02 November 2024

बीमा पॉलिसियों के मृत्यु दावा सूचना में समस्या और समाधान

बीमा पॉलिसियों के मृत्यु दावा सूचना में समस्या और समाधान



Read in English »

जीवन बीमा पॉलिसी लेने का मूल उद्देश्य अपने परिवार के भविष्य को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना होता है। लेकिन जीवन बीमा पॉलिसी में मृत्यु दावा प्रक्रिया को लेकर बीमाधारकों और उनके नॉमिनी के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। जीवन बीमा बाजार के इस लेख में हम जीवन बीमा पॉलिसियों से जुड़े बहुत सारे महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देने का प्रयास करेंगे और हम यह भी जानेंगे कि मृत्यु दावा सुचना कब और कैसे करना चाहिए।

मृत्यु दावा कब करना चाहिए

बीमाधारक के मृत्यु के बाद नॉमिनी को चाहिए कि जितना जल्द संभव हो सके, वह जीवन बीमा कंपनी को इसकी सुचना प्रदान करे। आमतौर पर मृत्यु दावा की सुचना के लिए निर्धारित समय सीमा 15 से 90 दिनों की मानी जाती है। लेकिन अगल अलग बीमा कंपनियों के लिए यह समय सीमा अलग अलग हो सकती है।

भारत में कार्यरत विभिन्न जीवन बीमा कंपनिया मृत्यु दावे के लिए अलग-अलग समय सीमा निर्धारित कर सकती है। लेकिन इनमे से प्रत्येक जीवन बीमा कंपनी पॉलिसीधारक के मृत्यु की सुचना तत्काल प्राप्त करने का अनुरोध करती हैं। ताकि मृत्यु के कारणों का सत्यापन कर सकें और मृत्यु दावे का भुगतान यथाशीघ्र करा सकें।

मृत्यु दावा जल्द से जल्द करना चाहिए

प्रत्येक जीवन बीमा कंपनी पॉलिसीधारक के मृत्यु की सुचना जल्द से जल्द प्राप्त करना चाहती है, ताकि वह आसानी से मृत्यु दावे के संदर्भ में सत्यापन कर सके। क्योकि अगर मृत्यु दावे में विलम्ब किया जाता है तो घटित घटना के संदर्भ में साक्ष्य जुटाने में कठिनाई होती है। खास-तौर से जब पॉलिसीधारक की मृत्यु किसी दुर्घटना अथवा किसी अन्य असामान्य परिस्थिति में हुई होती है।

उदाहरण के लिए, मान लीजिये कि किसी पॉलिसीधारक की मृत्यु अगर किसी सड़क दुर्घटना में हुई होती है। अब अगर यह सुचना बीमा कंपनी को तत्काल प्राप्त हो जाती है तो दुर्घटना के स्थान पर उपस्थित प्रत्यक्ष दर्शियों की मदद से उस दुर्घटना के बारे में विस्तृत विवरण आसानी से प्राप्त किया जा सकता है और अन्य जरूरी साक्ष्य प्राप्त किये जा सकते हैं।

लेकिन जब बीमा कंपनी को ऐसे मृत्यु की सुचना विलम्ब से प्राप्त होती है तो ऐसे लोग जो दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शी भी होते हैं उनके दिमाग से दुर्घटना और उसके कारण का सटीक विवरण प्राप्त हो पाना काफी कठिन हो जाता है और अन्य साक्ष्यों को इकठ्ठा करना भी काफी मुश्किल भरा कार्य बन जाता है।

इसलिए, पॉलिसीधारक के मृत्यु के तुरंत बाद पॉलिसी में वर्णित नॉमिनी अथवा पॉलिसी के दावेदार को चाहिए कि वह मृत्यु की सुचना जितना जल्द हो सके सम्बंधित जीवन बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय में प्रस्तुत करें।

मृत्यु दावा सुचना में देरी के परिणाम

अगर किन्ही कारणों से बीमा कंपनी में मृत्यु दावा सुचना देरी से प्रस्तुत किया जाता है तो सम्बंधित जीवन बीमा कंपनी ऐसे प्राप्त सूचनाओं को तत्काल अस्वीकृत नहीं करती है, बल्कि स्वीकार करती है। लेकिन देरी से प्राप्त सूचनाओं में दावे का प्रोसेस धीमा जरूर हो जाता है। ऐसा इसलिए, क्योकि बीमा कंपनिया ऐसे मामलों में जाँच प्रक्रिया में अधिक सतर्कता बरतती है और देरी से प्राप्त सूचनाओं के कारण की पुष्टि करने का प्रयास करती हैं।

अब अगर जाँच परिणामो में बीमा कंपनी को मृत्यु के कारणों के पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलते हैं तो कंपनी ऐसे दावों को निरस्त भी कर सकती है। इसलिए आपके लिए हमारी सलाह यही होगी कि किसी भी स्थिति में, पॉलिसीधारक के मृत्यु के बाद नॉमिनी को चाहिए कि वह बीमा कंपनी को इसकी विस्तृत जानकारी जितना जल्द हो सके प्रस्तुत करना चाहिए।

मृत्यु दावा सुचना प्रस्तुतिकरण

पॉलिसीधारक के मृत्यु के तुरंत बाद, पॉलिसी में वर्णित नॉमिनी को चाहिए कि वह सबसे पहले मृतक पॉलिसीधारक का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लें। इसके बाद सम्बंधित शाखा कार्यालय के शाखा प्रबंधक के नाम एक एप्लीकेशन लिखे, जिसमे पॉलिसीधारक के पॉलिसी का विवरण एवं मृत्यु का स्थान, दिनांक, समय इत्यादि विवरण विस्तार से दिया गया हो।

अब मृत्यु प्रमाण पत्र की छाया प्रति के साथ इस एप्लीकेशन को सम्बंधित शाखा कार्यालय में जमा कर देना चाहिए और इसकी रिसीविंग जरूर प्राप्त कर लेना चाहिए। बीमा कंपनी से प्राप्त इस रिसीविंग को तब तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए, जब तक कि पॉलिसी के मृत्यु दावे का सम्पूर्ण भुगतान प्राप्त न हो जाये।

मृत्यु दावा सुचना के संदर्भ में हमने अपने पिछले लेख, जिसका टाइटल "एलआईसी में मृत्यु दावा हेतु आवेदन" है, में इस विषय में विस्तार से बताया है। अधिक जानकारी के लिए आप उस लेख को पढ़ सकते हैं।

मृत्यु प्रमाण पत्र एवं उसका महत्व

सामान्यतः मृत्यु प्रमाण पत्र किसी भी जीवन बीमा पॉलिसी के मृत्यु दावा सुचना के लिए आधारभूत दस्तावेज होता है। भारत में मान्य मृत्यु प्रमाण पत्र का एक निश्चित फॉर्म होता है जिसे फॉर्म संख्या 6 (ग) के नाम से जाना जाता है। इसे किसी भी सहज जन सेवा केंद्र अथवा कॉमन सर्विस सेण्टर पर आवेदन करके प्राप्त किया जा सकता है। यह एक वैध दस्तावेज है, जिसे प्रत्येक जीवन बीमा कंपनी मृत्यु प्रमाण पत्र के तौर पर स्वीकार करती है।

आधिकारिक एवं कानूनी तौर पर एक मृत्यु दावा सुचना तभी माना जाता है जब कोई नॉमिनी अथवा दावेदार, मृतक पॉलिसीधारक के मृत्यु की सुचना लिखित रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ बीमा कंपनी को प्रस्तुत करता है।

मृत्यु दावा सुचना हेतु समस्या

कई बार ऐसा देखा गया है कि मृतक पॉलिसीधारक के परिवार के लोग शोकाकुल होते हैं और इस दशा में उनके मन में पॉलिसी दावा प्रक्रिया शुरू करने का विचार भी नहीं होता है। कुछ समय व्यतीत हो जाने के बाद, वह जीवन बीमा पालिसी के मृत्यु दावे के संदर्भ में विचार करते हैं। और जब उन्हें पता चलता है कि इस कार्य के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना अत्यंत आवश्यक कार्य है तब वह इस प्रक्रिया को शुरू करते है।

हालाँकि सहज जन सेवा केंद्र अथवा कॉमन सर्विस सेण्टर से मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करना काफी आसान प्रक्रिया होती है। अक्सर मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए सफल रजिस्ट्रेशन करने के बाद, आमतौर पर 15 से 21 दिनों के भीतर मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन यदि किन्ही कारणों से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पाता है तब यह कार्य पूर्ण होने में अधिक समय लग सकता है।

अब चुकी जीवन बीमा कंपनियां अक्सर मृत्यु प्रमाण पत्र की अनुपस्थिति में मृत्यु दावा सुचना स्वीकार नहीं करती है। तब नॉमिनी अथवा दावेदार को पालिसी क्लेम में समस्या का सामना करना पड़ता है। अगर पॉलिसी में मृत्यु दावा 90 दिनों के बाद किया जाता है तो मृत्यु दावे में कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती है।

प्रारम्भिक मृत्यु दावा सुचना

चुकी प्रत्येक जीवन बीमा कंपनी पॉलिसीधारक के मृत्यु की सुचना तत्काल प्राप्त करने का अनुरोध करती है लेकिन दूसरी ओर समस्या यह है कि अगर मृत्यु प्रमाण पत्र समय से प्राप्त नहीं होता है तो आधिकारिक तौर पर आपकी मृत्यु दावा सुचना को स्वीकार भी नहीं किया जाता है। इसके अतिरिक्त, तीसरी प्रमुख समस्या यह होती है कि अगर मृत्यु दावा सुचना विलम्ब से प्रस्तुत की जाती है तो बीमा कम्पनी मृत्यु दावे के अस्वीकार भी कर सकती है। ऐसे में एक अहम सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थिति में नॉमिनी अथवा दावेदार को क्या करना चाहिए।

इसका व्यवहारिक उपाय यह है कि आप सम्बंधित बीमा कंपनी को प्रारंभिक मृत्यु दावा सुचना प्रस्तुत करें। प्रारम्भिक मृत्यु दावा सुचना के लिए आपको चाहिए कि आप ग्राम पंचायत अथवा नगर पंचायत से मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त कर लें। अगर पॉलिसीधारक की मृत्यु अस्पताल में हुई है तो अस्पताल के द्वारा जारी किया हुआ मृत्यु प्रमाण पत्र भी इस कार्य में उपयोगी साबित होगा।

अब इसके बाद, सहज जन सेवा केंद्र अथवा कॉमन सर्विस सेण्टर में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए रजिस्ट्रेशन करें। ऐसा करते ही आपको रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त हो जायेगा और रजिस्ट्रेशन फॉर्म की कॉपी भी मिल जाएगी। इसके बाद, एक एप्लीकेशन में मृतक पॉलिसीधारक के मृत्यु का विस्तृत विवरण लिखे और उसमे सहज जन सेवा केंद्र से प्राप्त रजिस्ट्रेशन नंबर और रजिस्ट्रेशन की तारीख भी दर्ज करें।

इसके बाद, इस एप्लीकेशन के साथ ग्राम पंचायत अथवा नगर पंचायत अथवा अस्पताल से प्राप्त मृत्यु प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी को सम्बंधित जीवन बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय में पोस्ट ऑफिस के द्वारा रजिस्ट्री अथवा स्पीड पोस्ट के माध्यम सेंड कर दें। इस रजिस्ट्री अथवा स्पीड पोस्ट की स्लीप को तब तक सुरक्षित रखें जब तक कि आपको मृत्यु दावा प्राप्त नहीं हो जाता है।

अगर आप चाहे तो यह प्रारम्भिक मृत्यु दावा सुचना ईमेल के माध्यम से भी सेंड कर सकते हैं।

प्रारम्भिक मृत्यु दावा सुचना कैसे लिखें

प्रारम्भिक मृत्यु दावा सुचना की फाइल को नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके डाउनलोड करें। ऐसा करते ही आपके मोबाइल में एक पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड हो जाएगी। यह पीडीऍफ़ फाइल 7 पेज की होगी। इस फाइल को रीड करने के लिए आपके डिवाइस में कोई भी पीडीऍफ़ रीडर एप्लीकेशन इनस्टॉल होना जरुरी होगा।

प्राथमिक मृत्यु दावा सूचना 5.7 MB

ब्रांच के बारे में कैसे पता करें

याद रखिये, प्रारम्भिक मृत्यु दावा सुचना कोई आधिकारिक प्रक्रिया नहीं है। यानि कि अगर आप इस तरह से मृत्यु दावा सुचना प्रस्तुत करते हैं तो आपकी बीमा कंपनी इस तरह के सुचना को स्वीकार नहीं करेगी।

यह सिर्फ इसलिए है ताकि आपके पास यह प्रमाण रहे कि आपने बीमा कम्पनी को मृत्यु दावे के बारे में जानकारी दे दी थी और आपने कंपनी को यह भी बताया था कि आप मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर चुके हैं और जैसे ही यह प्रमाण पत्र आपको प्राप्त हो जाता है, आप बीमा कम्पनी को इस बारे में जानकारी प्रस्तुत करेंगे। इसका लाभ यह होगा कि बीमा कम्पनी आपके दावे को इस आधार पर निरस्त नहीं कर सकती है कि आपने समय पर मृत्यु दावे के संदर्भ में सूचित नहीं किया था।

अतः यह सुचना आपको पोस्ट ऑफिस अथवा ईमेल के जरिये ही सेंड करना होगा। ऐसे में आपको आपके जीवन बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय का पता और ईमेल आईडी के बारे में जानना होगा। अगर आपकी पालिसी भारतीय जीवन बीमा निगम से खरीदी हुई है तो नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके इस विषय में जान सकते हैं।

निष्कर्ष

जीवन बीमा पॉलिसियों में मृत्यु दावा प्रक्रिया को समझना और इसे सही तरीके से प्रस्तुत करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। प्रत्येक जीवन बीमा पॉलिसी के मृत्यु दावे के लिए यह आवश्यक होता है कि मृत्यु दावा की सुचना समय पर दी जाये, ताकि कंपनी मृत्यु दावे का सत्यापन कर सके और आपको मृत्यु दावे का भुगतान समय पर प्राप्त हो सके। समय पर सुचना देने से न केवल मृत्यु दावा प्रक्रिया आसान होती है बल्कि ऐसा करने से नॉमिनी के अधिकारों को भी सुरक्षा प्राप्त होती है।

वीडियो में विस्तार से जाने

इस लेख में दी गई जानकारी और अधिक विस्तार से जानने के लिए नीचे दी गई वीडियो को अंत तक ध्यान से देखिये। अगर इस संदर्भ में आपके कोई सवाल हों तो वीडियो के कमेंट बॉक्स में अपने सवाल लिखें।

वीडियो जल्द ही उपलब्ध होगी