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हमारा उद्देश्य है एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाना, जहाँ ज्ञान से विश्वास पैदा हो और विश्वास से हर जीवन और भी सशक्त हो सके।

रितेश कुमार उपाध्याय

संस्थापक: जीवन बीमा बाजार

25 अक्टूबर 2025

   

गलत इंश्योरेंस पॉलिसी से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका

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कई बार, हम बिना पूरी जाँच-पड़ताल किए बीमा पॉलिसी खरीद लेते हैं। हम एजेंट की सलाह, बैंक शाखा की सिफ़ारिश या ऑफ़र के आधार पर "हाँ" कह देते हैं और बाद में पता चलता है कि पॉलिसी हमारे लिए सही नहीं है। फिर क्या? जब आप सोच रहे हों कि इस स्थिति से कैसे बाहर निकलें, तो आपके पास एक बहुत ही आसान सा अधिकार है—फ्री लुक पीरियड। क्या आपको पता है कि आपके पास यह अधिकार है? आइये इसको जानते हैं...

    मिस-सेलिंग क्या है और यह कैसे होती है

    इंश्योरेंस मिस-सेलिंग का मतलब है कि पॉलिसी बेचते समय आपको पूरी और सटीक जानकारी नहीं दी जाती या आपको ऐसा उत्पाद बेचा जाता है जो आपकी ज़रूरतों को पूरा नहीं करता। उदाहरण के लिए,

    • एजेंट ने पॉलिसी के महत्वपूर्ण अपवादों का खुलासा नहीं किया।
    • बैंक शाखा के माध्यम से पॉलिसी बेची गयी लेकिन उसमें फायदे कम-नुकसान अधिक थे।
    • आपको पॉलिसी केवल "इक्विटी रिटर्न" या "आकर्षक लाभ" दिखाकर बेची गई थी।

    ऐसी स्थिति में, आप एक "गलत इंश्योरेंस पॉलिसी" के जाल में फँस सकते हैं - जिससे बचने का मुख्य उपाय यह है कि पॉलिसी खरीदने के तुरंत बाद उसके दस्तावेज़ों को अच्छी तरह से पढ़ें और समझें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप ऐसी गलत विक्री में बुरी तरह फंस सकते हैं और जिससे बाद में निकलना आपके लिए मुश्किल हो सकता है।

    “फ्री लुक पीरियड” की परिभाषा और अवधि

    फ्री-लुक पीरियड का अर्थ है, पॉलिसी प्राप्ति के बाद का वह समय, जिसके दौरान आप उसकी समीक्षा कर सकते हैं और तय कर सकते हैं कि यह आपके लिए सही है या नहीं।

    भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) के अनुसार, जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए यह अवधि न्यूनतम 15 दिन और ई-पॉलिसी या दूरस्थ-आधारित पॉलिसियों के लिए अधिकतम 30 दिन हो सकती है।

    यह सुविधा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर भी लागू होती है, यदि पॉलिसी अवधि कम से कम तीन वर्ष है। बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 के बाद जारी पॉलिसियों के लिए नियमित तौर पर 30 दिन का फ्री लुक पीरियड लागू हुआ है।

    इस प्रकार यह अवधि आपको यह “सत्यापित करने का मौका” देती है कि पॉलिसी वास्तव में वैसी ही है जैसा आपको समझाया गया था।

    फ्री लुक पीरियड का लाभ उठाने की प्रक्रिया

    आप सोच रहे होंगे कि जरुरत पड़ने पर इस अधिकार का उपयोग कैसे किया जा सकता है? आइए इस सरल प्रक्रिया को समझते हैं:

    • जैसे ही आपको पॉलिसी बांड प्राप्त होता है, उसे तुरंत पढ़े। खासतौर से पॉलिसी के नियमों के अनुसार रिस्क कवर, एक्सक्लूज़न, प्रीमियम भुगतान शर्तें ध्यान से पढ़े।
    • यदि आपको लगता है कि पॉलिसी आपकी ज़रूरतों को पूरा नहीं करती, उदाहरण के लिए, विक्री के समय जैसा बताया गया था वैसा नहीं है, तो पॉलिसी बांड के प्राप्ति की तारीख से फ्री लुक पीरियड के भीतर ही पॉलिसी को रद्द करने के लिए सम्बंधित शाखा कार्यालय में लिखित अनुरोध करें।
    • सम्बंधित शाखा कार्यालय में मूल पॉलिसी बांड, प्रीमियम की रसीद और आपके बैंक खाते का विवरण जमा करें। ध्यान रहे: जमा करने से पूर्व सभी दस्तावेजों की छाया प्रति अपने पास सुरक्षित रखें और शाखा कार्यालय में दस्तवेजो को जमा करने का प्रमाण पत्र (रिसीविंग) जरूर प्राप्त करें।
    • जीवन बीमा कंपनी आपके अनुरोध का अवलोकन करेगी और प्रक्रिया को पूर्ण होते ही आपके बैंक खाते में, आपकी जमा राशि वापस कर देगी। नीचे अगले सेक्शन में बताया गया है कि कैसे।

    यह प्रक्रिया सरल है और आपका समय बचाती है तथा वित्तीय नुकसान को कम करती है।

    रिफंड और खर्च कटौती की व्याख्या

    आपके लिए यह जानना बेहद जरुरी है कि यदि आप फ्री लुक पीरियड के भीतर पॉलिसी को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करते हैं, तो आपको क्या भुगतान मिलेगा और क्या काटा जाएगा? आइये इसे समझते हैं-

    • अगर आपने इस अवधि के दौरान कोई दावा दायर नहीं किया है, तो आप अपना प्रीमियम वापस पा सकते हैं।
    • हालाँकि, कुछ कटौतियाँ लागू होती हैं, जैसे:
      • चिकित्सा जाँच का खर्च
      • स्टाम्प ड्यूटी या पॉलिसी जारी करने का खर्च।
      • अगर पॉलिसी का जोखिम कवरेज पहले ही शुरू हो चुका है, तो कवरेज अवधि के लिए आनुपातिक प्रीमियम वसूला लिया जा सकता है।

        उदाहरण के लिए: मान लीजिये कि मूल पॉलिसी बांड प्राप्ति के 10 दिनों के बाद, आप पॉलिसी रद्द करने के लिए आवेदन करते हैं। तो उस तात्कालिक तिथि तक, पॉलिसी से आपको रिस्क कवर का लाभ मिल रहा था, अतः उस तिथि तक जोखिम प्रीमियम कटौती किया जा सकता है।

    तरीका सरल है: जैसे ही आपको कोई कठिनाई आए, प्रक्रिया शुरू कर दें। क्योंकि, ये अधिकार फ्री लुक पीरियड समाप्त होने के बाद समाप्त हो जाता है।

    किन पॉलिसियों पर लागू है और किन पर नहीं

    इससे पहले की आप इस प्रक्रिया के लिए अपने कदम बढ़ाएं, आपको यह जानना भी बेहद जरुरी है कि "फ्री लुक पीरियड" का नियम किन पॉलिसियों के लिए लागू होता है और किन पॉलिसियों के लिए नहीं। आइये इस बारे में जानते हैं-

    • जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए यह अनिवार्य रूप से लागू होता है।
    • यह स्वास्थ्य पॉलिसियों पर तभी लागू होता है जब पॉलिसी अवधि कम से कम तीन वर्ष हो।
    • सामान्य बीमा, जैसे- वाहन, घर आदि के बीमे में आमतौर पर यह सुविधा प्रदान नहीं करते हैं। इसलिए सामान्य बीमा की पॉलिसी खरीदते समय कृपया इसकी जाँच कर लें।
    • यदि आप अपनी किसी बंद पड़ी पॉलिसी को पुनः चालू (रिवाइव) कराते हैं, तो ऐसी पॉलिसियों के लिए भी यह नियम लागू नहीं होता है।

    इसलिए, पॉलिसी खरीदते समय तुरंत जाँच लें कि आपके द्वारा खरीदी गई योजना इस अधिकार के अंतर्गत आती है या नहीं।

    IRDAI की भूमिका और उपभोक्ता अधिकार

    भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने यह सुविधा पूरी तरह से लागू कर दी है ताकि बीमा उपभोक्ताओं को "गलत इंश्योरेंस पॉलिसी" की बिक्री से बचाया जा सके।

    IRDAI (पॉलिसीधारक पोर्टल) के अनुसार, बीमाकर्ता की ज़िम्मेदारी है कि वह पॉलिसी बांड प्राप्त होने पर, पॉलिसीधारक को सूचित करे कि उनके पास एक फ्री लुक पीरियड उपलब्ध है।

    यहाँ पर आईआरडीए ने उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया है यदि उन्हें बीमा कंपनी, उसके एजेंट अथवा अन्य के द्वारा पॉलिसी की सही जानकारी नहीं दी गई हो, तो वह पॉलिसी बांड प्राप्त होने के बाद से फ्री लुक पीरियड के भीतर पॉलिसी को निरस्त करवा सकते हैं। आईआरडीए का यह प्रयास “इंश्योरेंस कंज्यूमर राइट्स” को मजबूत बनाता है।

    आईआरडीए द्वारा बनाया गया यह नियम बाध्य करता है कि बीमा एजेंट और कंपनियां उपभोक्ताओं के साथ पारदर्शी व्यवहार करें।

    सजग ग्राहक के लिए सीख

    क्या करें-

    • पॉलिसी बांड प्राप्त होते ही उसे तुरंत पढ़ें। मुख्य रूप से यह देखें कि पॉलिसी बांड में कवरेज, बहिष्करण, प्रीमियम की शर्तें क्या है?
    • अगर आपको कुछ समझ न आए, तो एजेंट अथवा बीमा कंपनी से तुरंत पूछताछ करें।
    • पॉलिसी बांड प्राप्त होने की तारीख नोट कर लें, क्योकि तभी से फ्री लुक पीरियड शुरू होती है।
    • अगर आपको पॉलिसी की ज़रूरत नहीं है, तो फ्री-लुक अवधि के दौरान लिखित अनुरोध जमा करें।
    • रिफ़ंड प्रक्रिया और कटौतियों के बारे में पहले से पता कर लें।

    क्या न करें-

    • "अतिरिक्त लाभ" या "बहुत कम प्रीमियम" के लालच में आकर, बिना पढ़े पॉलिसी न खरीदें।
    • पॉलिसी बांड प्राप्त करने के तुरंत बाद, इसे तुरंत पढ़ने पर विचार करें - हो सकता है कि बाद में आपके पास फ्री लुक अवधि का लाभ उठाने का समय न बचे।
    • एजेंट द्वारा दी गई जानकारी पर पूरी तरह भरोसा करके तुरंत हस्ताक्षर न करें - स्वयं जाँच लें।
    • फ्री लुक पीरियड के बाद वापसी की उम्मीद न करें।
    • यदि पॉलिसी आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है, तो वर्षों तक प्रीमियम का भुगतान करने की जहमत न उठाएँ - शुरुआत में ही सही कदम उठाएँ।

    निष्कर्ष

    अगर आप जागरूक हैं, तो कोई भी आपको गलत पॉलिसी नहीं बेच सकता। फ्री-लुक पीरियड एक सरल और शक्तिशाली अधिकार है जिसे आपको हर बीमा पॉलिसी के साथ याद रखना चाहिए। सही पॉलिसी चुनना आपकी ज़िम्मेदारी है और यह अधिकार आपको "गलत इंश्योरेंस पॉलिसी" से मुक्त कर सकता है, बिना किसी बड़े नुकसान के।

    आज ही पॉलिसी दस्तावेज़ खोलें, उसे पढ़ें, समझें और अगर कुछ सही न लगे, तो अपने विकल्प का इस्तेमाल करें। एक समझदार ग्राहक वह होता है जो पहले सोचता है, फिर खरीदता है।

    23 अक्टूबर 2025

       

    IRDAI ने बीमा धोखाधड़ी रोकने के लिए निर्देश जारी किए

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    भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने हाल ही में बीमा कंपनियों, पुनर्बीमाकर्ताओं और वितरण चैनलों को धोखाधड़ी से संबंधित जोखिमों के प्रबंधन के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य बीमा क्षेत्र में फ्रॉड (Insurance Fraud) रोकने और जोखिम प्रबंधन (Fraud Risk Management) को और मजबूत बनाना है। IRDAI का यह रुख स्पष्ट है: धोखाधड़ी के लिए जीरो टॉलरेंस।

    ये नए नियम 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे और सभी बीमा कंपनियों के लिए अनिवार्य होंगे। IRDAI ने कहा है कि प्रत्येक बीमाकर्ता को एक एंटी-फ्रॉड पॉलिसी (Anti-Fraud Policy) तैयार करनी होगी, जिसे बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस पॉलिसी में धोखाधड़ी की पहचान, रोकथाम, रिपोर्टिंग और समाधान के लिए स्पष्ट प्रक्रियाओं का समावेश होना अनिवार्य है।

      Fraud Risk Management Framework की आवश्यकता

      IRDAI ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे Fraud Risk Management Framework को लागू करें। इसका मकसद केवल धोखाधड़ी की घटनाओं का पता लगाना नहीं, बल्कि समग्र धोखाधड़ी जोखिम को कम करना और कंपनियों की निगरानी प्रणाली को मजबूत करना है। कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास रेड फ्लैग इंडिकेटर्स (Red Flag Indicators) हों, जो संभावित धोखाधड़ी की चेतावनी दें।

      इसके अलावा, यह फ्रेमवर्क कंपनियों को धोखाधड़ी के मामलों की नियमित निगरानी करने और समय पर सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करेगा। यह दृष्टिकोण बीमा उद्योग की पारदर्शिता और विश्वास को भी बढ़ाता है।

      धोखाधड़ी निगरानी समिति और इकाई (FMC & FMU)

      IRDAI ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे Fraud Monitoring Committee (FMC) और Fraud Monitoring Unit (FMU) स्थापित करें।

      • FMC (Fraud Monitoring Committee): यह समिति धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क को लागू करने और उसका पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदार होगी।
      • FMU (Fraud Monitoring Unit): यह इकाई FMC से स्वतंत्र रूप से काम करेगी और उसकी सहायता करेगी। FMU का मुख्य कार्य होगा धोखाधड़ी की घटनाओं का विश्लेषण करना, रिपोर्ट तैयार करना और FMC द्वारा सुझाए गए सुधारात्मक उपायों को लागू करना।

      यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि धोखाधड़ी की निगरानी पूरी तरह से निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से की जाए।

      साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन धोखाधड़ी पर जोर

      IRDAI ने बीमा कंपनियों को साइबर सुरक्षा (Cyber Security) को मजबूत बनाने की भी हिदायत दी है। इसका मकसद नई तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर खतरों से सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

      कंपनियों को अपने IT सिस्टम और प्रक्रियाओं की लगातार निगरानी करनी होगी। इसमें शामिल है:

      • धोखाधड़ी की घटनाओं का रिकॉर्ड रखना
      • ग्राहकों की पहचान की पुष्टि करना
      • सिस्टम तक पहुंच को नियंत्रित करना
      • सुरक्षा प्रोटोकॉल को नियमित रूप से अपडेट करना

      साइबर सुरक्षा पर यह जोर बीमा कंपनियों को डिजिटल फ्रॉड से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

      डेटा साझाकरण और IIB का योगदान

      IRDAI ने निर्देश दिया है कि बीमा कंपनियों को उपलब्ध डेटा का प्रभावी उपयोग करना चाहिए। सभी बीमाकर्ताओं को Insurance Information Bureau (IIB) के धोखाधड़ी निगरानी ढांचे में भाग लेना अनिवार्य होगा।

      IIB कंपनियों को फ्रॉड से संबंधित डेटा साझा करने और एक Caution Repository बनाने में मदद करेगा। यह चेतावनी भंडार संभावित धोखाधड़ी करने वाले लोगों की जानकारी रखेगा और उनके बीमा लेन-देन को रोकने में बीमा कंपनियों की सहायता करेगा।

      बीमा कंपनियों को IIB के माध्यम से अपने वितरण चैनल, अस्पताल, थर्ड पार्टी वेंडर्स और ब्लैकलिस्ट किए गए धोखाधड़ी करने वालों के डेटा को साझा करना होगा। इससे उद्योग में विश्वसनीयता और पारदर्शिता बढ़ेगी और पॉलिसीधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

      निष्कर्ष

      IRDAI का यह नया रुख स्पष्ट संकेत है कि बीमा क्षेत्र में धोखाधड़ी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बीमा कंपनियों को अपने फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क को मजबूत करना होगा, FMC और FMU स्थापित करने होंगे और साइबर सुरक्षा को अनिवार्य बनाना होगा।

      इसके साथ ही, डेटा साझाकरण और IIB की मदद से बीमा उद्योग में धोखाधड़ी रोकने और विश्वास बनाए रखने में सहायता मिलेगी। यह कदम न केवल पॉलिसीधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि पूरे बीमा क्षेत्र की अखंडता और स्थिरता को भी मजबूत बनाता है।

      यदि आपकी कंपनी इन दिशा-निर्देशों का पालन करती है, तो यह ग्राहकों के विश्वास को बढ़ाने, धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने और सुरक्षित और पारदर्शी बीमा वातावरण बनाने में मदद करेगा।

      सूचना स्रोत: बिजनेस स्टैंडर्ड

      17 अक्टूबर 2025

         

      एलआईसी सर्वे फॉर्म की जानकारी: नेफ्ट विवरण

      Read in English »

      क्या आप भारतीय जीवन बीमा निगम में एक अभिकर्ता के रूप में बीमा कारोबार कर रहे हैं, यदि ऐसा है तो आप जानते ही होंगे कि आज के इस प्रतिस्पर्धी दौर में सिर्फ पॉलिसी बेचना काफी नहीं है, बल्कि अब समय है नई तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए बीमा कारोबार को बढ़ाने का। आज के इस दौर में, आप यह कार्य एलआईसी के सर्वे फॉर्म की मदद से बहुत ही आसानी से कर सकते हैं। आपके लिए यह एक ऐसा टूल हो सकता है जो न केवल आपके मौजूदा ग्राहकों से आपके व्यवसायिक रिश्तों को मज़बूत कर सकता है, बल्कि नए ग्राहकों तक आपकी पहुंच को भी आसान बना सकता है।

      एलआईसी एजेंटो के लिए यह फॉर्म एक शानदार मार्केटिंग रणनीति की तरह काम कर रहा है। आप इसकी मदद से ग्राहकों की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और फिर उनकी मदद करके, उनके साथ अपने रिश्ते बेहतर कर सकते हैं। जो जीवन बीमा कारोबार के लिए एक अभिकर्ता की सबसे बड़ी ताकत होती है।

      जीवन बीमा बाजार के इस लेख में हम एलआईसी सर्वे फॉर्म पांचवें प्रश्न- “क्या आपकी सभी पॉलिसियां NEFT से जुड़ी हैं?” को विस्तार से समझेंगे। संभव है, यह सवाल आपको काफी साधारण प्रतीत हो, लेकिन सही तरीके से पूछे जाने पर यह सवाल आपको आपके बीमा कारोबार को बढ़ाने के नए अवसर खोल सकता है। तो आइये, इस छोटे से प्रश्न के पीछे छिपे हुए बड़े फायदों को गहराई से समझते हैं।

        प्रश्न का उद्देश्य

        इस प्रश्न का मुख्य उदेश्य ग्राहक की भुगतान प्रक्रिया को सुरक्षित, पारदर्शी और आसान बनाना है। NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफर) के माध्यम से, एलआईसी अपने ग्राहकों की पॉलिसियों का भुगतान सीधे उनके अपने बैंक खातों में कर देता है।

        लेकिन वास्तविकता यह भी है कि आज भी कई ग्राहकों की पॉलिसियां NEFT से लिंक नहीं हैं। यह स्थिति एलआईसी अभिकर्ताओं के लिए एक अवसर हो सकती है। जब आप अपने क्षेत्र के लोगों से यह प्रश्न पूछ रहे होते हैं, तो आप न केवल उनको इस सुविधा के बारे में बता रहे होते हैं, बल्कि आप यह भी दर्शा रहे होते हैं कि आप उनकी चिंता और परवाह करते हैं।

        यानि एक एलआईसी अभिकर्ता के लिए सर्वे में शामिल होने पर, इस प्रश्न का मुख्य उदेश्य अपने क्षेत्र के लोगों को यह एहसास दिलाना है कि आप उनकी चिंता और परवाह करते हैं।

        सर्वे फॉर्म का पांचवा प्रश्न: ग्राहक संबंधों के लिए महत्वपूर्ण

        अगर आप अपने क्षेत्र के लोगों के मन में यह विश्वास दिलाने में कामयाब हो जाते हैं कि आपका उदेश्य लोगों को अधिक से अधिक बीमा बेचना और पैसे कमाना नहीं है, बल्कि आप वास्तव में उनके लिए एक ऐसे वित्तीय सलाहकार हैं जो उनके हित के बारे में सोचता है तो आप बहुत ही आसानी से सफल हो सकते हैं।

        जब आप सर्वे के दौरान अपने क्षेत्र के लोगों से यह प्रश्न पूछते हैं- "क्या आपकी सभी पॉलिसियाँ NEFT से जुड़ी हैं?”, तब आपके ग्राहक के मन आप यह भाव पैदा करने का प्रयास करते हैं कि

        • आप उनके पैसो की सुरक्षा के बारे में सोच रहे हैं।
        • आप उन्हें एलआईसी की नई तकनीक और प्रक्रियाओं के अपडेट करने का प्रयास कर रहे हैं।
        • आप यह विश्वास दिलाने की कोशिस करते हैं कि जहा दूसरे एलआईसी अभिकर्ता, किसी भी तरह से बीमा पॉलिसी के विक्री का उदेश्य रखते हैं, वहीं पर आप उनके हित और उनके लाभ को सर्वोपरी रखतें हैं।

        इस तरह, यह प्रश्न एक छोटा सा प्रश्न, आपकी छोटी सी बातचीत को प्रभावशाली रिश्ते को विकसित करने का माध्यम बन जाता है और भविष्य में यह रिश्ता आपके लिए क्रॉस-सेलिंग और रेफरल्स-सेलिंग के दरवाजे खोल सकता है।

        एलआईसी सर्वे फॉर्म का पांचवा प्रश्न: ग्राहक को NEFT से लाभ

        मुझे यकीन है कि जब आप सर्वे फॉर्म में इस पांचवें प्रश्न को पढ़ते है, तो पहली नजर में यह आपको बहुत साधारण लग सकता है और आप यह सोच सकते हैं कि इस प्रश्न की वजह से आपको कोई लाभ होने वाला नहीं है। लेकिन जब आप इस पर गहराई से विचार करते हैं तो आपको आपके लिए नई संभावनाए दिखने लगती हैं।

        लेकिन अब आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि सर्वे के दौरान इस प्रश्न के लिए एक प्रभावशाली चर्चा कैसे की जा सकती है? तो जब आप किसी सर्वे में होते हैं तो इस प्रश्न को पूछने के साथ ही, आपको लोगों को यह समझाना होगा कि अगर उनकी एलआईसी पॉलिसी NEFT से लिंक होती है, तो उन्हें क्या लाभ मिल सकता है। आप लोगों से निम्नलिखित बिंदुओं पर बातचीत कर सकते हैं।

        • सीधा भुगतान: एलआईसी की पॉलिसियां जब NEFT से जुडी होती हैं, तो एलआईसी ऐसी पॉलिसियों का भुगतान सीधे बैंक खाते में कर देती है। पॉलिसीधारकों को चेक अथवा ड्राफ्ट का इंतज़ार नहीं करना होता है।
        • तेज एवं सुरक्षित प्रक्रिया: अगर कोई पॉलिसी NEFT से लिंक नहीं होती है, तो एलआईसी ऐसी पॉलिसियों के लिए चेक अथवा बैंक ड्राफ्ट जारी कर सकती है और पोस्ट ऑफिस के जरिये पॉलिसीधारक के पते पर भेजती है। इस प्रक्रिया में देरी और गलत पते पर डिलवरी की संभावना बनी होती है। जबकि अगर पॉलिसी NEFT से लिंक होती है, तो भुगतान निश्चित समय पर पॉलिसीधारक के बैंक खाते में हो जाता है।
        • पारदर्शिता: जब एलआईसी से पॉलिसीधारक को उसका भुगतान सीधे उसके बैंक खाते प्राप्त होता है तो पॉलिसीधारक, इस तरह के सभी लेन-देन का रिकॉर्ड अपने बैंक खाते के स्टेटमेंट में जाँच कर सकता है।
        • सुविधा: ऐसी पॉलिसियां जो NEFT से लिंक नहीं होतीं, भुगतान के समय पॉलिसीधारक अधिक परेशान होता है। वह अपना पैसा पाने के लिए अपने एजेंट से बार-बार रिक्वेस्ट करता है कि वह उसका पैसा दिला दे या बैंको के चक्कर यह पता लगाने के लिए लगाता है कि उसके चेक का पैसा उसके बैंक खाते में जमा हुआ या नहीं।
        • विश्वसनीयता: एलआईसी भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी है, जब पॉलिसीधारक अपने पॉलिसी को NEFT से लिंक कर देता है तो उसे यह विश्वास होता है कि समय पर उसका पैसा उसके बैंक खाते में जमा हो जायेगा।

        इस प्रकार, जब आप सर्वे के दौरान अपने क्षेत्र के लोगों से इस प्रश्न को पूछते है और उपरोक्त लाभों को बताते हैं, तब आप अपने क्षेत्र के लोगों के मन में यह संदेश देते हैं कि आप जीवन बीमा विषय के जानकार और लोगों की मदद करने वाले अच्छे अभिकर्ता हैं।

        सर्वे फॉर्म के पांचवें प्रश्न हेतु व्यावहारिक सुझाव

        मैं अपने अनुभवों से यह कह सकता हूँ कि सर्वे के दौरान जब आप अपने क्षेत्र में अलग अलग लोगों से इस प्रश्न को पूछेंगे, तो अलग-अलग लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया मिलेगी। यहाँ पर एक महत्वपूर्ण एवं ध्यान में रखने वाली बात यह है कि इनमे से बहुत सारे ऐसे लोग भी हो सकते हैं, जो NEFT सिस्टम क्या होता है इस बारे में कुछ भी न जानते हों और वह आपको यह जाहिर न होने दें कि इस बारे में उन्हें नहीं पता है।

        एक सफल अभिकर्ता की यही पहचान होती है कि वह ऐसी सभी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लोगों से बातचीत करे और तय करे कि वह जो कुछ भी समझाना या बताना चाहता है, उसकी बातें लोगों को समझ में आ जाये और लोगों को यह भी एहसास न हो कि आप यह समझ रहे हैं कि उन्हें सम्बंधित विषय के बारे में पता नहीं है। यानि संभावित ग्राहकों को बिना निचा दिखाए अपनी बातों को स्पष्ट तरीके से समझा देना।

        अतः जब सर्वे के दौरान आप ग्राहक से यह प्रश्न पूछे तो आप उन्हें किसी सच्ची अथवा काल्पनिक घटनाओं के जरिये अपनी बातों को समझा सकते हैं। आप उन्हें कह सकते हैं-

        "मेरे एक मित्र सुधीर कुमार ने वर्ष 2019 में एलआईसी की एक पॉलिसी खरीदी थी। यह एक ऐसी पॉलिसी थी जिसमे उन्हें हर पांच साल में एलआईसी से भुगतान मिलने वाला था। लेकिन उन्हें NEFT सिस्टम के बारे में नहीं पता था।

        वर्ष 2024 में, एलआईसी ने उनके नाम से चेक जारी करके डाक के माध्यम से भुगतान कर दिया। जनवरी 2025 में इसी तरह के सर्वे के दौरान जब मैंने उनकी पॉलिसी चेक की, तो मैंने उन्हें बताया कि वर्ष 2024 में एलआईसी ने उन्हें एक लाख बीस हजार रूपये का भुगतान किया है। लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें एलआईसी से कोई पैसा नहीं मिला है। बाद में जाँच करने पर पता चला कि उन्हें चेक मिला ही नहीं था और डाक विभाग ने उस चेक को शाखा कार्यालय में वापस भेज दिया था।

        जनवरी माह के लास्ट में मैंने उनकी पॉलिसी को नेफ्ट से लिंक करवा दिया और उसके दूसरे दिन ही उनका पूरा पैसा एलआईसी ने उनके बैंक खाते में जमा कर दिया। सबसे कमाल की बात यह है कि अब जब उन्हें अगला भुगतान मिलने वाला होगा, तब उनको कुछ भी नहीं करना होगा, एलआईसी स्वतः ही उनका पैसा उनके खाते में जमा कर देगी।"

        तो जब आप उपरोक्त तरह के उदाहरण अथवा घटना के जरिये ग्राहक को समझाते हैं तो ग्राहक यह भी समझ जाता है कि NEFT सिस्टम क्या होता है और यदि वह अपनी पॉलिसी को इस सिस्टम से लिंक करता है, तो उसे क्या लाभ होगा।

        सर्वे फॉर्म का पांचवा प्रश्न: एजेंट के सफलता का दरवाजा

        अब आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि एलआईसी सर्वे फॉर्म का पांचवा प्रश्न आपके लिए जरुरी क्यों है? वास्तव में यह प्रश्न एक एलआईसी अभिकर्ता के रूप में इसलिए बेहद जरुरी हो जाता है, क्योकि आप इस प्रश्न को पूछकर निम्नलिखित चरण को पूरा करते हुए अपने बीमा कारोबार को बेहतर कर पाते हैं-

        • ग्राहक डेटा अपडेट:

          जब आप सर्वे के दौरान लोगों से इस प्रश्न को पूछते हैं, तो उनकी प्रतिक्रियाओं से आपको यह पता चलता है कि उनकी पॉलिसियां NEFT से लिंक हैं या नहीं। कई ऐसे लोग, जो असमंजस की स्थिति में होते हैं वह आपसे जानने का प्रयास करते हैं कि आप यह बता दें कि उनकी पॉलिसी में NEFT लिंक है या नहीं।

          ऐसी स्थिति में, आप ऐसी पॉलिसियों का रिकॉर्ड रख सकते हैं। उन पोलिसीधारको का रिकॉर्ड रख सकते हैं। इस रिकॉर्ड की मदद से आप लोगों की उनके जीवन बीमा पॉलिसी के लिए भविष्य में मदद कर सकते हैं।

        • प्रोएक्टिव सर्विस प्रदान करना:

          जब आपके पास पॉलिसीधारकों का और उनके जीवन बीमा पॉलिसी का डाटा उपलब्ध होता है तो आप उन्हें विभिन्न तरह की सेवाओं में शामिल कर सकते हैं, जैसे- प्रीमियम रिमाइंडर सर्विस, इनकम टैक्स सर्टिफिकेट, विभिन्न तरह के भुगतानों से पूर्व अपडेट करना इत्यादि। ऐसा करने से, आपकी after-sale service को मजबूती मिलती है।

        • कम्युनिकेशन का अवसर:

          एक बार सर्वे समाप्त होने के बाद, आपको अपने क्षेत्र के लोगों से बार-बार मिलने की जरुरत होती है ताकि भविष्य में आप उन्हें, उनके परिवार में अथवा उनसे रेफेरल प्राप्त करके अपनी बीमा बिक्री को मज़बूत कर सकें। आफ्टर सेल सर्विस प्रदान करके आपको आपके क्षेत्र के लोगों से बार-बार कम्युनिकेशन के अवसर मिलते हैं।

        • क्रॉस-सेलिंग के अवसर:

          कम्युनिकेशन के दौरान आपको कई अवसर ऐसे मिलते हैं जब आप अपने क्षेत्र के लोगों को यह भरोषा दिला पाते है कि उनके लिए एलआईसी की पॉलिसी बेहतर है और आप पॉलिसी विक्री में सफल होते हैं।

          कई बार आपको ऐसे अवसर भी मिलते हैं जब ग्राहक को उसके पॉलिसी से कोई भुगतान मिलने वाला होता है। यह वह अवसर होता है जब वास्तव में ग्राहक को बीमा योजनाओं के ताकत का एहसास होता है और वह एलआईसी के प्रति उत्साहित भी होता है। मैं अपने अनुभव से यह कह सकता हूँ कि यदि इस समय आप सही तरीके से प्रयास करते हैं तो आपके लिए बीमा विक्री काफी आसान हो जाती है।

        निष्कर्ष

        अभिकर्ताओं के लिए एलआईसी सर्वे फॉर्म का प्रत्येक प्रश्न लोगों से जुड़ने का नया अवसर प्रदान करता है। इन प्रश्नो का सही तरीके से उपयोग करके आप आपके क्षेत्र के लोगों के मन में अपनी प्रोफेशनल छवि बना सकते हैं और अपने कारोबार के लिए बेहतर अवसर प्राप्त कर सकते हैं।

        अंत में, मैं आपसे यही कहूंगा कि अगर आप वास्तव में अपने बीमा कारोबार को बेहतर करना चाहते हैं, तो सर्वे फॉर्म के इस पुरे कोर्स को पूर्ण करें और यहाँ पर दी गई जानकारी का उपयोग करके देखें। मैं यह दावे से कह सकता हूँ कि ऐसा करके आप अपने कारोबार में मनचाही सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

        09 अक्टूबर 2025

           

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