28 June 2021

बैंकिंग फ्रॉड से कैसे बचे | बैंकिंग फ्रॉड की घटना

बैंकिंग फ्रॉड से कैसे बचे

बैंकिंग फ्रॉड से कैसे बचे





भारतीय समाज बैंकिंग सेवाओं से जुड़े लोगों पर काफी भरोसा करता है। इस ट्रस्ट को बनाने में सभी बैंकिंग कर्मचारियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से बैंक खाताधारकों की ओर से कुछ ऐसी शिकायतें जरूर आ रही हैं। जो इस भरोसे पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।


सोशल मीडिया के जरिए ऐसी कुछ शिकायतें हमारे संज्ञान में भी आई हैं। ये शिकायतें क्या हैं और ऐसी समस्याओं से बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं? जीवन बीमा बाजार के इस लेख में बताया जा रहा है।



बैंकिंग धोखाधड़ी-

भारत ने अपनी बैंकिंग प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए तेजी से प्रयास किए हैं। जैसा कि भारतीय समाज ने इंटरनेट को अपनाना शुरू किया है, लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय बैंकों ने इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधाएं शुरू की हैं।


लेकिन जिस रफ्तार से भारतीय समाज ने ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली को स्वीकार करना शुरू किया है। उसी रफ्तार से तमाम तरह के ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड की संख्या भी काफी बढ़ गई है।


कभी इनाम के नाम पर, कभी मेडिकल सुविधाओं के नाम पर, कभी किसी विशेष सर्विस के नाम पर भारतीय समाज लगतार बैंकिंग धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है। हालाँकि इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए भारत सरकार कड़े कदम उठा रही है। लेकिन जब तक सामान्य भारतीय समाज अपने ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं के प्रति सजग और जागरूक नहीं होगा। तब तक इस ठगी को पूरी तरह से रोक पाना बहुत मुश्किल कार्य साबित होगा।


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े-

यदि समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित रिपोर्टों को आधार माना जाए। तो, भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2018-2019 में 71750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। वर्ष 2019-2020 में यह धोखाधड़ी 1.85 करोड़ रुपये की हुई थी।


जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने साल 2020-2021 के अपने आंकड़े पेश किए। तो उसे देखने पर पता चलता है कि वर्ष 2020-2021 की अवधि में 1.35 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की हुई है। ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं और मुझे यकीन है कि ऐसे और भी कई मामले होंगे, जो रिपोर्ट के अभाव में प्रकाश में नहीं आया होगा।


एक बैंक कर्मचारी द्वारा किये गए धोखाधड़ी का मामला-

एक खाताधारक अपने बैंक जाता है, ताकि वह एक नया आरडी या सावधि जमा खाता शुरू कर सके। कई मामलों में बैंक के खाताधारकों द्वारा यह शिकायत की गई है कि बैंक कर्मचारी ने उनसे बैंक में नया आरडी खाता खोलने या नई सावधि जमा शुरू करने के लिए हस्ताक्षर करवाए, लेकिन उन्हें नई आरडी या सावधि जमा नहीं दी गई। जमा खाता। इसकी जगह कोई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी या यूलिप प्लान दिया गया।


एक बार ऐसी जीवन बीमा पॉलिसी या यूलिप पॉलिसी जारी हो जाने के बाद खाताधारक कुछ नहीं कर सकता। जीवन बीमा पॉलिसी या यूलिप पॉलिसी को या तो नहीं तोड़ा जा सकता है या समय अवधि से पहले तोड़ने पर खाताधारक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। खाताधारक को जब तक इसकी जानकारी होती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।


ऐसा ही एक मामला सोशल मीडिया के जरिए हमारे संज्ञान में भी आया है। समस्या क्या है? इसके लिए मैंने आपके लिए एक वीडियो तैयार किया है। आप इस पूरे वीडियो को ध्यान से देखें। ताकि जरूरत पड़ने पर आप सोच-समझकर फैसला ले सकें।





नया खाता खोलते समय बरतें सावधानी-

मुझे आशा है कि आपने उपरोक्त वीडियो को देखा होगा और पूरे बिंदु को समझ लिया होगा। अगर शिकायत सही है तो निश्चित तौर पर बैंक कर्मचारी ने गलत किया है. लेकिन क्या आप सिर्फ बैंक कर्मचारी को ही गलत कहेंगे? क्या वीडियो में शिकायत करने वाले की कोई गलती नहीं है।


इसका सबसे आसान उपाय यह है कि जब भी आप किसी तरह का निवेश करने का फैसला करें। तो आपको उस निवेश के बारे में पूरी जानकारी जरूर प्राप्त कर लेनी चाहिए। किसी भी तरह का निवेश करने से पहले संबंधित संस्था एक फॉर्म भरने के लिए देती है। उस फॉर्म को खुद भरने की कोशिश करें और उसके नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।


बैंकों से प्राप्त वन टाइम पासवर्ड (OTP) किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बताना चाहिए, चाहे कितनी भी बड़ी आवश्यकता क्यों न हो। जरूरत पड़ने पर बैंक पहुंचकर मैन्युअली अपना काम पूरा करें।


अगर आप ऊपर बताए गए तरीकों को अपनाते हैं तो आप ऐसी कई समस्याओं से आसानी से बच सकते हैं।


कुछ अन्य उपयोगी लिंक्स -















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