश की आमदनी बढ़ी तो उनकी जरूरतें भी बढ़ीं।ऑफिस से घर आने जाने के लिए अखिलेश में एक बेहतरीन चार पहिया गाड़ी खरीद ली। कुछ सालों बाद बेटी का दाखिला अच्छे स्कूल में करा दिया। धीरे-धीरे अखिलेश ने अपने घर में सुख-सुविधा के सारे साधन उपलब्ध करा दिए। घर में हर तरफ सिर्फ खुशियां ही खुशियां थीं।


महीने दो महीने पर अखिलेश अपनी पत्नी और बेटी के साथ गांव जाकर, अपने माता-पिता से भी मिल आता था। माता-पिता की जरूरत का सारा सामान मुहैया कराकर वापस नौकरी पर लौट जाता था। अखिलेश ने गांव के आस-पास के दुकानदार, मेडिकल स्टोर और दूसरे जरुरी जगहों पर कह रखा था कि माता-पिता के जरुरत के सामान उपलब्ध करवा दें। अतः वह जब भी लौटता था सभी से मिलने जरूर जाता था।


घर में हर तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ थी। पड़ोसियों को उनके घर से हसी और ख़ुशी की बातें ही सुनाई दिया करती थी। अतः कुछ लोगो को जलन भी हुआ करती थी।


एक दिन की सुबह अखिलेश को उसके ऑफिस से फोन आया। बातचीत के दौरान अखिलेश काफी परेशान नजर आए आ रहा था। पत्नी रेणु ने पति के परेशान होने का कारण पूछा। अखिलेश ने रेनू की बातों को यह कह कर टाल दिया कि, "ऑफिस में बहुत जरूरी काम है। अतः मैं तुरंत ऑफिस जा रहा हूं, शाम को लौटता हूं तब बातें होंगी।"


ऐसा कह कर अखिलेश अपनी गाड़ी निकालता है और तेजी से चला जाता है। रास्ते में जाते समय गाड़ी की तेज गति के कारण वह अपनी गाड़ी का संतुलन खो बैठता है। जिसके कारण गाड़ी की दुर्घटना हो जाती है। दुर्घटना इतनी घातक होती है, कि उसी स्थान पर उसकी मृत्यु हो जाती है।


अब एक एंबुलेंस आकर घर के सामने खड़ी हो जाती है। पुलिस आपस में बहस करने लगती है कि परिवार के सदस्यों को यह दुखद समाचार कौन देगा। आखिर पुलिस ने दरवाजा खटखटाया। कुछ ही देर में पत्नी रेनू घर से बाहर दरवाजे पर आ जाती है। पुलिस ने हादसे की जानकारी पत्नी को दी और बताया कि मृतक का शव एंबुलेंस के अंदर पड़ा है।


इस दर्दनाक सदमे से पत्नी और बेटी दोनों चीख पड़ीं और पत्नी बेहोश हो गई। दोनों ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी, कि एक ऐसा भी दिन आएगा जिसका सामना उन्हें करना इस प्रकार करना पड़ेगा।


कुछ हफ्ते बाद ही पड़ोसियों ने देखा कि उसी घर के सामने एक बड़ी लॉरी रुकी हुई है। यह लारी स्थानीय फर्नीचर की दुकान से आई थी। लॉरी में सवार लोगों ने एक सोफा सेट, डाइनिंग टेबल, एक अलमारी और यहां तक कि एक डबल बेड भी ले लिया। पड़ोसी समझ चुके थे कि यह जितने भी सामान है यह आसान किस्तों में जमा करने वाली योजनाओं से लिए गए होंगे।


इस घटना के कुछ हफ्ते बाद ही पड़ोसियों ने एक और नज़ारा देखा। चार हट्टे-कट्टे गुंडे जैसे दिखने वाले आदमी विधवा के घर आए। वह विधवा जो अब शायद ही कभी पड़ोसियों को दिखती थी। आज वह कुछ अनजान आदमियों से बात कर रही थी।


उन चार हट्टे-कट्टे लोगों ने, उसे कागज का एक टुकड़ा दिखाया। दूर से देखने पर वह कोई पत्र जैसा दिखाई दे रहा था। उन चार लोगों ने, उसके पति की कार की तरफ इशारा किया। विधवा पत्नी ने कार की चाबी उन लोगों को दे दी और फिर घर के अंदर चली गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।


उन चारों ने गाड़ी को थोड़ा सा धक्का लगा कर स्टार्ट किया और उसे लेकर चले गए। पड़ोसियों ने अनुमान लगाया कि ये चारों किसी फाइनेंस कंपनी से आए होंगे। हो सकता है कि आखिरी की कुछ किश्तें जमा न हुई हों, जिसके चलते वे गाड़ी लेकर चले गए हों।


कुछ दिनों के बाद उस विधवा को अखबार वाले से बात करते हुए सुना गया। बेचारी इतनी दुबली हो गई थी कि अब उसे पहचानना भी मुश्किल हो रहा था। जिसने भी उसे पहले कभी देखा था, यदि दोबारा देख ले तो उसका हृदय फट जाये। ना वह किसी से बोलती थी और ना ही उसकी छोटी बेटी। अब तो नन्ही बेटी अपनी किसी सहेली के साथ खेलने भी नहीं जाती थी।


विधवा ने बहुत धीमी आवाज में अखबार वाले को समझाना चाहा। क्योंकि बात ही कुछ ऐसी थी। पर वह पत्थर दिल अखबार वाला तकाजे पर उतर आया। अचानक विधवा ने उसे रुकने को कहा और घर के अंदर चली गई। पड़ोसियों ने कुछ कांच या प्लास्टिक जैसी चीज़ के टूटने की आवाज सुनी और साथ ही बच्ची के जोर जोर से रोने की आवाज सुनाई पड़ने लगी।


मां मेरे पैसे मत लो, बच्ची इस तरह से आवाज करते हुए रो रही थी। जाहिर था, माँ ने बच्ची का गुल्लक तोड़ दिया था। बेचारी ने सिक्को में अखबार वाले का बिल चुकाया।


इसके बाद किसी ने भी उस विधवा को दुबारा नहीं देखा। अब तो वह विधवा अजनबीयों से बुरी तरह से खबरा जाती थी। इसलिए उसने अपने आप को घर के अंदर बंद कर लिया था। छोटी बच्ची भी अब न तो पड़ोसियों के घर जाती थी और न ही खेल के मैदान में जाती थी। बेचारी छोटी बच्ची शायद अपनी सहेलियों के लिए तड़पती थी। अब तो मोहल्ले का आइसक्रीम वाला भी उस छोटी गुड़िया को बहुत याद करता था।


एक दोपहर मोटरसाइकिल पर बैठा एक व्यक्ति उसी घर के सामने रुका। उस आदमी ने भी घर का दरवाजा खटखटाया। काफी कोशिशों के बावजूद अंदर से कोई हलचल नहीं हुई। वह व्यक्ति इधर उधर देखने लगा। उसने देखा, पड़ोसियों की कई जोड़ी आँखें उसे घूर रही थीं। सारे पडोसी एक स्वर में हाथ हिला कर कह रहे थे, "घर में कोई नहीं है"।


उस व्यक्ति को दाल में कुछ काला सा लगा। इसलिए उसने एक पड़ोसी के घर में जाकर अपना परिचय दिया, "मैं जीवन बीमा एजेंट हूँ। मैं विधवा को उसके पति के बीमे का पच्चीस लाख रुपए का चेक देने आया हूँ और मैं उस विधवा से मिलना चाहता हूँ।"


यह सुनकर पड़ोसन घर के पिछवाड़े से भागी-भागी विधवा के घर चली गई और कहा- जल्दी से दरवाजा खोलो। किसी बीमा कंपनी की ओर से तुम्हारे दरवाजे पर कोई देवदूत आया है। शायद भगवान ने तुम्हें मुसीबतों से उबारने के लिए उसे भेजा है।


इसके बाद पलक झपकते ही दरवाजा खुल गया। एजेंट को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि यह वही महिला है। जिससे वह एक साल पहले मिला था। अब तक घर के बाहर पड़ोसियों की भीड़ लग गई थी।


एजेंट ने कहा- अब आप यह मत कहिएगा कि आप मुझे नहीं जानती हैं। याद है मैंने आपके घर में बैठकर एक कप चाय पी थी। मैं आपके पति को पॉलिसी बेचना चाहता था। परंतु आपने इसका बार-बार विरोध किया था। आप नहीं जानतीं कि मैं अगले दिन भी आपके पति से मिला था और मैंने उनके जीवन पर पच्चीस लाख रुपये की जीवन बीमा पॉलिसी बेचा था। वह पॉलिसी अभी भी जीवित अवस्था में है।


क्षमा कीजिएगा मैं इतना विलंब करके आया हूँ। परंतु मुझे इस दुखद घटना के विषय में कोई जानकारी नहीं थी। आपके पति ने मुझसे कहा था कि मैं इस बीमे की बात आपसे ना बताऊं और इसको राज ही रखु। आप चिंता ना करें, जाने वाले को तो हम नहीं ला सकते, परंतु अब इन बीमे के पैसो से आप अपनी जिम्मेदारीयो से जुझ सकती हैं।



दोस्तों मैं कुछ कहना चाहता हूँ-

दोस्तों, हो सकता है कि बीमा खुशियां ना खरीद सके, परंतु बीमे का ना होना खुशियों को जरूर नष्ट कर सकता है। यदि आप जीवन बीमा नहीं करवाते लेते हैं, तो आपका परिवार हरगिज भूख से नहीं मरेगा। परंतु, यदि आप बीमा करा लेते हैं, तो आपके ना रहने की स्थिति में, आपके परिवार को आपकी जिम्मेदारियों से और अपनी मजबूरियों से लड़ने में जरूर सहायता प्राप्त होगी।


मैं ईश्वर को बहुत धन्यवाद देता हूँ। जो उसने मुझे इस प्रकार का पवित्र कार्य दिया है। एक व्यक्ति अपने परिवार को छोड़कर चला जाता है। तब हमारे जैसा कोई जीवन बीमा अभिकर्ता, अपने कंपनी की सहायता से, उस परिवार की मदद करता है।


चुकी, जीवन बीमा का व्यवसाय ऐसा कार्य है, जिसमें एक अभिकर्ता को घर-घर जाकर, लोगों को बीमे के लाभों को समझाना होता है। एक जीवन बीमा अभिकर्ता (एजेंट) को समाज में, कई तरह के लोगों का सामना करना पड़ता है। काफी ऐसे लोग भी हैं, जो बीमा अभिकर्ता को तिरस्कार की नजर से देखते हैं।


ऐसे लोग जीवन बीमा अभिकर्ता को सुनना या मिलना भी पसंद नहीं करते है। एक जीवन बीमा अभिकर्ता का हमेशा यह प्रयास होता है कि ऐसे लोगों को भी वह अपनी बातें समझा सके।


काफी ऐसे लोग भी होते हैं जो अभिकर्ता के विषय में सोचते हैं कि अभिकर्ता का उद्देश्य सिर्फ कमीशन कमाना होता है। तो मेरे अजीज दोस्त, दिल से कहता हूँ, बात सिर्फ कमीशन की नहीं होती है। बात तो होती है, आपके और आपके परिवार के हितों की और आपके अपने सपनों की।


मै आप सभी से विनम्र निवेदन करता हूँ कि आप एक अच्छी जीवन बीमा पालिसी करवा लें। ताकि आपके परिवार को ऐसी किसी परिस्थितियों का सामना करने मे सहायता मिल सके।


कुछ अन्य उपयोगी लिंक्स -















4 comments:

  1. I'm proud of you Sir... Very well done !!
    You're great...
    It's a great story for everyone!!

    ReplyDelete
  2. Great heart touching story sir ji
    Thanks a lot
    Pranav
    Saran Bihar

    ReplyDelete

Please do not enter any spam link in the comment box.