भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने हाल ही में बीमा कंपनियों, पुनर्बीमाकर्ताओं और वितरण चैनलों को धोखाधड़ी से संबंधित जोखिमों के प्रबंधन के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य बीमा क्षेत्र में फ्रॉड (Insurance Fraud) रोकने और जोखिम प्रबंधन (Fraud Risk Management) को और मजबूत बनाना है। IRDAI का यह रुख स्पष्ट है: धोखाधड़ी के लिए जीरो टॉलरेंस।
ये नए नियम 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे और सभी बीमा कंपनियों के लिए अनिवार्य होंगे। IRDAI ने कहा है कि प्रत्येक बीमाकर्ता को एक एंटी-फ्रॉड पॉलिसी (Anti-Fraud Policy) तैयार करनी होगी, जिसे बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस पॉलिसी में धोखाधड़ी की पहचान, रोकथाम, रिपोर्टिंग और समाधान के लिए स्पष्ट प्रक्रियाओं का समावेश होना अनिवार्य है।
Fraud Risk Management Framework की आवश्यकता
IRDAI ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे Fraud Risk Management Framework को लागू करें। इसका मकसद केवल धोखाधड़ी की घटनाओं का पता लगाना नहीं, बल्कि समग्र धोखाधड़ी जोखिम को कम करना और कंपनियों की निगरानी प्रणाली को मजबूत करना है। कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास रेड फ्लैग इंडिकेटर्स (Red Flag Indicators) हों, जो संभावित धोखाधड़ी की चेतावनी दें।
इसके अलावा, यह फ्रेमवर्क कंपनियों को धोखाधड़ी के मामलों की नियमित निगरानी करने और समय पर सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करेगा। यह दृष्टिकोण बीमा उद्योग की पारदर्शिता और विश्वास को भी बढ़ाता है।
धोखाधड़ी निगरानी समिति और इकाई (FMC & FMU)
IRDAI ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे Fraud Monitoring Committee (FMC) और Fraud Monitoring Unit (FMU) स्थापित करें।
- FMC (Fraud Monitoring Committee): यह समिति धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क को लागू करने और उसका पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदार होगी।
- FMU (Fraud Monitoring Unit): यह इकाई FMC से स्वतंत्र रूप से काम करेगी और उसकी सहायता करेगी। FMU का मुख्य कार्य होगा धोखाधड़ी की घटनाओं का विश्लेषण करना, रिपोर्ट तैयार करना और FMC द्वारा सुझाए गए सुधारात्मक उपायों को लागू करना।
यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि धोखाधड़ी की निगरानी पूरी तरह से निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से की जाए।
साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन धोखाधड़ी पर जोर
IRDAI ने बीमा कंपनियों को साइबर सुरक्षा (Cyber Security) को मजबूत बनाने की भी हिदायत दी है। इसका मकसद नई तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर खतरों से सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
कंपनियों को अपने IT सिस्टम और प्रक्रियाओं की लगातार निगरानी करनी होगी। इसमें शामिल है:
- धोखाधड़ी की घटनाओं का रिकॉर्ड रखना
- ग्राहकों की पहचान की पुष्टि करना
- सिस्टम तक पहुंच को नियंत्रित करना
- सुरक्षा प्रोटोकॉल को नियमित रूप से अपडेट करना
साइबर सुरक्षा पर यह जोर बीमा कंपनियों को डिजिटल फ्रॉड से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डेटा साझाकरण और IIB का योगदान
IRDAI ने निर्देश दिया है कि बीमा कंपनियों को उपलब्ध डेटा का प्रभावी उपयोग करना चाहिए। सभी बीमाकर्ताओं को Insurance Information Bureau (IIB) के धोखाधड़ी निगरानी ढांचे में भाग लेना अनिवार्य होगा।
IIB कंपनियों को फ्रॉड से संबंधित डेटा साझा करने और एक Caution Repository बनाने में मदद करेगा। यह चेतावनी भंडार संभावित धोखाधड़ी करने वाले लोगों की जानकारी रखेगा और उनके बीमा लेन-देन को रोकने में बीमा कंपनियों की सहायता करेगा।
बीमा कंपनियों को IIB के माध्यम से अपने वितरण चैनल, अस्पताल, थर्ड पार्टी वेंडर्स और ब्लैकलिस्ट किए गए धोखाधड़ी करने वालों के डेटा को साझा करना होगा। इससे उद्योग में विश्वसनीयता और पारदर्शिता बढ़ेगी और पॉलिसीधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
निष्कर्ष
IRDAI का यह नया रुख स्पष्ट संकेत है कि बीमा क्षेत्र में धोखाधड़ी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बीमा कंपनियों को अपने फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क को मजबूत करना होगा, FMC और FMU स्थापित करने होंगे और साइबर सुरक्षा को अनिवार्य बनाना होगा।
इसके साथ ही, डेटा साझाकरण और IIB की मदद से बीमा उद्योग में धोखाधड़ी रोकने और विश्वास बनाए रखने में सहायता मिलेगी। यह कदम न केवल पॉलिसीधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि पूरे बीमा क्षेत्र की अखंडता और स्थिरता को भी मजबूत बनाता है।
यदि आपकी कंपनी इन दिशा-निर्देशों का पालन करती है, तो यह ग्राहकों के विश्वास को बढ़ाने, धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने और सुरक्षित और पारदर्शी बीमा वातावरण बनाने में मदद करेगा।
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