09 November 2023

टर्म इंश्योरेंस प्लान | टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी क्या है

टर्म इंश्योरेंस प्लान

टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी क्या है


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जीवन बीमा बाजार के इस नवीनतम लेख में हम आपका स्वागत करते हैं। आज के इस लेख में हम टर्म इंश्योरेंस के विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। हम यह भी जानेंगे कि टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं।


हालाँकि इस विषय की जानकारी विभिन्न भारतीय जीवन बीमा कंपनियों की वेबसाइट पर विस्तार से दी गई होती है। लेकिन ऐसी वेबसाइट पर कुछ ऐसे जटिल शब्दों का उपयोग किया गया होता है कि जन-सामान्य को समझने में मुश्किल होती है। इसलिए हम टर्म इंश्योरेंस के बारे में जानकारी इस तरह शामिल करने का प्रयास करेंगे कि आप इसे आसानी से समझ सकें।





टर्म जीवन बीमा क्या होता है-

टर्म इंश्योरेंस, मूल रूप से दो शब्दों से मिलकर बना होता है - टर्म और इंश्योरेंस। टर्म शब्द का अर्थ होता है समय, और इंश्योरेंस शब्द का अर्थ होता है बीमा। यानि अगर आप एक ऐसा बीमा खरीदते हैं जो एक निश्चित समय के लिए होता है उसे टर्म इंश्योरेंस कहा जाता है।


लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि अधिकांश जीवन बीमा योजनाएं एक निश्चित अवधि के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान करती हैं। तो अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि फिर टर्म इंश्योरेंस क्या है?


वास्तव में, टर्म इंश्योरेंस एक तरह की जीवन बीमा पालिसी ही होती है जो एक निश्चित अवधि के लिए खरीदी जाती है। यदि पॉलिसी अवधि के भीतर बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है, तो बीमा कंपनी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी में उल्लिखित नामित व्यक्ति को बीमा राशि का भुगतान करती है।


टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी की दूसरी महत्वपूर्ण विशेषता यह होती है कि ऐसी पॉलिसियों की प्रीमियम दूसरी जीवन बीमा पॉलिसियों की तुलना में बहुत ही कम होती है। इसके आलावा अगर टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी तिथि तक बीमाधारक जीवित रहता है तो इस पॉलिसी में जमा प्रीमियम के बदले में उसे कोई भुगतान प्राप्त नहीं होता है।



टर्म इंश्योरेंस को एक उदाहरण से समझें-

मान लीजिये कि रमेश कुमार जी की उम्र 30 वर्ष की है और वह ₹50 लाख की एक जीवन बीमा पॉलिसी खरीदना चाहते है, जिसका पॉलिसी टर्म 25 वर्ष का हो। तो उनके पास दो विकल्प हो सकते है। पहला विकल्प यह की वह कोई पारम्परिक जीवन बीमा पॉलिसी खरीद लें। दूसरा यह की वह एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद लें।


मैं टर्म इंश्योरेंस को समझने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम की न्यू एंडोमेंट पॉलिसी (जो कि एक पारम्परिक जीवन बीमा पॉलिसी है) और टीच टर्म पालिसी (जो कि एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी है) को उदाहरण के लिए चयन कर रहा हूँ।


प्रीमियम में अन्तर-

अगर रमेश कुमार जी एक पारम्परिक जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते है तो उनको प्रतिवर्ष लगभग ₹1,92,985 प्रीमियम के रूप में जमा करना होता है। लेकिन अगर वह एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं तो उनको प्रतिवर्ष लगभग ₹5,487 ही जमा करना पड़ेगा।





मृत्युदावा में अंतर-

अगर रमेश कुमार जी की मृत्यु 25 वर्षो की अवधि के भीतर हो जाती है और उन्होंने एक पारम्परिक जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी है, तब उनके नॉमिनी को उनकी जीवन बीमा पॉलिसी से ₹50 लाख प्राप्त होगा एवं अगर उनकी इस जीवन बीमा पॉलिसी पॉलिसी में कुछ बोनस इकट्ठा होगा तो वह भी दे दिया जायेगा।


लेकिन अगर रमेश कुमार जी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं और पॉलिसी अवधि के भीतर उनकी मृत्यु हो जाती है, तो उनके नॉमिनी को उनकी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी से सिर्फ ₹50 लाख ही प्राप्त होगा।


लोन में अंतर-

एक पारम्परिक जीवन बीमा पॉलिसी से एक निश्चित अवधि के बाद लोन लिया जा सकता है। लेकिन एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी से पूरी पॉलिसी अवधि में कभी भी लोन नहीं लिया जा सकता है।


सरेंडर में अंतर-

एक पारम्परिक जीवन बीमा पॉलिसी को एक निश्चित अवधि के बाद सरेंडर किया जा सकता है। लेकिन एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी को कभी भी सरेंडर नहीं किया जा सकता है।


मैच्योरिटी में अंतर-

जब पारम्परिक जीवन बीमा पॉलिसी मैच्योर होती है तो ग्राहक को उस पॉलिसी की मैच्योरिटी पर बड़ी रकम प्राप्त होती है। लेकिन जब एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी मैच्योर होती है तो बीमाधारक को उसके पॉलिसी से कोई धनराशि नहीं प्राप्त होती है।










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