20 August 2021

रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों

रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों

रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों





मनुष्य भौतिक सुख-सुविधाओं की चीजें बड़ी आसानी से खरीद लेता है। लेकिन वह बचत के लिए उतना ही टालमटोल करता रहता है। बचत की यह लापरवाही प्रतिकूल वातावरण में व्यक्ति के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर देती है। फिर भी मनुष्य बैंकों में पैसा जमा करने के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन जब बात जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने की आती है तो वह और भी पीछे हट जाता हैं।


मनुष्य अपने जीवन में बच्चो की जरूरतों को दिल से पूरा करता है। पत्नी की जरूरतों को और परिवार की दूसरी जरूरतों को भी पूरा करता है। लेकिन जब भी बुढ़ापे के लिए बचत करने की बारी आती है, उसे दूसरी जरूरते नज़र आने लगती है।


वृद्धावस्था मनुष्य के लिए एक बड़ी चुनौती होती है, यदि मनुष्य के पास वृद्धावस्था में धन का अभाव हो। तो उसका भविष्य बहुत कष्टमय हो जाता है। तो जीवन बीमा बाजार के इस लेख में हम रिटायरमेंट प्लानिंग के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझेंगे।



रिटायरमेंट लाइफ क्या होती है

रिटायरमेंट लाइफ क्या होती है, इसकी जानकारी मैं एक काल्पनिक घटना के जरिये प्रस्तुत कर रहा हूँ। मुझे यह पुरा भरोसा है कि आप इस काल्पनिक घटना को अपने आस-पास जरूर महसूस करेंगे।


मृत्युंजय एक कम्पनी में काफी लम्बे समय से कार्य कर रहे थे। अब उनके रिटायरमेंट का समय करीब था। मृत्युंजय की कुल चार संताने थी। सबसे पहली संतान जिसका नाम राघव था। दूसरी बिटिया जिसका नाम रीना था। तीसरी और चौथी संताने जिनका नाम सुरेंद्र और अनुज था।


मृत्युंजय ने अपनी कार्य अवधि के दौरान ही चारों बच्चों की शादी विवाह करवा दिया था। बड़ा बेटा राघव अपने किराने की दुकान से अपने पत्नी और दो बच्चो की जरूरतों को पूरा कर रहा था। बेटी रीना अपने ससुराल में खुशहाल थी। तीसरा बेटा सुरेन्द्र रेलवे में जॉब कर रहा था और वह भी अपने पत्नी और बच्चो के साथ खुशहाल था। चौथा बेटा अनुज अभी रोजगार की तलाश कर रहा था। चौथे बेटे की जरूरते मृत्युंजय स्वम ही पूरा कर रहे थे।


आज मृत्युंजय की नौकरी का आखिरी दिन था। इसलिए ऑफिस वालों ने एक छोटी सी विदाई समारोह का आयोजन किया था। समारोह की समाप्ति के बाद कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने मृत्युंजय के कंधों पर एक सुंदर शाल पहनाई और ₹25 लाख का चेक दिया।


सब बहुत खुश थे। मृत्युंजय भी अपनी रिटायरमेंट लाइफ को लेकर काफी खुश थे। उसके दिल में यह बात भी चल रही थी कि तीन बच्चों के साथ उसका बुढ़ापा अच्छे से गुजरेगा। कुछ भाषणों के बाद, समारोह समाप्त हो गया और मृत्युंजय बाहर आ गए। आज तीनो बच्चे चार पहिया गाड़ी लेकर अपने पिता को रिसीव करने के लिए गए थे। पिता तीनो बच्चो के साथ गाड़ी में बैठकर घर चले आये।


अब मृत्युंजय की मस्त लाइफ की शुरुआत हो गई। घर में कोई भी निर्णय लेना हो, उसका राय मसौरा सबसे पहले पिता जी से लिया जाने लगा। घर में बनी चाय अथवा नास्ता सबसे पहले पिता जी को दिया जाने लगा। मतलब, मृत्युंजय ने जैसा रिटायरमेंट सोचा था, उससे भी कहीं बेहतर हो रहा था।


ऐसे ही कुछ महीने व्यतीत हो गए। अब एक ऐसा समय आया, जब राघव को उसकी बेटी का एडमिसन इंजीनियरिंग कॉलेज में कराना था। जिसके लिए पांच लाख रूपये की फीस जमा करनी थी। राघव और उसकी पत्नी आपस में बेटी के एडमिशन के लिए बातचीत करने लगे। लेकिन उन्हें कोई रास्ता नहीं दिख रहा था।


राघव की पत्नी ने अपने पति से कहा कि एडमिशन की फीस के लिए वह पिता जी से बात करे। राघव को भी यह सुझाव पसंद आ गया। उसने निश्चय किया कि अगले दिन सुबह वह इस सन्दर्भ में पिता जी से बात करेगा।


दूसरे दिन सुबह के समय जब पिता जी चाय पी रहे थी। उसी समय राघव ने पिता जी से बिटिया के एडमिशन की बात कही।


राघव- "पिता जी, आपकी पोती ने इंजीनियरिंग की परीक्षा पास कर ली है। अब उसका एडमिशन कराना है। एडमिशन के लिए पांच लाख रूपये की जरुरत है। पिता जी, अगर आप बच्ची के एडमिशन के लिए पांच लाख रूपये की मदद कर दें। तो उसकी शिक्षा पूर्ण हो जाएगी।"


मृत्युंजय- "बेटा, मेरे पास जो भी पैसे है। वह सब तुम लोगों के लिए ही है। तुम एडमिशन के फीस की चिंता न करो। फीस के पैसे मैं दे दूंगा।"


राघव- "पिता जी, आप बिलकुल चिंता न कीजियेगा। धीरे-धीरे करके मैं यह सारे पैसे आपको लौटा दूंगा।"


मृत्युंजय- "बेटा, यह सब तुम लोगों का ही है। क्या मैं इन पैसो को इस धरती से लेकर जाऊंगा? तुम पैसों की चिंता न करो, बिटिया का एडमिशन कराओ।"


बड़े बेटे और पिता जी के बीच में होने वाली इस बातचीत को घर की सभी बधुएं ध्यान से सुन रही थी। छोटी बहु उसके पति अनुज की बेरोजगारी से परेशान हो चुकी थी। अतः उसने अपने पति को सुझाव दिया कि वह भी अपने पिता से पैसों की मांग करे और कोई रोजगार शुरू करे।


अगले दिन हुआ भी यही, अनुज ने अपना रोजगार शुरू करने के लिए पिता जी से 10 लाख रूपये की मांग की। पिता जी अपने बेटे के इस मांग को भी स्वीकार्य कर लिया। बड़े भाई राघव के दुकान के पास ही अनुज की कपडे की दुकान खोलने का निर्णय हो गया।


अब यह सारी बातें मझली बहु को बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था। वह सोचने लगी कि पिता जी की तीन संताने है। तो पिता के पैसों पर तीनों बच्चो का बराबर हक़ होता है। यह ऐसी सोच थी, जिसके कारण घर में कलह की शुरुआत हो गई।


इसका पहला असर यह हुआ कि सुबह की जो चाय सबसे पहले पिता जी को मिला करती थी। अब बहुये एक दूसरे को देखने लगी। बहुओं के मन में ऐसी सोच पैदा हो गई कि बुजुर्ग दम्पति को बड़ी बहु भोजन देगी अथवा छोटी। मृत्युंजय ने ऐसे बुढ़ापे की कल्पना कभी भी अपने सपने में भी नहीं की थी।


घर के कलह को दूर करने के लिए मृत्युंजय ने अपने शेष बचे हुए पैसो को तीन हिस्सों में बाटकर, तीनो बच्चों को दे दिया। अब मृत्युंजय और उनकी पत्नी अपनी सभी जरूरतों के लिए बच्चो पर निर्भर हो गए। इसके बाद उनके ऊपर एक बार फिर से जिम्मेदारियों का दौर शुरू हो गया।


बच्चो को स्कुल छोड़ना हो या बाजार से सामान लाना हो। इस तरह के सभी कार्य बुजुर्ग जोड़ो के ऊपर आ गया। आज मृत्युंजय जी को समझ आ रहा था कि समय कितना तेज़ी से बदलता है।


एक दिन सुबह के समय यह बुजुर्ग दंपत्ति टहल रहे थे। उसी समय मृत्युंजय का पैर फिसल गया और वह सिर के बल गिर गए। सड़क पर पड़े कुछ कंकड़ उनके सिर में घुस गए। जिससे उनके सिर से काफी मात्रा में खून निकलने लगा और वह बेहोश हो गए।


आस पास के कुछ अच्छे लोग मृत्युंजय को अस्पताल लेकर चले गए। डॉक्टरों ने प्राथमिक ईलाज शुरू कर दिया। कुछ घंटो के इलाज के बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए सुझाव दिया।


डॉक्टर का कहना था- "चोट कुछ इस प्रकार लगी है कि सिर में कुछ कंकड़ चले गए है। उसे निकालने के लिए ऑपरेशन करना होगा। लेकिन ऑपरेशन के सफल होने की संभावना 50-50 प्रतिशत है। यदि ऑपरेशन नहीं किया जाता है, तब जीवन का बचना बिलकुल मुश्किल है।"


माँ के हाथ में एक रूपये नहीं थी। वह अपने बच्चों की राह देख रही थी। कुछ घंटो के इंतज़ार के बाद बड़ा बेटा अस्पताल पहुँचता है। अपने बड़े बेटे को देखकर माँ फूटफूट कर रोने लगती है और डॉक्टर के द्वारा बताई गई सारी बातें बताती है। बेटा ऑपरेशन के खर्च को जानने के लिए डॉक्टर के पास जाता है।


अस्पताल के स्टाफ के द्वारा ऑपरेशन का खर्च पांच लाख रूपये बताया जाता है। अस्पताल के स्टाफ यह भी बताते है कि अगले 72 घंटो के अंदर ऑपरेशन करना बहुत जरुरी है। नहीं तो जीवन को बचा पाना काफी मुश्किल हो जायेगा।


बड़ा बेटा माँ को सांत्वना देता है और पैसो का प्रबंध करने के लिए घर लौट आता है। अब घर में तीनो बच्चे मीटिंग करना शुरू कर देते है। ऑपरेशन कराना है या नहीं, इसके लिए विचार विमर्श होने लगा। जबकि बचने की संभावना 50-50 है। तो क्या बूढ़े का ऑपरेशन कराना सही होगा। इस महंगाई के दौर में पांच लाख रूपये का खर्च कहाँ से होगा।


अंत में दोनों छोटे बच्चे अपने आपको पैसो का प्रबंध करने के लिए असमर्थ बता देते है और इस ऑपरेशन को बेवकूफी बताकर अपने काम पर चले जाते है। खैर बड़ा बेटा चार लाख रूपये अपने बैंक खाते से निकालता है और एक लाख रूपये दोस्तों से उधार लेकर अस्पताल पहुंच जाता है।


माँ को पांच लाख रूपये देकर बोलता है। माँ मैंने अपनी बेटी के विवाह के लिए यह चार लाख रूपये रखा था और एक लाख रूपये उधार लेकर आया हूँ। आप इन पैसो से पापा का ईलाज करा लो।



कुछ प्रश्न जिसे सोचना चाहिए-

  • क्या माँ को उस पैसे को इलाज के लिए लेना चाहिए अथवा नहीं। यदि लेना चाहिए तो क्यों और यदि नहीं लेना चाहिए तो क्यों?

  • क्या वह पिता अपने इलाज के लिए इन पैसो का उपयोग करने के लिए तैयार हो जायेगा या नहीं?

  • अगर पिता के पास उसके अपने पैसे होते तो क्या वह अपना ईलाज करने के लिए उतना ही विचार करेगा या तुरंत निर्णय ले लेगा?

  • क्या बच्चो के बीच पैसों का बटवारा करना उचित निर्णय था अथवा नहीं?

  • क्या बुढ़ापे में आपके पास एक बड़ी धनराशि का होना अच्छा है अथवा छोटी छोटी धनराशि जो प्रति माह प्राप्त हो?



Decide for Retirement Planning -

मुझे पता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के लिए स्वयं जिम्मेदार है। इसलिए मुझे लगता है कि आप अपनी जरूरतों को किसी और से बेहतर समझ सकते हैं।


लेकिन एक जीवन बीमा सलाहकार होने के नाते और सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए मैं आपसे यह जरूर कहना चाहूंगा कि आपको अपनी वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए जितना हो सके अपने बुढ़ापे के लिए तुरंत निर्णय लेना चाहिए और अपने बुढ़ापे के लिए कुछ न कुछ बचत जरूर शुरू कर देना चाहिए।


भारतीय जीवन बीमा निगम की योजनाएँ आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकती है। आपको अपने क्षेत्र के किसी अच्छे भारतीय जीवन बीमा निगम के एजेंट को बुलाना चाहिए और सेवानिवृत्ति प्लानिंग के लिए सर्वोत्तम योजनाओं को समझना चाहिए।


अपने लिए एक ऐसी जीवन बीमा पॉलिसी, जो बीमा कवर प्रदान करती हो और आपकी सेवानिवृत्ति पर, आपकी और आपके जीवन साथी की जरूरतों को पूरा कर सकती हो। ऐसी योजना खरीद लेना चाहिए।


कुछ अन्य उपयोगी लिंक्स -















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