21 April 2020

HUF: हिन्दू अविभजित परिवार के संदर्भ में सामान्य जानकारी

हम अपनी इस वेबसाइट के जरिये आप तक एलआईसी और जीवन बीमा से सम्बंधित छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जानकारी सरल शब्दों में उपलब्ध कराने का प्रयास करते है। हमारी आज की यह पोस्ट भी हमारी इसी कोशिस का एक हिस्सा है। 




यदि आप एलआईसी एजेंट है। तो आपने देखा होगा- जब भी आप एलआईसी के फॉर्म को भरते है। तब आपको बताना होता है कि आपका ग्राहक जो जीवन बीमा पालिसी लेना चाहता है। वह कैसे लेना चाहता है। वहाँ पर आपको उत्तर में - "व्यक्तिगत योजना/ नियोक्ता- कर्मचारी योजना / एच यु ऍफ़ / एम डब्लू पी" में से एक उत्तर लिखना होता है। 

यहाँ पर अधिकतम अभिकर्ता व्यक्तिगत योजना लिख देते है। लेकिन क्या आप जानते है कि HUF होता क्या है? यदि आप नहीं जानते है तो फिर यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा। 
HUF-HINDU-UNDIVIDED-FAMILY

HUF: Hindu Undivided Family

HUF किसे कहते है-

यदि आप HUF का शाब्दिक अर्थ देखे तो अंग्रेजी भाषा में "Hindu Undivided Family" और हिंदी भाषा में "हिन्दू अविभाजित परिवार" कहा जाता है। साधारण बोलचाल की भाषा में इसका अर्थ "हिन्दू संयुक्त परिवार" भी निकलता है। 

एक नज़र में, शब्दों के आधार पर HUF का अर्थ निकलता है, ऐसा हिन्दू परिवार जिसमे एक ही वंश के कई परिवार एक साथ रहते है। उसे "हिन्दू अविभाजित परिवार" कहा जाता होगा। परन्तु कानूनी रूप में, "हिन्दू अविभाजित परिवार" यह नहीं है। 

आयकर अधिनियम 1961, की धारा 2(31) में, HUF अर्थात हिन्दू अविभाजित परिवार को परिभाषित किया गया है। यहाँ पर सभी नियमो के उल्लेख भी है। 

आयकर अधिनियम 1961, की धारा 2(31) के अनुसार- HUF को एक व्यक्ति के रूप में माना जाता है। इस अधिनियम के तहत मूल्यांकन के उदेश्य के लिए HUF एक अलग इकाई माना गया है। 

हिन्दू कानून के अनुसार, HUF एक ऐसा परिवार होता है। जिसमे सभी व्यक्ति सामान्य रूप से एक ही सामान्य पूर्वज के वंशज होते है। HUF को किसी कॉन्ट्रैक्ट के तहत बनाया नहीं जा सकता है। बल्कि, हिन्दू परिवारों में यह स्वचालित रूप से बन जाता है। 

इस अधिनियम में बताया गया है कि, जैन और सिख परिवारो पर हिन्दू कानून लागू नहीं होते है। लेकिन इस अधिनियम के तहत जैन और सिख परिवारों को भी HUF माना जाता है। 

हिन्दू अविभाजित परिवार नहीं माना जायेगा-

अब प्रश्न यह उठता है कि जैसा कि आयकर अधिनियम 1961, की धारा 2(31) में, HUF को परिभाषित किया गया है, उसके अनुसार यदि एक ही पूर्वज के कई व्यक्ति एक साथ रहते हो। तो क्या उन्हें HUF मान लिया जायेगा। तो इसका उत्तर है नहीं। 

साधारण रूप से यदि इस बात को स्पष्ट किया जाये तो एक ही पूर्वज के एक से अधिक परिवार (जैसे- परिवार का मुखिया, उसके सभी बच्चे, उन बच्चो की पत्नियां और सभी बच्चे) एक साथ रहते हो तो क्या कानूनन उन्हें HUF माना जायेगा। 

सामान्य तौर पर हिन्दू समाज में ऐसे परिवारों को "हिन्दू संयुक्त परिवार" कहा जाता है। लेकिन भारतीय हिन्दू कानून के अनुसार, ऐसे परिवार को (जैसा की ऊपर पिछले पैराग्राफ में वर्णन किया गया है।) HUF अर्थात "हिन्दू अविभाजित परिवार" नहीं कहा जायेगा। 

भारतीय हिन्दू कानून के अनुसार, HUF किसे कहेंगे-

हिन्दू विभाजित परिवार बनाने के लिए, HUF के नाम से एक बैंक खाता खोलना अनिवार्य होता है। यह बैंक खाता परिवार के मुखिया के नाम से होता है। इस मुखिया को "कर्ता" के नाम से सम्बोधित किया जाता है। इस प्रकार के बैंक खाते में मुखिया के नाम के साथ HUF जुड़ा हुआ होता है। 

उदाहरण के लिए- किसी परिवार के मुखिया का नाम राघवेंद्र प्रताप है। यदि राघवेंद्र प्रताप जी HUF के लिए बैंक खाता खोलना चाहते है तो उनके बैंक खाते पर उनका नाम "राघवेंद्र प्रताप एंड सन्स HUF" लिखा रहेगा। 

बैंक खाता ओपन हो जाने के बाद, परिवार के मुखिया को इसी नाम से पैनकार्ड हेतु आवेदन करना होगा। जब पैनकार्ड बनेगा उस पर भी मुखिया के नाम के साथ HUF जुड़ा रहेगा। 

एलआईसी अभिकर्ताओं हेतु- प्यारे साथियो, पॉलिसी का प्रस्ताव भरते समय HUF उत्तर के रूप में तभी लिख सकते है जब आपके ग्राहक के पास HUF हेतु बैंक खाता और पैन कार्ड उपलब्ध हो। 

HUF से ग्राहक को क्या लाभ होगा- 

प्यारे साथियो, आज बहुत सारे ऐसे लोग भी है। जो किसी जॉब में है, लेकिन इसके आलावा भी उन्हें किसी अन्य श्रोत से आय हो रही है। 

उदाहरण के तौर पर- आप किसी व्यक्ति से मिलते है। वह व्यक्ति डॉक्टर, इंजिनियर या किसी अन्य जगह पर कार्यरत है। अब वह व्यक्ति जहाँ पर कार्य करता है वहाँ से उसे फीस के रूप में या फिर सैलरी इत्यादि के रूप में आय होती है। अब मान ले उस व्यक्ति को अपनी पैतृक सम्पत्ति से खेती योग्य भूमि मिली है। या फिर, अपने पूर्वजो का मकान अथवा दूसरी सम्पत्ति प्राप्त हुई है। इस सम्पत्ति की वजह से उसके पास एक अतिरिक्त आय होती है। 

अब जैसा कि आप जानते है कि हर व्यक्ति को जिसकी आय टैक्स योग्य है। अपने सभी प्रकार की आय की घोषणा करना अनिवार्य होता है। अब एक व्यक्ति जिसके पास अपनी आय के साथ साथ पैतृक संपत्ति के कारण अतिरिक्त आय हो रही है। यदि व्यक्तिगत आय के रूप में घोषणा करता है। तो उसके ऊपर टैक्स की लायबिल्टी कही ज्यादा हो जाएगी। 

लेकिन यदि वह व्यक्ति HUF बनवा लेता है तो सैलरी के आलावा अन्य सभी श्रोतो से हुई आय पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकता है। जैसा कि मैंने पहले बताया है कि आयकर अधिनियम 1961, की धारा 2(31) के अनुसार HUF को एक व्यक्ति के रूप में माना जाता है अर्थात HUF के अंतर्गत ग्राहक द्वारा जो भी आय घोषित की जाती है उस पर वह सभी टैक्स छूट मिलेगी। जो एक अलग व्यक्ति को मिलती है। आपका ग्राहक आयकर की सभी धाराओं (80C से लेकर 80U तक) पर यह लाभ प्राप्त कर सकता है। 

HUF कौन बना सकता है-

कोई भी हिन्दू, जैन, सिख और बौद्ध आयकर अधिनियम 1961, की धारा 2(31) के अनुसार HUF बना सकता है। लेकिन यदि आपका ग्राहक मुस्लिम, पारसी अथवा ईसाई है तो वह HUF नहीं बना सकता है। 

हिन्दू अविभाजित परिवार की विशेषताएं-

HUF में सर्वप्रथम यह महत्वपूर्ण होता है कि पूर्वजो की सम्पत्ति उनके वारिशों में बाटी गई नहीं होती है और उनके पास उनके पूर्वजो की कुछ व्यवसायिक सम्पत्ति भी होती है। चुकी संगठन का यह स्वरुप हिन्दू अधिनियम के अनुसार कार्य करता है। इस वजह से यहाँ पर उत्तराधिकार अधिनियम लागू होता है।

इस सम्पत्ति में सिर्फ पुरुष सदस्यों की हिस्सेदारी होती है। परन्तु हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में वर्ष 2005 में संसोधन किया गया है। इस संसोधन के बाद HUF के लिए लड़कियों को भी लड़को के बराबर अधिकार दे दिए गए है। इस संशोधन के उपरान्त बेटी की शादी होने के बाद भी वह अपने पिता के HUF की सदस्य बनी रहेगी और अपने पति के HUF की सदस्य भी बन जाएगी। 


हिन्दू अविभाजित परिवार हेतु कुछ नियम-

आपसी सहमति से एक ही परिवार के रूप में रहने मात्र से किसी व्यक्ति को HUF बनाने के लिए योग्य नहीं माना जा सकता है। इस हेतु HUF के लिए कुछ व्यवहारिक नियम भी होते है। जो कुछ इस प्रकार से है-
  • HUF के प्रबंधन की जिम्मेदारी अक्सर परिवार के सबसे बड़े आयु के सदस्य को मिलती है। कानूनी भाषा में इस सदस्य को "कर्ता" कहा जाता है। कर्ता अपनी सहायता के लिए परिवार के अन्य सदस्य को साथ ले सकता है। 
  • सदस्य अथवा कर्ता के मृत्यु होने के कारण HUF के अस्तित्व पर कोई असर नहीं पड़ता है। कर्ता के मृत्यु के उपरांत HUF का वरिष्ठ सदस्य कर्ता का स्थान ले लेता है। 
  • जब HUF परिवार के सदस्यों के बच्चे होते है। तो उस बच्चे को HUF परिवार के सम्पत्ति की सदस्यता स्वतः मिल जाती है। उस बच्चे को ऐसे परिवार का सदस्य बनाने के लिए कर्ता अथवा सदस्यों के बीच किसी प्रकार के समझौतों की आवश्यकता नहीं होती है। 
  • ऐसी महिला जो विवाह के उपरांत HUF का सदस्य बनती है। वह उस HUF की कर्ता नहीं बन सकती है। परन्तु यदि उस महिला का कोई नाबालिक बच्चा है। तो, अपने नाबालिक बच्चे की ओर से उस सम्पत्ति का प्रबंधन कर सकती है। 
  • HUF के सदस्यों की संख्या पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है। 
  • HUF की सम्पत्ति एवं उससे होने वाली आय का इस्तेमाल HUF के सदस्यों के भरण पोषण, शादी-विवाह, पढाई-लिखाई, इत्यादि के लिए कर्ता अपनी ईच्छानुसार कर सकता है। 
  • एक ही व्यक्ति एक समय में एक से अधिक HUF का सदस्य भी हो सकता है और एक ही व्यक्ति एक से अधिक HUF का कर्ता भी हो सकता है। 
  • जब तक HUF की सभी सम्पत्ति का बटवारा उसके सभी सदस्यों के बीच में नहीं हो जाता है। तब तक HUF का अस्तित्व बना रहता है। 
  • कर्ता के मृत्यु के बाद उस कर्ता का बड़ा बेटा उस HUF का कर्ता बन सकता है। लेकिन यदि बड़ा बेटा कर्ता नहीं बनना चाहता है। तब दूसरा बड़ा बेटा कर्ता बन सकता है। 

HUF के कर्ता के अधिकार-

हिन्दू अविभाजित परिवार के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति  को उस परिवार का मुखिया माना जाता है। जिसे कानूनी भाषा में कर्ता कहा जाता है। साधारण तौर पर आप इस मुखिया को "HUF मैनेजर" भी कह सकते है अर्थात यह ऐसा व्यक्ति होता है, जिसे हिन्दू अविभाजित परिवार के सम्पत्ति को मैनेज करने का स्वतंत्र अधिकार होता है। आइये समझते है कि HUF हेतु कर्ता के अधिकार क्या क्या होते है-
  • HUF की संपत्ति अथवा व्यवसाय के प्रति सभी प्रकार के निर्णय लेने का अधिकार "कर्ता अर्थात HUF मैनेजर" का होता है। 
  • "कर्ता अर्थात HUF मैनेजर" HUF की सम्पत्ति अथवा व्यवसाय, या फिर व्यवसाय से होने वाली आय के कारण किसी नई सम्पत्ति को खरीदने का निर्णय ले सकता है। वह HUF की संपत्ति अथवा व्यवसाय को किराए पर देने का निर्णय भी ले सकता है। यही नहीं वह जब चाहे HUF की संपत्ति अथवा व्यवसाय को बेच भी सकता है।
  • HUF के संपत्ति अथवा व्यवसाय से होने वाली आय को खर्च करने का पूर्ण अधिकार "कर्ता अर्थात HUF मैनेजर" के पास होता है। 
  • "कर्ता अर्थात HUF मैनेजर" HUF परिवार के दूसरे सदस्यों के सहमति के बिना भी HUF की सम्पत्ति अथवा व्यवसाय को अथवा इसके कारण होने वाली आय को खर्च करने का, विभाजित करने का अथवा ट्रांसफर करने का निर्णय भी ले सकता है। 
  • "कर्ता अर्थात HUF मैनेजर" HUF परिवार के दूसरे सदस्यों के सहमति के बिना भी किसी भी प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट अथवा कोम्प्रोमाईज़ कर सकता है। 
नोट- HUF के "कर्ता अर्थात HUF मैनेजर" के पास उपरोक्त सभी प्रकार के निर्णय लेने का स्वतंत्र अधिकार होता है। लेकिन उसके सभी निर्णय, HUF के सदस्यों के हितो को ध्यान में रखते हुए लिया जाना आवश्यक होता है। 

Coparceners किसे कहते है-

परिवार के ऐसे सदस्य जो पैतृक सम्पत्ति के जन्म से हिस्सेदार अथवा हकदार होते है। उन्हें "कोपरसेनेर्स" कहा जाता है। जिन्हे पैतृक संपत्ति के बटवारे के समय अपने हिस्सेदारी मांगने का अधिकार होता है। 2005 में हुए संसोधन के बाद बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार दिया गया है। 

यहाँ पर ध्यान देने की बात यह है कि बहु, दामाद और बेटियों के बच्चो को कोपरसेनेर्स के राइट्स नहीं मिलते है। लेकिन, यदि परोक्ष रूप से देखा जाये तो बहु को बेटे के माध्यम से, दामाद को बेटी के माध्यम से और बेटियों के बच्चो को उनके माँ के माध्यम से कोपरसेनेर्स के राइट्स मिल जाते है। बहु, दामाद और बेटियों के बच्चो को HUF की ओर से मेंटिनेंस मिल सकता है। जैसे खाना, कपड़ा, शादी-विवाह, मेडिकल के खर्च मिल सकते है। 

HUF के संदर्भ में कुछ महत्पूर्ण बातें- 

  • यदि HUF का कोई कोपरसेनेर अथवा सदस्य अपना धर्म बदल लेता है तो वह HUF का सदस्य नहीं माना जाता है। अर्थात उस समय से जब उसने अपना धर्म परिवर्तन किया हो उसकी HUF की सदस्यता समाप्त हो जाती है। 
  • कर्ता, HUF को संचालित करने के लिए सैलरी अथवा दूसरे फायदे ले सकता है। 
  • एक HUF के अंदर दूसरा HUF भी हो सकता है। उदाहरण के लिए- यदि कोई बेटा अपने पिता के प्रॉपर्टी में HUF का सदस्य अथवा कोपरसेनेर है और अपनी शादी के बाद वह अपना HUF बनाना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। जिसमे वह खुद कर्ता बन सकता है। 
यदि आप जानना चाहते है कि भारतीय कानून में नॉमिनेशन के नियम और अधिकार क्या है तो- क्लिक कीजिये 

HUF के कारण टैक्स लाभ क्या है-

दोस्तों यहाँ पर मैं एक सामान्य उदाहरण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ ताकि भविष्य में भी आप इसका लाभ समझ सके। इस उदाहरण में मैंने सिर्फ HUF को समझने के लिए सामान्य कैलकुलेशन को आधार बनाया है। जबकि टैक्स का कैलकुलेशन टैक्स स्लैब और विभिन्न प्रकार के छूट के आधार पर किया जाता है। 

हम HUF के फायदे को समझने के लिए मान लेते है कि श्री सुमित कुमार सिंह जी किसी कंपनी के इम्प्लाई है। जहाँ से उन्हें 18 लाख रूपये वार्षिक सैलरी प्राप्त होती है। सुमित जी को उनके पैतृक सम्पत्ति के जरिये 8 लाख रूपये वार्षिक आय होती है। 

अब हम यह मान लेते है कि सुमित जी जीवन बीमा पॉलिसी पर प्रति वर्ष 60 हज़ार रूपये जमा करते है। सुमित जी ने प्रति वर्ष रूपये 20 हज़ार की मेडिक्लेम पॉलिसी ले रखी है। इन्होने बच्चो की उच्च शिक्षा के लिए लोन लिया हुआ है और इस लोन के व्याज में प्रति वर्ष 18 हज़ार रूपये जमा कर रहे है। पीपीएफ में प्रति वर्ष 1,20,000 रूपये जमा करते है। 


आइये अब हम देखते है सुमित जी को कितना टैक्स जमा करना पड़ेगा

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उपरोक्त में सुमित कुमार सिंह जी की कुल आय (18 लाख रूपये स्वम की सैलरी और 8 लाख रूपये पैतृक सम्पत्ति से ) रूपये 26,00,000 है। सुमित जी को सेक्शन 88C से अधिकतम रूपए 1,50,000 का लाभ मिल जायेगा। क्योकि वह प्रति वर्ष रूपये 60,000 एलआईसी की प्रीमियम और रूपये 1,20,000 पीपीएफ में जमा कर रहे है। इसीप्रकार सेक्शन 80D एवं 80E से क्रमशः रूपये 20,000 और रूपये 18,000 का लाभ प्राप्त होगा। इस प्रकार कुल टैक्स डिडक्शन रूपये 1,88,000 का हो जायेगा।

अर्थात सुमित कुमार जी की पुराने टैक्स स्लैब के आधार पर जो टैक्सेबल आय होगी। वह रूपये 24,12,000 होगी। यदि नए टैक्स स्लैब को आधार मानते है तब 26,00,000 रूपये ही टैक्सेबल आय (वित्तीय वर्ष 2020 के बजट के आधार पर) मानी जाएगी।

नोट- यहाँ पर Standard Deduction, HRA, LTA/LTC, PT & Ent. Allowance इत्यादि को इग्नोर किया गया है। जबकि टैक्स कैलकुलेशन में यह सभी चीज़े ध्यान में रखी जाती है। क्योकि यहाँ पर उदेश्य सिर्फ HUF के फायदे को समझना है। तो उसी को आधार बनाकर सामान्य कैलकुलेशन किया जा रहा है।

इस प्रकार यदि व्यक्तिगत तौर पर सुमित कुमार जी टैक्स देते है तो पुराने टैक्स स्लैब के जरिये 5,57,544 रूपये टैक्स के रूप में जमा करना होगा। वही पर यदि नए टैक्स स्लैब को चुनते है तो 5,38,200 रूपये टैक्स के रूप में जमा करना होगा।

यदि सुमित जी HUF कराते है तब टैक्स में क्या परिवर्तन होंगे-

यदि सुमित जी अपने पैतृक सम्पत्ति को HUF कराते है तो वह अपने आय पर अलग टैक्स फाइल करेंगे और HUF हेतु अलग टैक्स फाइल होगा। यहाँ पर हम यह मानकर चलते है कि सभी सेक्शन के बचत वह सैलरी वाले टैक्स फाइल में उपयोग करते है फिर देखते है क्या परिवर्तन देखने को मिलता है।

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उपरोक्त कैलकुलेशन को देखने के बाद आप जान पाए होंगे कि HUF के कारण टैक्स में कितना बड़ा लाभ मिल सकता है।


मेरे विचार-

प्यारे अभिकर्ता साथियो, एक अभिकर्ता के लिए जानकारी बहुत जरुरी होती है। यदि आप बड़ा बीमा पॉलिसी बेचना चाहते है तो इसके लिए आपको इस प्रकार की लाभप्रद जानकारी से अपने ग्राहक को अपडेट करते रहना होगा। हमारा मानना है कि कोई भी व्यक्ति आपके साथ लेनदेन करना तभी पसंद करता है जब उस व्यक्ति को आप के साथ जुड़ने में फायदा महसूस होता है। मुझे यकीन है जब आप अपने ग्राहकों के बीच में इस प्रकार की जानकारी की चर्चा करेंगे। तो यह न केवल आपके छवि को प्रोफेशनल रूप देगा। बल्कि आपकी सफलता में बड़ा योगदान भी प्रदान करेगा।

एक दिल को छू जाने वाला मार्मिक पत्र जो एक बेटी ने अपने पिता को लिखा है, एक बार जरूर पढ़िए- क्लिक कीजिये 

Disclaimer-
इस पेज में किया गया कैलकुलेशन सिर्फ HUF से क्या लाभ होता है इसको समझाने का एक उदाहरण मात्र है। हमारे इस कैलकुलेशन को आधार मानकर टैक्स से सम्बंधित कोई निर्णय न ले। टैक्स से सम्बंधित किसी भी निर्णय को करने के लिए आपके लिए हमारी राय होगी कि एक्सपर्ट की राय आपको जरूर लेनी चाहिए।

इस पोस्ट को लिखने का उदेश्य सिर्फ इतना है कि एक एलआईसी अथवा जीवन बीमा एजेंट अपने पॉलिसी धारको को इस प्रकार की जानकारी देकर उन्हें लाभ के लिए जागरूक कर सके।

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2 comments:

  1. Sir, एक आदमी ने सेल्फ यानी पैतृक नहीं है मकान खरीदा है और उसका रेंट आता है तो उस इंकम को सेल्फ इंकम में शो करेंगे या huf मे कर सकते हैं?

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