27 October 2021

LIC Policy ko surrender kaise kare

 LIC Policy ko surrender kaise kare

LIC Policy ko surrender kaise kare - Jeevan Bima Bazaar

जीवन बीमा बाजार की आज की इस पोस्ट की सहायता से हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप भारतीय जीवन बीमा निगम की पॉलसी को कैसे सरेंडर कर सकते हैं? यह जानकारी भारतीय जीवन बीमा निगम के विकास अधिकारी, सीएलआईए, अभिकर्ता एवं बीमाधारकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। 

लेकिन इससे पहले की इस संदर्भ में, मैं कोई भी जानकारी प्रस्तुत करुँ, भारतीय जीवन बीमा निगम के पॉलिसीधारक के लिए कुछ जानकारी देना आवश्यक समझता हूं। किसी भी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करना पॉलिसीधारक के लिए काफी नुकसान देय होता है। यदि आप किसी भी जीवन बीमा कंपनी की जीवन बीमा पॉलिसी खरीदे हुए हैं। तब आपके लिए हमारी राय यह होगी कि किसी भी परिवेश में अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर ना करें। 

यदि जीवन बीमा पॉलिसी के पैसों के सिवा, आपके आर्थिक समस्या का समाधान करने के लिए कोई दूसरे विकल्प ना बचते हो। तभी अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करें। 

जीवन बीमा बाजार की इस पोस्ट में, हम आपको एलआईसी की पॉलिसी को सरेंडर करने के संपूर्ण प्रोसेस को विस्तृत रूप से बताने जा रहे हैं। लेकिन इस प्रोसेस का पालन करने से पहले, आपको भारतीय जीवन बीमा निगम के नजदीकी शाखा कार्यालय में जाना चाहिए। जब आप भारतीय जीवन बीमा निगम के शाखा कार्यालय में जाते हैं। आपको अपनी जीवन बीमा पॉलिसी, जिसे आप सिलेंडर करना चाहते हैं, उसका सरेंडर वैल्यू जरूर पता कर लेना चाहिए। इसके बाद ही पॉलिसी को सरेंडर करने का निर्णय लेना चाहिए। 


पॉलिसी सरेंडर की जानकारी होना उपयोगी है-

एलआईसी की पॉलिसी को सरेंडर करने की जानकारी होना, आपके लिए बहुत जरूरी है। यह जानकारी सिर्फ इसलिए होना आवश्यक नहीं है कि आप अपनी एलआईसी पॉलिसी को या फिर यदि आप एलआईसी के विकास अधिकारी अथवा अभिकर्ता है तो आप अपने पॉलिसीधारकों के जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करना चाहते हैं। बल्कि इसलिए भी जरूरी है कि आप स्वयं या फिर आप अपने पॉलिसीधारकों को पॉलिसी सरेंडर से होने वाले नुकसान की सही जानकारी होने के बाद पॉलिसी धारक इस संदर्भ में सही निर्णय ले सकता है। 

इसके विपरीत यदि पॉलिसीधारक के पास उसके एलआईसी पॉलिसी के सरेंडर की सही जानकारी नहीं है। तब पॉलिसी सरेंडर कर देने के उपरांत उसे एक भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अक्सर देखा गया है कि ऐसा पॉलिसीधारक जो कम जानकारी में या फिर जानकारी के अभाव में, अपनी पॉलिसी को सरेंडर कर देता है। उसके बाद उसको काफी पश्चाताप करना पड़ता है। 

जहां तक हमारी इस पोस्ट का सवाल है। हमारी यह पोस्ट एलआईसी के विकास अधिकारी, सीएलआईए अभिकर्ता ,सामान्य अभिकर्ता एवं ग्राहकों के लिए अलग-अलग प्रकार से उपयोगी साबित होगी। आप अपने अनुसार हमारी इस पोस्ट का किस प्रकार से उपयोग कर सकते हैं। इस संदर्भ में थोड़ा सा प्रकाश डालना चाहता हूं। 


यदि आप एलआईसी के विकास अधिकारी हैं -

यदि आप भारतीय जीवन बीमा निगम के विकास अधिकारी अथवा सीएलआइए अभिकर्ता है। तब आप इस पोस्ट को अपने नए अभिकर्ताओं के साथ शेयर कर सकते हैं। यह पोस्ट आपके नए अभिकर्ताओं को एलआईसी की पॉलिसी को सरेंडर करने की संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी। ऐसा करने से आपके नए अभिकर्ताओं को जानकारी का लाभ होगा। साथ ही आपका बड़ा समय भी बचेगा। 


एलआईसी के अभिकर्ताओं के लिए - 

यदि आप एलआईसी में अभिकरण व्यवसाय कर रहे हैं। तब अक्सर ऐसा देखा गया है कि कई बार आप अपने ग्राहकों तक पहुंच बना पाने में असमर्थ होते हैं। लेकिन ठीक उसी समय, आपके पॉलिसीधारक को अपनी जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर करने की तत्काल आवश्यकता पड़ जाती है। एक सामान्य पॉलिसीधारक को भारतीय जीवन बीमा निगम की पॉलिसी को सरेंडर करने की सही जानकारी नहीं होती है। जिस कारण वह परेशान हो सकता है। 

आप जीवन बीमा बाजार की इस पोस्ट को अपने ऐसे पालिसीधारकों के साथ शेयर करके उनकी सहायता कर सकते हैं। 


ग्राहकों के लिए - 

कई बार ऐसा देखा गया है कि कई पॉलिसीधारकों के अभिकर्ता अर्थात एजेंट कार्य करना बंद कर चुके हैं अथवा किसी दूसरे कारण से पॉलिसीधारक का अपने अभिकर्ता से संबंध अच्छे नहीं हैं। ऐसे पॉलिसीधारक इस पोस्ट के जरिए अपनी पॉलिसी को सरेंडर करने की जानकारी प्राप्त करके, सही निर्णय के साथ अपनी पॉलिसी को सरेंडर कर सकता है। 


जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने के फायदे - 

यदि आप किसी भी जीवन बीमा कंपनी से कोई भी जीवन बीमा पॉलिसी लेते हैं। तब आपको पॉलसी खरीदते समय ही, उस पॉलिसी के संदर्भ में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहिए। 

हम अपने अनुभव के आधार पर यह कर सकते हैं कि किसी भी परिस्थिति में जीवन बीमा की पॉलिसी को, और मैं यहां पर सिर्फ भारतीय जीवन बीमा निगम की पॉलिसी की बात नहीं कर रहा हूं, बल्कि आप किसी भी जीवन बीमा कंपनी की कोई भी पॉलिसी ले लेते हैं। तो उस पॉलिसी की मैच्योरिटी से पहले, यदि आप अपने पैसे निकालना चाहते हैं। तब आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

आपके लिए हमारी राय यही होगी कि यदि आपने अपनी कोई जीवन बीमा पॉलिसी ली हुई है। तो अपनी पॉलिसी की प्रीमियम समय समय से जमा करते रहें। ताकि आपको उस बीमा पॉलिसी के संपूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं। 

मैं यहां पर जोर देकर, एक बार फिर से कहना चाहता हूं कि किसी भी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर का प्रोसेस शुरू करने से पहले पॉलिसीधारक को चाहिए कि वह अपने पालिसी का सरेंडर वैल्यू अवश्य पता कर ले। इसके बाद ही वह अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने का प्रोसेस शुरू करें। 

मेरे अनुसार जीवन बीमा की पॉलिसी को सरेंडर करना पॉलिसीधारक के लिए नुकसान का सौदा है। 


जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने के नुकसान-

अक्सर ट्रेडिशनल जीवन बीमा पॉलिसियों में, एक निश्चित अवधि के बाद जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने का प्रावधान किया जाता है। आप अपनी जिस पॉलिसी को सरेंडर करना चाहते हैं। सबसे पहले आपको यह पता करना होगा कि आपकी पॉलिसी में वह निश्चित अवधि क्या है? जिसके बाद आप अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर कर सकते हैं। 

यदि आपकी पॉलिसी की प्रीमियम उस निश्चित अवधि तक जमा नहीं होती है, तब और यदि वह निश्चित अवधि पूरी नहीं होती है तब भी, दोनों ही परिस्थितियों में जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर नहीं किया जा सकता है। 

यदि इस निश्चित अवधि के पूर्व ही पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी की प्रीमियम जमा करना बंद कर देता है। ऐसी परिस्थिति में उस पॉलिसीधारक द्वारा जमा की गई सभी प्रीमियम लैप्स मानी जाती है अर्थात उस पॉलिसीधारक को अपनी जमा प्रीमियम का भुगतान भी नहीं मिल पाता है। 

यदि पॉलिसीधारक अपने पॉलिसी की प्रीमियम, उस निश्चित अवधि के बाद तक भी जमा कर लेता है। ऐसी परिस्थिति में वह पॉलिसीधारक, अपने पॉलिसी को सरेंडर कर सकता है। लेकिन जब उस पॉलिसी को सरेंडर किया जाता है, जीवन बीमा कंपनी उस पॉलिसी के नियमों के अनुसार कुछ सरेंडर चार्ज काटती है। यदि जीवन बीमा पॉलिसी के सरेंडर करने के बाद मिलने वाले भुगतान की तुलना पॉलिसीधारक द्वारा जमा की गई प्रीमियम से किया जाए। तब अक्सर ऐसा पाया जाता है कि पॉलिसीधारक को वह पैसा भी नहीं मिल पाता है। जो उसने अपने जीवन बीमा पॉलिसी में प्रीमियम के रूप में जमा किया हुआ है। 

जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करते समय सभी प्रकार के टैक्स, राइडर प्रीमियम, इत्यादि का कैलकुलेशन नहीं होता है। एक सामान्य पॉलिसीधारक को इस तरह के टैक्स और राइडर प्रीमियम के विषय में सामान्य तौर पर जानकारी नहीं होती है। 

यही वजह है जिसके कारण मेरी सलाह यह है कि यदि आप जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का निर्णय बना रहे हैं। तब कुछ मूल बिंदुओं का जरूर ध्यान रखें। 

  1. आप ऐसी पॉलिसी ही खरीदें, जो आपकी जरूरतों को पूरा करती हो। 
  2. जीवन बीमा पॉलिसी को खरीदते समय टैक्स, राइडर और उसके कारण होने वाले लाभ और नुकसान के संदर्भ में संपूर्ण जानकारी अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए। 
  3. पॉलिसी को खरीदते समय पॉलिसीधारक को चाहिए कि वह प्रस्तावित पॉलिसी के उस निश्चित अवधि के विषय में भी अवश्य पता कर ले। जिसके बाद वह अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर कर सकता हो। 
  4. किसी जीवन बीमा पॉलिसी को खरीदते समय पॉलिसीधारक को चाहिए कि वह अपनी क्षमता के अनुसार जमा कर पाने वाली प्रीमियम के अंतर्गत ही बीमाधन का चुनाव करें। ताकि भविष्य में आर्थिक समस्याओं की वजह से उसे अपनी पॉलिसी बंद न करनी पड़े। 
  5. पॉलिसी खरीदते समय बीमाधारक को चाहिए कि वह यह भी पता कर ले कि वह जिस पॉलिसी को खरीदने जा रहा है। क्या उस पॉलिसी में लोन की सुविधा मौजूद है? यदि उस पॉलिसी में लोन की सुविधा उपलब्ध है। तो उसके नियम और शर्तें क्या है ?

हमें पूरा भरोसा है कि यदि उपरोक्त बातों का ध्यान रखते हुए एक सही पॉलिसी क्रय की जाती है। ऐसी परिस्थिति में पॉलिसीधारक और उस पॉलिसी को बेचने वाले अभिकर्ता को कभी भी विवाद का सामना नहीं करना पड़ता है और ऐसी पॉलिसिया पूर्णावधि तिथि तक जारी रहती हैं। इसकी वजह से पॉलिसीधारक और जीवन बीमा अभिकर्ता दोनों के लाभ सामान्य तौर पर बने रहते हैं। 


जीवन बीमा पॉलिसी में सरेंडर वैल्यू क्या होता है-

जीवन बीमा की योजनाओं में सरेंडर वैल्यू क्या होता है या किसे कहते हैं? इसको मैं साधारण भाषा में बताने का प्रयास करता हूं। 

जब कोई बीमाधारक जीवन बीमा कंपनी से, कोई जीवन बीमा पॉलिसी क्रय करता है। जीवन बीमा पॉलिसी को खरीदते समय बीमाधारक द्वारा एक प्रस्ताव पत्र भरा जाता है। इस प्रस्ताव पत्र के माध्यम से पॉलिसीधारक बीमा कंपनी के साथ एक प्रकार का एग्रीमेंट करता है। 

ठीक इसी प्रकार से, बीमा पॉलिसी जारी होने के बाद बीमा कंपनी अपने पालिसीधारक को उसका पॉलिसी बांड जारी करती है। यह पॉलिसी बॉन्ड बीमा कंपनी का एक प्रकार का एग्रीमेंट दस्तावेज होता है। 

आइए समझते हैं कि बीमा कंपनी और पॉलिसीधारक का यह एग्रीमेंट वास्तव में होता क्या है? 

इस एग्रीमेंट के तहत पॉलिसीधारक बीमा कंपनी को यह फायदा करता है कि वह जितने अवधि की पॉलिसी को खरीद रहा है बीमा कंपनी द्वारा जारी की गई प्रीमियम को, उतने अवधि तक समय से जमा करता रहेगा। 

ठीक इसी प्रकार से बीमा कंपनी अपने पालिसी बांड के तहत, अपने पॉलिसी धारक से यह वायदा करती है कि यदि पॉलिसी धारक अपने वायदे को पूरा करते हुए समय समय से पॉलिसी की प्रीमियम जमा करता है। तब वह बीमा कंपनी पॉलिसीधारक को उसके पॉलिसी के अनुसार मैच्योरिटी पर बीमाधन, बोनस इत्यादि का भुगतान करेगी। बीमा कंपनी यह भी वादा करती है कि यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु उस पॉलिसी के मैच्योरिटी के पूर्व हो जाती है। तब बीमा कंपनी अपने पॉलिसीधारक के नामिनी को बीमाधन एवं पॉलिसी के नियमों के अनुरूप मृत्यु दावे का भुगतान करेगी। 

अब यदि पॉलिसीधारक पॉलिसी की मैच्योरिटी से पहले, अपने पॉलिसी को सरेंडर करता है। तब पॉलिसीधारक द्वारा इस एग्रीमेंट को तोड़ा जाता है। ऐसे परिस्थिति में, बीमा कंपनी का यह दावा होता है कि ऐसा पॉलिसीधारक, जो अपनी पॉलिसी को कुछ समय जमा कर लेने के बाद सरेंडर करने की इच्छा रखता है। यदि उस पॉलिसीधारक की मृत्यु प्रथम प्रीमियम जमा करने के बाद ही हो जाती, तब बीमा कंपनी को मृत्यु दावे का पूरा भुगतान करना पड़ता। 

अतः सरेंडर चार्ज के अनुरूप बीमा कंपनी कटौती कर लेने के उपरांत शेष पैसों का भुगतान बीमाधारक को कर देती है। बीमा कंपनी द्वारा सभी प्रकार की कटौती कर लेने के बाद, जो भुगतान जीवन बीमा पॉलिसी के सरेंडर के रूप में पॉलिसीधारक को दिया जाता है। उसे बीमा पॉलिसी का सरेंडर वैल्यू कहा जाता है। हिंदी भाषा में सरेंडर वैल्यू को अभ्यर्पण मूल्य भी कहते हैं। 


जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने हेतु आवश्यक दस्तावेज- 

आइए अब समझते हैं कि यदि हमें अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करना हो तो किन-किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?

आवेदन पत्र - यदि आपके पास भारतीय जीवन बीमा निगम की जीवन बीमा पॉलिसी है और आप अपनी पॉलिसी को सरेंडर करना चाहते हैं। तब आपको अपनी शाखा कार्यालय के लिए एक आवेदन पत्र लिखना होता है। इस आवेदन पत्र (एप्लीकेशन) के माध्यम से पालिसी धारक को बताना चाहिए कि वह अपनी जीवन बीमा पॉलिसी किस कारण से सरेंडर करना चाहता है? 

इसके अतिरिक्त इस आवेदन पत्र में पॉलिसीधारक को यह भी बताना चाहिए कि उसे उसकी जीवन बीमा पॉलिसी के सरेंडर वैल्यू के विषय में संपूर्ण जानकारी है। जीवन बीमा पॉलिसी के सरेंडर के नियम और शर्तों को समझने के बाद ही, पॉलिसीधारक ने अपनी पॉलिसी को सरेंडर करने का निर्णय लिया है। 

मूल पॉलिसी बांड- यदि आप अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करना चाहते हैं। तब आपको अपनी जीवन बीमा पॉलिसी का मूल पॉलिसी बॉन्ड भारतीय जीवन बीमा निगम के शाखा कार्यालय में जमा करना पड़ता है। 

एलआईसी का फॉर्म संख्या 5074 - एलआईसी की पॉलिसी को सरेंडर करने के लिए एलआईसी ने फार्म संख्या 5074 को भरना पड़ता है। जब आप इस फार्म को भर लेते हैं। इसे सभी दस्तावेजों के साथ इकट्ठा करके अपने शाखा कार्यालय में जमा करना पड़ता है। 

नेफ्ट फॉर्म भरना होगा- यदि आप अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करना चाहते हैं तब आपको नेफ्ट फॉर्म भरकर जमा करना आवश्यक होगा। यदि आपने पहले भी नेफ्ट फॉर्म के प्रक्रिया को कंप्लीट कर लिया है। फिर भी आपके लिए हमारी राय यही होगी कि एक बार फिर से नेफ्ट के फार्म को भरकर और इसके साथ में बैंक पासबुक की छायाप्रति अथवा कैंसिल चेक निगम के शाखा कार्यालय में उपरोक्त दूसरे दस्तावेजों के साथ अवश्य जमा करना चाहिए। 

यदि आप नेफ्ट फॉर्म के साथ बैंक पासबुक की छायाप्रति जमा कर रहे हैं। तब आपको चाहिए कि आप अपना ओरिजिनल बैंक पासबुक लेकर शाखा कार्यालय में चले जाएं और शाखा के संबंधित अधिकारी से बैंक पासबुक की छायाप्रति को अवश्य सत्यापित करा लें। 

यदि आप एलआईसी के फार्म के संदर्भ में अधिक जानकारी चाहते हैं तो - यहां क्लिक कीजिए


एलआईसी के सरेंडर फॉर्म को कैसे भरें -

यदि आपको भारतीय जीवन बीमा निगम के सरेंडर फार्म को भरने में समस्या हो रही है तब हम आपके लिए नीचे एक वीडियो साझा कर रहे हैं आप इस वीडियो को देखकर नेफ्ट फॉर्म को आसानी से भर सकते हैं

एलआईसी पॉलिसी सरेंडर करने हेतु पीडीएफ फाइल डाउनलोड करें- 

वैसे तो भारतीय जीवन बीमा निगम के किसी भी शाखा कार्यालय से एलआईसी की पॉलिसी को सरेंडर करने हेतु आवश्यक फार्म आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद आपको एलआईसी का सरेंडर फॉर्म प्राप्त करने में समस्या हो रही है। तो हम यहां पर नीचे एलआईसी के सेरेंडर फॉर्म, एप्लीकेशन, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत कर रहे हैं। आप इसे डाउनलोड करके और प्रिंट करवा कर इसका उपयोग आसानी से कर सकते हैं। 

  1. एलआईसी पॉलिसी को सरेंडर करने हेतु हिंदी भाषा के एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के लिए - यहां क्लिक कीजिए
  2. एलआईसी पॉलिसी को सरेंडर करने हेतु अंग्रेजी भाषा के एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के लिए - यहां क्लिक कीजिए
  3. एलआईसी का सरेंडर फॉर्म 5074 को हिंदी भाषा में डाउनलोड करने हेतु - यहाँ क्लिक कीजिये 
  4. एलआईसी का सरेंडर फॉर्म 5074 को अंग्रेजी भाषा में डाउनलोड करने हेतु - यहाँ क्लिक कीजिये 

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.