एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसेबिलिटी बेनिफिट राइडर
एलआईसी के "दुर्घटना मृत्यु एवं विकलांगता हितलाभ राइडर" को अंग्रेजी में “Accidental Death and Disability Benefit Rider” के नाम से जाना जाता है। इसको संक्षेप में एडीडीबी राइडर (ADDB Rider) भी कहते है। जीवन बीमा बाजार का यह आर्टिकल इस राइडर के सन्दर्भ में सम्पूर्ण जानकारी समझने योग्य हिंदी भाषा में प्रस्तुत कर रहा है।
उपरोक्त पैराग्राफ में इस राइडर के नामो को बताया गया है, ताकि इस आर्टिकल में उपरोक्त में से किसी भी शब्द का उपयोग हो तो आप भ्रमित न हो।
एडीडीबी राइडर क्यों जरुरी है-
भारतीय समाज को विभिन्न आय समूहों में देखा जा सकता है। जिसमें प्रत्येक आय वर्ग की आर्थिक जिम्मेदारियां और क्षमताएं एक दूसरे से भिन्न होती हैं। ऐसी स्थिति में "भारतीय जीवन बीमा निगम" का दुर्घटना मृत्यु एवं विकलांगता हितलाभ राइडर की सुविधा भारतीय समाज के बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है।
भारत में हर साल ऐसे कई हादसे होते हैं। जिसमें लोगों की मौत हो जाती है। कई बार यह भी देखा गया है कि दुर्घटना के बाद और मृत्यु से पहले परिवार के सदस्य अपनी सारी जमा चल-अचल संपत्ति उस व्यक्ति के जीवन की रक्षा के लिए खर्च कर देते हैं। इसके बावजूद भी कई घटनाओं में उस जीवन को नहीं बचा पाने में परिवार के सदस्य असमर्थ होते है।
कुछ हादसों में ऐसा भी पाया जाता है कि दुर्घटना के बाद व्यक्ति अपंग हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। यदि ऐसी घटनाओं की सावधानीपूर्वक जांच किया जाए तो पता चलता है कि यदि मृतक या विकलांग व्यक्ति अपने परिवार के लिए आय का एक मात्र स्रोत था। फिर उस परिवार का आर्थिक भविष्य अंधकार में चला जाता है।
परिवार के रोजमर्रा की जरूरते, बच्चो की शिक्षा एवं मेडिकल इत्यादि की आवश्यकताये पूर्ण करने के लिए वह परिवार असमर्थ हो जाता है। क्योंकि दुर्घटना के बाद, उस जीवन की रक्षा के लिए परिवार ने पहले ही अपनी आर्थिक क्षमता पहले ही समाप्त कर दी होती है और भविष्य हेतु आय का संकट खड़ा हो जाता है।
भारतीय समाज को इस तरह की आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े, इसके लिए एलआईसी का दुर्घटना मृत्यु एवं विकलांगता हितलाभ राइडर की सुविधा काफी उपयोगी सिद्ध होता है।
एडीडीबी राइडर फायदेमंद क्यों है -
एलआईसी की योजनाएं भारतीय समाज की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। एलआईसी की किसी भी योजना को बनाने से पहले काफी अध्ययन किया जाता है और फिर कई चरणों से अप्रूव होने के बाद ही बाजार में लांच किया जाता है।
भारतीय जीवन बीमा निगम का "दुर्घटना मृत्यु एवं विकलांगता हितलाभ राइडर" की मूल विशेषता यह है कि इसे एलआईसी की किसी भी ट्रेडिशनल योजना के साथ (योजना का खरीदते समय अथवा योजना अवधि के दौरान) लिया जा सकता है। बीमाधारक के लिए यह राइडर विकल्प के तौर पर होता है अर्थात यदि बीमाधारक चाहे तो इस राइडर को ले भी सकता है अथवा नहीं भी।
बीमाधारक यदि एलआईसी की किसी पॉलिसी को खरीद रहा होता है तो यदि वह चाहे तो उस पॉलिसी के प्रीमियम के साथ थोड़ा अतिरिक्त प्रीमियम देकर "दुर्घटना मृत्यु एवं विकलांगता हितलाभ राइडर" का लाभ प्राप्त कर सकता है।
किन योजनाओं में एडीडीबी राइडर उपलब्ध है-
एलआईसी की अधिकतम योजनाओं के साथ इस राइडर का लाभ लिया जा सकता है। लेकिन सभी योजनाओं में एडीडीबी राइडर का लाभ उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में एलआईसी की जिन योजनाओ में "दुर्घटना मृत्यु एवं विकलांगता हितलाभ राइडर" उपलब्ध है। उसकी जानकारी नीचे दी जा रही है। लेकिन इसके बावजूद हम अपने पाठको से अनुरोध करते है कि यदि आप किसी योजना को खरीदने जा रहे है। तब उसके नियमों को एक बार जरूर समझ लें।
- एलआईसी की बीमा ज्योति योजना (प्लान संख्या- 860)
- एलआईसी की बचत प्लस योजना (प्लान संख्या- 861)
- एलआईसी की धन रेखा योजना (प्लान संख्या- 863)
- एलआईसी की बीमा रत्न योजना (प्लान संख्या- 864)
- एलआईसी की नई बंदोबस्ती योजना (प्लान संख्या- 914)
- एलआईसी की नई जीवन आनंद योजना (प्लान संख्या- 915)
- एलआईसी की एकल प्रीमियम बंदोबस्ती योजना (प्लान संख्या- 917)
- एलआईसी की न्यू मनी बैक योजना (प्लान संख्या- 920)
- एलआईसी की न्यू मनी बैक योजना (प्लान संख्या- 921)
- एलआईसी की जीवन लक्ष्य योजना (प्लान संख्या- 933)
- एलआईसी की जीवन लाभ योजना (प्लान संख्या- 936)
- एलआईसी की जीवन उमंग योजना (प्लान संख्या- 945)
- एलआईसी की जीवन शिरोमणि योजना (प्लान संख्या- 947)
- एलआईसी की बीमा श्री योजना (प्लान संख्या- 948)
ADDB राइडर क्या जोखिम कवर करता है-
यदि एडीडीबी राइडर के साथ एलआईसी पॉलिसी खरीदी जाती है और बीमित व्यक्ति दुर्घटना का शिकार हो जाता है। इस तरह की दुर्घटना से बीमित व्यक्ति की मृत्यु या स्थायी विकलांगता तुरंत या दुर्घटना होने के 180 दिनों के भीतर हो जाती है। तब उस बीमित व्यक्ति या उसके नामांकित व्यक्ति को इस राइडर का लाभ मिलता है।
ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि एलआईसी में दुर्घटना और स्थायी विकलांगता क्या है या जीवन बीमा नियमों के अनुसार दुर्घटना और स्थायी विकलांगता को कैसे परिभाषित किया जाता है? यह जानकारी "जीवन बीमा बाजार" के पिछले लेख "एलआईसी राइडर एवं क्लेम की जानकारी" में प्रस्तुत की गई है। आपको इसे पढ़ना और समझना चाहिए।
एडीडीबी राइडर के लाभ-
यदि भारतीय जीवन बीमा निगम के किसी पॉलिसी एडीडीबी राइडर के साथ खरीदी गई है। तो ऐसी पॉलिसी में, यदि पॉलिसीधारक किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है और उस दुर्घटना की वजह से तत्काल अथवा दुर्घटना की तारीख से 180 दिन के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है अथवा वह स्थाई रूप से अपंग हो जाता है। तब उस पॉलिसीधारक को स्वम अथवा उसके नॉमिनी को एडीडीबी राइडर का लाभ प्राप्त होता है।
अब हमें यह समझना होगा कि दुर्घटना की वजह से मृत्यु की स्थिति में एलआईसी के एडीडीबी राइडर से क्या लाभ मिलते है और स्थाई अपंगता की स्तिथि में क्या लाभ मिलते है? आइये इसे समझते है-
स्थायी अपंगता के मामले में एडीडीबी राइडर के लाभ-
यदि पॉलिसीधारक किसी दुर्घटना की वजह से स्थाई रूप से अपंग हो जाता है, तब उसकी पॉलिसी में ADDB राइडर, जितने बीमाधन के लिए क्रय किया गया है। उसे 10 वर्षो के सामान मासिक किस्तों में पॉलिसीधारक को दिया जाता है। यदि इन सभी किस्तों का भुगतान करने से पहले मूल पॉलिसी मैच्योर हो जाती है अथवा पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है, तब ADDB राइडर का शेष बीमाधन का भुगतान तत्काल कर दिया जाता है।
ADDB राइडर का क्लेम स्वीकार्य कर लेने के बाद मूल पॉलिसी की प्रीमियम एवं ADDB राइडर की प्रीमियम माफ़ हो जाएगी। यदि मूल पॉलिसी में ADDB राइडर के अतिरिक्त कोई अन्य राइडर दिए गए है, तब उसकी प्रीमियम पॉलिसीधारक को जमा करना अनिवार्य होगा।
उदाहरण- मान लीजिये एलआईसी किसी पॉलिसी में ₹10 लाख के लिए ADDB राइडर का क्लेम स्वीकार कर लेती है। तब उस पॉलिसीधारक को प्रतिमाह ₹8333 का भुगतान होगा। यह भुगतान अगले 10 वर्षो तक लगातार होता रहेगा एवं भविष्य की सभी देय प्रीमियम माफ़ हो जाएगी। भुगतान के दौरान दो सम्भावनाये हो सकती है जिसे समझना बहुत जरुरी है।
प्रथम संभावना-
मान लीजिये कि यदि इस पॉलिसी से 4 वर्षो तक प्रतिमाह ₹8333 का भुगतान प्राप्त कर लेने के बाद पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में एलआईसी ने उस पॉलिसीधारक को इन 4 वर्षो में कुल ₹3,99,984 का भुगतान कर दिया होगा। अतः मृत्यु के उपरांत ADDB राइडर का शेष ₹6,00,016 नॉमिनी को भुगतान कर दिया जायेगा।
द्वितीय संभावना-
मान लीजिये कि यदि इस पॉलिसी से 4 वर्षो तक प्रतिमाह ₹8333 का भुगतान प्राप्त कर लेने के बाद पॉलिसी मैच्योर हो जाती है। ऐसे में पॉलिसी की मैच्योरिटी तिथि पर यह भुगतान रुक जायेगा और निगम पॉलिसी की मैच्योरिटी तिथि पर ₹6,00,016 पॉलिसीधारक को भुगतान कर देगी।
मृत्यु के मामले में एडीडीबी राइडर के लाभ-
यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु दुर्घटना के कारण हो जाती है। तो उसकी पॉलिसी में "दुर्घटना मृत्यु एवं विकलांगता हितलाभ राइडर" के लिए जो बीमाधन स्वीकार्य है। नामांकित व्यक्ति को बीमाधन के बराबर धन राशि का भुगतान किया जाता है।
ADDB राइडर हेतु पात्रता शर्तें -
अधिकतम बीमाधन-
यहाँ पर निगम की विशेष योजना जिसे जीवन शिरोमणि योजना के नाम से जाना जाता है, के लिए ADDB राइडर हेतु विशेष प्रावधान किया है। जबकि दूसरी योजनाओ के लिए अलग प्रावधान किया है। आइये इसे समझते है -
जीवन शिरोमणि योजना हेतु अधिकतम बीमाधन-
साधारण रूप में इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति एलआईसी की जीवन शिरोमणि योजना खरीदता है। तो उसके जीवन पर जारी की गई सभी पूर्व और भविष्य की योजनाओं दुर्घटना बीमाधन किसी भी रूप में ₹200 लाख से अधिक नहीं होगा। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन पर ₹200 लाख से अधिक का दुर्घटना बीमाधन खरीद भी लेता है और उसकी मृत्यु दुर्घटना की वजह से हो जाती है। तो उसके नॉमिनी को मात्र ₹200 लाख के दुर्घटना बीमाधन का ही लाभ प्राप्त होगा। जिसकी गणना शुरुआत से क्रमानुसार खरीदी गई पॉलिसियों से किया जायेगा।
अन्य सभी योजनाओं हेतु अधिकतम बीमाधन-
यदि कोई व्यक्ति एलआईसी की दूसरी कोई भी योजना खरीदता है, तो उसके जीवन पर जारी की गई सभी पूर्व और भविष्य की योजनाओं का दुर्घटना बीमाधन किसी भी रूप में ₹100 लाख से अधिक नहीं होगा। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन पर ₹100 लाख से अधिक का दुर्घटना बीमाधन खरीद भी लेता है और उसकी मृत्यु दुर्घटना की वजह से हो जाती है। तो उसके नॉमिनी को मात्र ₹100 लाख के दुर्घटना बीमाधन का ही लाभ प्राप्त होगा। जिसकी गणना शुरुआत से क्रमानुसार खरीदी गई पॉलिसियों से किया जायेगा।
न्यूनतम बीमाधन | ₹10,000/- |
प्रवेश के समय न्यूनतम आयु | 18 वर्ष पूर्ण होनी चाहिए |
प्रवेश के समय अधिकतम आयु | ADDB राइडर को पॉलिसी प्रीमियम भुगतान अवधि के दौरान किसी भी समय मूल पॉलिसी के वर्षगांठ से ठीक पहले कभी भी लिया जा सकता है, जिस पर निकटतम आयु 70 वर्ष तक होनी चाहिए। |
अधिकतम परिपक्वता आयु | 70 वर्ष (निकटतम जन्मदिन) |
पॉलिसी अवधि | पॉलिसी अवधि मूल योजना के तहत समान होगी या (70 - प्रवेश के समय आयु) वर्ष, जो भी पहले हो। |
प्रीमियम भुगतान अवधि | मूल योजना के अनुसार |
प्रीमियम भुगतान विधि | मूल योजना के अनुसार |
ADDB राइडर हेतु प्रीमियम-
एलआईसी योजनाओं में प्रीमियम का निर्धारण पॉलिसीधारक की उम्र और पॉलिसी अवधि पर निर्भर करता है। लेकिन यह नियम राइडर के लिए लागू नहीं होता है।
LIC ने ADDB राइडर का प्रीमियम निर्धारित करने के लिए अपनी पॉलिसियों को 3 श्रेणियों में विभाजित किया है। आइए समझते हैं कि पॉलिसी की ये 3 श्रेणियां क्या हैं और एडीडीबी राइडर प्रीमियम कैसे निर्धारित किया जाता है?
रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी-
एलआईसी ने एडीडीबी राइडर (एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसेबिलिटी बेनिफिट राइडर) के लिए रेगुलर प्रीमियम पॉलिसियों को प्रथम श्रेणी में रखा है। उन पॉलिसियों को रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी कहा जाता है, जिसमें बीमित व्यक्ति अपने पॉलिसी की प्रीमियम परिपक्वता तक नियमित रूप से भुगतान करता है।
यदि पॉलिसीधारक एलआईसी की रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी के साथ एडीडीबी राइडर लेता है। तो पॉलिसीधारक को ₹1.00 प्रतिवर्ष प्रति हजार बीमाधन के लिए दुर्घटना प्रीमियम जमा करना होगा। लेकिन यदि पॉलिसीधारक पुलिस ड्यूटी में है तब ऐसे पॉलिसीधारक को ₹1.50 प्रतिवर्ष प्रति हजार बीमाधन के लिए दुर्घटना प्रीमियम जमा करना होगा।
साधारण शब्दों में आप इसे ऐसे समझ सकते है कि यदि आप एक हजार रूपये का ADDB राइडर खरीदते है, तब आपको प्रतिवर्ष ₹1.00 प्रीमियम जमा करना होगा। लेकिन यदि आप पुलिस विभाग में कार्यरत है, तब आपको एक हजार रूपये के ADDB राइडर के लिए प्रतिवर्ष ₹1.50 प्रीमियम जमा करना होगा।
सिंगल प्रीमियम पॉलिसी-
एलआईसी ने एडीडीबी राइडर (एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसेबिलिटी बेनिफिट राइडर) के लिए सिंगल प्रीमियम पॉलिसियों को दूसरे श्रेणी में रखा है। उन पॉलिसियों को सिंगल प्रीमियम पॉलिसी कहा जाता है, जिसमें बीमित व्यक्ति अपने पॉलिसी की प्रीमियम सिर्फ एक बार जमा करता है।
यदि पॉलिसीधारक एलआईसी की सिंगल प्रीमियम पॉलिसी के साथ एडीडीबी राइडर लेता है और पॉलिसी का टर्म 10 वर्ष है, तब पॉलिसीधारक को प्रति एक हजार एडीडीबी राइडर बीमाधन के लिए ₹8.00 प्रीमियम जमा करना होगा। लेकिन यदि पॉलिसीधारक पुलिस ड्यूटी में है, तब उसकी उपरोक्त प्रीमियम ₹11.95 होगी।
यदि पॉलिसी का टर्म 15 वर्ष है, तब पॉलिसीधारक को प्रति एक हजार एडीडीबी राइडर बीमाधन के लिए ₹12.65 प्रीमियम जमा करना होगा। लेकिन यदि पॉलिसीधारक पुलिस ड्यूटी में है, तब उसकी उपरोक्त प्रीमियम ₹18.95 होगी।
यदि पॉलिसी का टर्म 20 वर्ष है, तब पॉलिसीधारक को प्रति एक हजार एडीडीबी राइडर बीमाधन के लिए ₹15.35 प्रीमियम जमा करना होगा। लेकिन यदि पॉलिसीधारक पुलिस ड्यूटी में है, तब उसकी उपरोक्त प्रीमियम ₹23.00 होगी।
लिमिटेड प्रीमियम भुगतान पॉलिसी-
एलआईसी ने एडीडीबी राइडर (एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसेबिलिटी बेनिफिट राइडर) के लिए लिमिटेड प्रीमियम भुगतान पॉलिसियों को तीसरे श्रेणी में रखा है। उन पॉलिसियों को लिमिटेड प्रीमियम भुगतान पॉलिसी कहा जाता है, जिसमें बीमित व्यक्ति को अपने पॉलिसी की प्रीमियम मैच्योरिटी तक जमा करने की जरुरत नहीं होती है। उदाहरण के लिए - यदि आप कोई ऐसी पालिसी खरीदने जा रहे है जो 20 वर्षो में मैच्योर होती है। लेकिन उस पॉलिसी की प्रीमियम 15 वर्ष ही जमा करनी है। तो ऐसे पॉलिसी को लिमिटेड प्रीमियम भुगतान पॉलिसी कहा जाता है।
20 वर्ष की अवधि के लिए लिमिटेड प्रीमियम भुगतान पॉलिसी, जिसमे प्रीमियम 15 वर्षो तक जमा करना हो, के साथ एडीडीबी राइडर (एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसेबिलिटी बेनिफिट राइडर) लेने पर, पॉलिसीधारक को प्रति एक हजार एडीडीबी राइडर बीमाधन के लिए ₹1.20 प्रीमियम जमा करना होगा। लेकिन यदि पॉलिसीधारक पुलिस ड्यूटी में है, तब उसकी उपरोक्त प्रीमियम ₹1.80 होगी।
एडीडीबी राइडर के लिए परिपक्वता लाभ-
पॉलिसी की परिपक्वता पर, एडीडीबी राइडर प्रीमियम के एवज में कोई लाभ नहीं दिया जाता है। इस राइडर का मूल उद्देश्य केवल दुर्घटना की स्थिति में पॉलिसीधारक को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
एडीडीबी राइडर के लिए सरेंडर वैल्यू -
पॉलिसी को सरेंडर करने पर, एडीडीबी राइडर प्रीमियम के बदले कोई लाभ नहीं दिया जाता है।
लेकिन यदि सिंगल प्रीमियम पॉलिसी अथवा लिमिटेड प्रीमियम भुगतान पॉलिसी के साथ एडीडीबी राइडर प्रीमियम जमा किया गया है। तब पॉलिसी धारक उन वर्षो के लिए भी एडवांस में एडीडीबी राइडर प्रीमियम जमा कर दिया होता है, जिस समय रिस्क लाभ तो मिलता है, लेकिन प्रीमियम जमा नहीं होती है। यदि ऐसी कोई पॉलिसी सरेंडर की जाती है तो शेष अवधि की राइडर प्रीमियम वापस कर दी जाती है।
उदाहरण के लिए- यदि आप एलआईसी की कोई ऐसी सिंगल प्रीमियम पालिसी खरीदते है, जो 15 वर्ष की अवधि के लिए हो और उसके साथ एडीडीबी राइडर प्रीमियम भी जमा करते है। तब आप पुरे 15 वर्षो की एडीडीबी राइडर प्रीमियम एक साथ जमा कर देते है।
अब मान लीजिये पॉलिसीधारक 5 वर्षो के बाद अपने इस पॉलिसी को सरेंडर करता है। तो प्रथम 5 वर्षो के लिए जमा राइडर प्रीमियम से कोई भुगतान नहीं होगा। लेकिन शेष अगले 10 वर्षो के लिए जो भी राइडर प्रीमियम होगी, पॉलिसी सरेंडर करने की स्तिथि में वापस हो जाएगी।
एडीडीबी राइडर के लाभ कब नहीं दिए जाते है-
यदि आप अपनी पॉलिसी में ADDB राइडर प्रीमियम जमा करने पर विचार कर रहे हैं ताकि आपको इस राइडर का लाभ मिलता रहे। फिर आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि निगम किन मामलों में ADDB राइडर के दावे को खारिज करता है। यहां दिए गए कारण मूल रूप से "दुर्घटना मृत्यु और विकलांगता लाभ राइडर" के लिए दिए जा रहे हैं। जो इस प्रकार है-
- यदि पॉलिसीधारक खुद को चोट पहुंचाता है, आत्महत्या का प्रयास करता है, किसी पागलपन अथवा अनैतिकता के दुर्घटना का शिकार हो जाता है, तब निगम ऐसे क्लेम को स्वीकार्य नहीं करती है। यदि पॉलिसीधारक की दुर्घटना किसी ऐसे कारण से होती है जब उसने नशीली शराब का सेवन किया हो अथवा कोई दूसरा नशीला पदार्थ अथवा कोई भी नशीली दवा खाया हो। तब भी निगम ऐसे क्लेम को स्वीकार नहीं करती है। यहाँ पर दवा के मामलो में ऐसे केश, जिसमे उपचार के उदेश्य से किसी प्रशिक्षित डॉक्टर की देखरेख में नशीली दवा का उपयोग हो। तब ऐसे मामले में उत्पन्न क्लेम स्वीकार किया जाता है।
- यदि पॉलिसीधारक किसी दंगो के कारण, किसी तरह के सिविल हंगामो के कारण, किसी भी प्रकार के घोषित एवं अघोषित युद्ध के कारण, आक्रमण, शिकार, पर्वतारोहण, स्टीपल चेज़िंग, किसी भी प्रकार की दौड़, पैराग्लाइडिंग या पैराशूटिंग, साहसिक खेलों में भाग लेने के कारण दुर्घटना का शिकार होता है। तब भी ऐसे क्लेम स्वीकार नहीं होते है।
- यदि पॉलिसीधारक किसी आपराधिक कार्यो को करते समय दुर्घटनाग्रस्त होता है। तब भी ऐसे क्लेम स्वीकार नहीं होते है।
- यदि पॉलिसीधारक सशस्त्र बलों अथवा सैन्य सेवा में कार्यरत होता है और इसकी वजह से वह किसी दुर्घटना का शिकार होता है। तब भी ऐसे क्लेम स्वीकार नहीं होते है। लेकिन यदि सशस्त्र बलों अथवा सैन्य सेवा में कार्यरत पॉलिसीधारक किसी ऐसे दुर्घटना में दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है जब वह अपने ड्यूटी में नहीं था, अथवा अपने देश की किसी प्राकृतिक आपदा का मुकाबला करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है। तब ऐसे मामले में उत्पन्न क्लेम स्वीकार किया जाता है।
- यदि पॉलिसीधारक किसी अर्धसैनिक बलों अथवा पुलिस ड्यूटी (जिसमें प्रशासनिक कार्य शामिल नहीं है) में कार्यरत है, और उसके ड्यूटी की वजह से दुर्घटना क्लेम होता है। तो निगम ऐसे क्लेम को स्वीकार नहीं करती है। यहाँ पर ध्यान देना होगा कि यदि पॉलिसीधारक पुलिस ड्यूटी में कार्यरत है और उसने पुलिस ड्यूटी में लगे हुए दुर्घटना में होने वाली दुर्घटना मृत्यु और विकलांगता लाभ को कवर करने का विकल्प चुना गया है। तब उसके क्लेम को स्वीकार्य किया जाता है।
- यदि पॉलिसीधारक किसी दुर्घटना में दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, लेकिन उसकी मृत्यु अथवा स्थाई विकलांगता दुर्घटना होने की तिथि से 180 दिनों के बाद होती है। तब भी ऐसे मामले में उत्पन्न क्लेम नहीं स्वीकार किया जाता है।
क्लेम के समय आवश्यक दस्तावेज-
आइये अब यह भी समझ लेते है कि यदि पॉलिसी अवधि के दौरान बीमाधारक दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, और मृत्यु अथवा स्थाई अपंगता के लिए दावा करना पड़ता है। तो किन-किन दस्तावेजों की जरुरत पड़ती है?
यहाँ पर जिन दस्तावेजों के विषय में बताया जा रहा है। वह केवल "एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसएबिल्टी राइडर" हेतु क्लेम क्लेम करने में आवश्यक होते है। मूल पॉलिसी हेतु निगम अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग कर सकती है।
- एफआईआर की प्रमाणित प्रति
- पुलिस जांच रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति
- पंचनामा की प्रति
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट
- समाचार पत्रों की प्रति (जिसमे दुर्घटना का विवरण प्रकाशित हुआ था)
- यदि किसी वाहन को चलाते समय पॉलिसीधारक की मृत्यु हुई है। तब पॉलिसीधारक का ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति
- मृत्यु के बारे में अनुमंडल दंडाधिकारी का अंतिम फैसले की प्रति
- यदि मृत्यु सर्पदंश, कुत्ते के काटने जैसी वजहों से होती है, अर्थात जब दुर्घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को नहीं दी जाती है, तो वैकल्पिक सबूत जैसे चश्मदीद गवाह का बयान, ग्रामसेवक या सरकार का हलफनामा देना पड़ता है।
- अस्पताल उपचार रिकॉर्ड, इत्यादि
यहाँ पर आपको यह ध्यान रखना होगा कि "एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसएबिल्टी राइडर" का क्लेम प्राप्त करने के लिए दुर्घटना की लिखित सुचना 90 दिनों के भीतर करना आवश्यक होगा। यदि दावे की सुचना 90 दिनों के बाद किया जाता है तो मूल पॉलिसी का क्लेम स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन "एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसएबिल्टी राइडर" का क्लेम अस्वीकार हो सकता है।
यदि स्थाई अपंगता हेतु क्लेम किया जा रहा है तब पॉलिसीधारक को 90 दिनों के भीतर सम्पूर्ण विवरण के साथ, इसकी सुचना निगम में प्रस्तुत करना जरुरी होता है। पॉलिसीधारक को चाहिए कि वह विवरण प्रस्तुत करते समय अपने वर्तमान पते का विवरण अवश्य प्रस्तुत करे। पॉलिसीधारक को स्वम के खर्च से विकलांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। विकलांगता प्रमाण पत्र पर विचार करने के बाद, निगम अपने अधिकृत चिकित्सा परीक्षक से पॉलिसीधारक की जाँच कराने के बाद ही दावे को स्वीकार्य करेगी।