11 April 2020

What is KYC & CKYC | KYC और CKYC क्या होता है













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What is KYC
KYC और CKYC क्या होता है 

KYC क्या होता है-

KYC का पूरा नाम होता है- नो योर कस्टमर (Know Your Customer). सभी बैंक, बीमा कम्पनियाँ और दूसरे सभी फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट अपने ग्राहकों की पहचान के लिए KYC का प्रयोग किया करते है। KYC के जरिये ग्राहक के फोटो की पहचान एवं ग्राहक के पते का सत्यापन किया जा सकता है। 

भारत सरकार ने किसी व्यक्ति की पहचान के लिए कुल 6 प्रकार के दस्तावेजों को KYC के लिए प्रामाणित दस्तावेज की मान्यता प्रदान की है। भारत में किसी बैंक, पोस्ट ऑफिस, जीवन बीमा पॉलिसी अथवा साधारण बीमा पॉलिसी, या फिर किसी भी दूसरे फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट में खाता ओपन करना हो अथवा किसी खाते को क्लोज करना हो या फिर किसी प्रकार की लेन देन करनी हो। सम्बंधित विभाग अपने ग्राहक से KYC की मांग कर सकता है। 

कोई भी ग्राहक किसी बैंक, पोस्ट ऑफिस, बीमा कंपनी अथवा किसी भी दूसरे फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट में एक बार KYC जमा कर देता है। उसके बाद भी वह कंपनी अथवा इंस्टिट्यूट अपने रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए एक खास समय के बाद कभी भी अपने ग्राहक से KYC की मांग कर सकता है।

KYC के सन्दर्भ में जानकारी वीडियो के जरिये प्राप्त करने के लिए- क्लिक कीजिये 

सामान्यतया KYC की आवश्यकता कहाँ होती है-

बैंक में किसी भी प्रकार का खाता खोलने, जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने, म्यूच्यूअल फण्ड अकाउंट, पोस्ट ऑफिस की योजनाओ का लाभ प्राप्त करने, इत्यादि निवेश करने अथवा किये गए निवेश की निकासी करने में KYC की जरुरत पड़ती है। 

KYC की वजह से ग्राहक को क्या लाभ होता है-

इसे हम इस प्रकार समझ सकते है कि मान लीजिये "राम मोहन सिंह जी" ने एक बैंक ने अपना एक खाता खोला। बैंक में नया खाता खोलने से पहले बैंकर द्वारा फोटो पहचान पत्र और निवास प्रमाण पत्र माँगा गया। राम मोहन सिंह जी ने अपना खाता खोलने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस जमा किया। अब चुकी ड्राइविंग लाइसेंस पर राम मोहन सिंह जी का फोटो और पता दोनों ही लिखा हुआ था। तो इस आधार पर बैंक ने राम मोहन सिंह जी का नया बैंक अकाउंट अपने बैंक में शुरू कर दिया। 
भारत में एक ही नाम के कई लोग मिल जाते है। अब मान लीजिये कोई एक ऐसा व्यक्ति है जिसका नाम भी राम मोहन सिंह ही है। यह दूसरा व्यक्ति यदि मूल राम मोहन सिंह के खाते में जमा किये हुए पैसे के लिए दावा करता है। तो बैंकर के पास जाँच करने के साधन उपलब्ध होंगे। बैंकर दावा करने वाले राम मोहन सिंह से उनका KYC मांग करती है। KYC में ग्राहक का नाम, उसके पिता का नाम, उसकी जन्मतिथि उसका पूरा पता, इत्यादि चीज़ो की जानकारी दर्ज होती है। 
अर्थात बैंकर अपने मूल ग्राहक की पहचान कर पाने में सक्षम होगा। इस प्रकार हम यह कह सकते है कि KYC के कारण कोई भी बैंक, पोस्ट ऑफिस, बीमा कंपनी अथवा कोई भी दूसरा फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट अपने ग्राहक को सुरक्षित करता है। 

KYC हेतु प्रामाणिक दस्तावेज क्या है-

  • पासपोर्ट, पैनकार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र और एनआरजीए कार्ड KYC हेतु मानक प्रमाण पत्र माने गए है। 
  • आपको इनमे से किसी एक दस्तावेज को अपनी पहचान को सत्यापित करने हेतु देना आवश्यक होता है। 
  • उपरोक्त दस्तावेजों में फोटो के साथ साथ पते का विवरण होता है अतः इन दस्तावेजों को निवास प्रमाण पत्र के रूप में भी स्वीकार्य किया जा सकता है। 


निवास प्रमाण पत्र हेतु मान्य दस्तावेज क्या है-

यदि कोई व्यक्ति अपने निवास स्थान का कोई सही प्रमाण (उपरोक्त दस्तावेजों के अनुसार) प्रस्तुत नहीं कर पाता है, तो निवास प्रमाण पत्र के रूप में कुछ अन्य दस्तावेजों को भी वैधानिक मान्यता दी गई है। निवास प्रमाण पत्र के रूप में आप उनका उपयोग कर सकते है। 
राशन कार्ड, पासपोर्ट, नियोक्ता द्वारा जारी अप्वाइंटमेंट लेटर, टेलीफोन बिल, बिजली का बिल, गैस का रिफलिंग बिल, बैंक अकाउंट का ऑनलाइन स्टेटमेंट, कमर्शियल बैंको के बैंक मैनेजर द्वारा भेजा गया पत्र। इन दस्तावेजों को निवास प्रमाण पत्र के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। 

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What is CKYC

CKYC क्या होता है-

भारत में KYC की ही तरह एक अन्य भी KYC प्रक्रिया होती है, जिसे CKYC अथवा सेंट्रल केवाईसी के नाम से जाना जाता है। CKYC कार्यक्रम की घोषणा भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2012-2013 के केंद्रीय बजट में की थी। लेकिन यह सम्पूर्ण भारत में वर्ष 2016 से लागू किया गया है। CKYC का प्रबंधन The Central Registration of Securitization and Asset Reconstruction and Security Interest of India अर्थात CERSAI के द्वारा किया जाता है। 

सेन्ट्रल केवाईसी अर्थात CKYC के माध्यम से भारत सरकार का प्रयास रहा है कि सभी वित्तीय सेक्टर की KYC को सिंगल विंडो में लाया जा सके। एक बार CKYC के साथ आपका केवाईसी पूर्ण हो जाने के बाद, इसे फिर से करने की जरुरत नहीं होती है। 

CKYC का क्या लाभ-

KYC का प्रयोग भारत में लगभग सभी प्रमुख संस्थनो द्वारा किया जाता है। लेकिन केंद्रीय स्तर पर होने वाली KYC प्रक्रिया को CKYC अथवा सेंट्रल केवाईसी कहते है। CKYC का प्रयोग मुख्यतः बीमा कंपनियों, म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों एवं एनबीएफसी के द्वारा किया जाता है। 
चुकी CKYC का रजिस्ट्रेशन केंद्रीय स्तर पर किया जाता है। अतः देश के ऐसे सभी नागरिक जो अपनी वित्तीय लेन-देन केंद्रीय स्तर पर करते है। उनका रिकॉर्ड केंद्रीय स्तर पर संभाल कर सुरक्षित रखा जा सकता है। इस रिकॉर्ड की ऑनलाइन उपलब्धता के कारण वित्तीय संस्थानों को अपने किसी भी ग्राहक की पहचान करना काफी आसान हो जाता है। 

CKYC का उदेश्य-

देश के नागरिको को अपनी वित्तीय पहचान प्रमाणित करने में आसानी हो। इस उदेश्य के तहत CKYC की प्रक्रिया शुरू की गई है। CKYC से पहले म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों के द्वारा, बैंक और बीमा कंपनियों के द्वारा अलग अलग समय पर KYC हेतु बोला जाता था। लेकिन वर्तमान में CKYC के लागू होने के बाद सभी ग्राहकों की पहचान, निवास और वित्तीय सूचनाएं एक ही सरवर पर मौजूद रहती है। एक ही सरवर पर उपलब्ध डेटा के कारण ऑथोराइज्ड संस्था आवश्यकता पड़ने पर जाँच किया जा सकता है। हमारे अनुमान से, CKYC का उदेश्य पुरे देश में मौजूद सभी वित्तीय संस्थाओ के बीच मौजूदा खाई को भरकर असमानता को ख़त्म करना है। 

CKYC कराने के लिए बेहतर विकल्प-

यदि आप CKYC कराना चाहते है। तो आपके लिए हमारी राय होगी कि आप भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मान्यता प्राप्त विनियमित संस्थाओ से सम्पर्क करे। CKYC प्रक्रिया का संचालन SEBI, IRDA एवं PERDA के द्वारा किया जाता है। आप म्यूच्यूअल फण्ड, बीमा एवं स्टॉक ब्रोकर से भी इस हेतु सम्पर्क कर सकते है। लेकिन इसके लिए आपको यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि वह SEBI के द्वारा विनियमित जरूर होना चाहिए। 

CKYC के लिए आवश्यक दस्तावेज-

CKYC के लिए आपको एक फॉर्म भरना पड़ता है। इस फॉर्म को आप किसी भी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) से प्राप्त कर सकते है। इस फॉर्म को AMC/KRA की वेबसाइट से अथवा रजिस्ट्रार की वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है। हालाँकि CKYC फॉर्म को भरते समय पैन नंबर की जानकारी देना आवश्यक नहीं है। लेकिन फिर भी यह सिक्योरिटी मार्किट के KYC के हिसाब से जरुरी है। अतः यहाँ पर आपको इस सन्दर्भ में भी जानकारी देना जरुरी हो जाता है। CKYC के फॉर्म को भरते समय आपको निवेशक का पुरा नाम, जन्मतिथि, माँ का नाम, आधार नंबर, इत्यादि जैसी जानकारी देना अनिवार्य हो जाता है। 

CKYC फॉर्म के साथ निम्नलिखित दस्तावेज जमा करना जरुरी होता है-
  • एक पासपोर्ट साइज कलर फोटो 
  • पहचान प्रमाण पत्र- पहचान प्रमाण पत्र के लिए पासपोर्ट, पैनकार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, इत्यादि में से किसी भी एक दस्तावेज की स्वहस्ताक्षरित की हुई छाया प्रति 
  • निवास प्रमाण पत्र- निवास प्रमाण पत्र के लिए राशन कार्ड, पासपोर्ट, टेलीफोन बिल, बिजली का बिल, गैस का रिफलिंग बिल, इत्यादि में से किसी भी एक दस्तावेज की स्वहस्ताक्षरित की हुई छाया प्रति
  • CKYC फॉर्म के सभी प्रश्नो के उत्तर सही सही भरकर और अपने हस्ताक्षर से प्रमाणित करने के बाद पूर्ण फॉर्म और उपरोक्त दस्तावेज को व्यवस्थित करना होता है। 

CKYC हेतु प्रक्रिया क्या होती है-   

CKYC फॉर्म भरने के बाद उपयुक्त कम्पनी द्वारा सत्यापित कराया जाता है। सूचनाएं वेरिफाई हो जाने के बाद एक यूनिक KIN जनरेट किया जाता है। यहाँ KIN का अर्थ केवाईसी आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है। जो कि 14 डिजिट का होता है। जब एक बार यह 14 अंको का KIN जनरेट हो जाता है, इसकी जानकारी निवेशक को एसएमएस अथवा ईमेल के माध्यम से दिया जाता है।


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