23 November 2024

प्रीमियम जमा न होने के बावजूद मृत्यु दावा का लाभ कैसे लें

प्रीमियम जमा न होने के बावजूद मृत्यु दावा का लाभ कैसे लें



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जीवन बीमा में पॉलिसीधारकों के मन में अक्सर यह सवाल रहता है कि उनका मृत्यु दावा स्वीकार होगा या नहीं। दरअसल, मृत्यु दावा खारिज होने का एक मुख्य कारण समय पर पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान न करना भी होता है।

जीवन बीमा बाजार के इस लेख में हम जानेंगे कि प्रीमियम के आधार पर मृत्यु दावा कब और कैसे स्वीकार किया जा सकता है और किन स्थितियों में इसे खारिज किया जा सकता है। कई मामलों में पॉलिसीधारकों को लगता है कि प्रीमियम जमा न करने पर मृत्यु दावे का भुगतान नहीं किया जाएगा। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में, जैसे कि ग्रेस पीरियड बीत जाने के बाद भी पॉलिसी से मृत्यु दावे का भुगतान किया जा सकता है।

इस लेख में हम इन सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझेंगे। यह लेख भारतीय जीवन बीमा निगम के नियमों के आधार पर जानकारी प्रदान करता है। अगर आपकी पॉलिसी किसी दूसरी जीवन बीमा कंपनी की है और आपका दावा खारिज हो जाता है, तो आप इन नियमों के आधार पर न्यायलय में अपनी अपील प्रस्तुत कर सकते हैं।

मृत्यु दावा प्रक्रिया में प्रथम जांच

यदि किसी जीवन बीमा पॉलिसी में मृत्यु दावा हो जाता है, तो सबसे पहले उस पालिसी की एफयूपी (FUP - First Unpaid Premium) की जाँच जरूर करना चाहिए। ऐसा करने के लिए आपको पॉलिसीधारक द्वारा जमा की गई आखरी प्रीमियम रसीद को देखना चाहिए। यदि आखरी प्रीमियम रसीद पर एफयूपी की तारीख पॉलिसीधारक के मृत्यु की तारीख के बाद है, तो आपको मान लेना चाहिए कि इस पॉलिसी की सभी प्रीमियम पूर्ण रूपेण जमा है और यह पॉलिसी मृत्यु दावे के लिए योग्य है।

एलआईसी (LIC) की प्रीमियम रसीदों में एफयूपी को अगली प्रीमियम देय तिथि (Next Premium Due Date) के रूप में दिखाया जाता है। यदि पॉलिसीधारक ने अपने जीवन काल में एक से अधिक जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी है, तो प्रत्येक पॉलिसी की आखरी प्रीमियम रसीद में नेक्स्ट प्रीमियम ड्यू अर्थात एफयूपी की जाँच करना चाहिए। ऐसा करने से आपको यह पता चल जायेगा कि कौन-कौन सी पॉलिसियां इन-फोर्स कंडीशन में है।

आखरी रसीद की अनुपस्थिति में क्या करें

यदि किसी पॉलिसी की प्रीमियम रसीद उपलब्ध न हो, तो सम्बंधित बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय में जाकर पॉलिसी नम्बर के माध्यम से उस पॉलिसी का एफयूपी पता किया जा सकता है। इस प्रकार, आप बिना रसीद के भी किसी पॉलिसी के एफयूपी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रक्रिया मृत्यु दावा को तेजी से स्वीकृत कराने के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है।

जीवन बीमा पॉलिसियों में ग्रेस पीरियड

जीवन बीमा पॉलिसियों में ग्रेस पीरियड की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, खास तौर से यह तब अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब पॉलिसीधारक के मृत्यु के समय, उसके जीवन बीमा पॉलिसी की प्रीमियम जमा नहीं होती है। अब अगर आप यह समझना चाहते हैं कि जीवन बीमा की पॉलिसियों में मृत्यु दावे के समय ग्रेस पीरियड की अहम भूमिका क्या होती है, तो आपको यह समझना बेहद जरुरी होगा कि जीवन बीमा पॉलिसियों में ग्रेस पीरियड क्या होता है?

वास्तव में, लगभग सभी जीवन बीमा पॉलिसियों में प्रीमियम जमा करने की तिथि तक प्रीमियम जमा न कर पाने की स्थिति में, पॉलिसीधारकों को प्रीमियम भुगतान करने के लिए कुछ अतिरिक्त समय दिया जाता है। प्रीमियम भुगतान करने के लिए पॉलिसीधारकों को मिलने वाले इस अतिरिक्त समय को ही जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए ग्रेस पीरियड कहा जाता है।

बीमा पॉलिसियों में ग्रेस पीरियड की समय सीमा

आमतौर पर ऐसी जीवन बीमा पॉलिसियां, जिसकी प्रीमियम मासिक विधि से जमा की जाती है, के लिए 15 दिनों का ग्रेस पीरियड लाभ प्राप्त होता है। उदाहरण: मान लीजिये कि एक ऐसी पॉलिसी जिसकी प्रीमियम मासिक विधि से जमा की जाती है। इसके आखरी प्रीमियम जमा करने की तिथि 28 अक्टूबर 2024 थी। अब मान लीजिये कि पॉलिसीधारक किसी कारण से अपने इस पॉलिसी की प्रीमियम जमा नहीं करता है। तो इस पॉलिसी में 28 अक्टूबर के बाद 15 दिनों की ग्रेस पीरियड का लाभ मिलेगा। जिसमे यह पॉलिसी मृत्यु दावे का लाभ प्रदान करेगी।

लेकिन अगर कोई ऐसी पॉलिसी है जिसकी प्रीमियम तिमाही, छमाही अथवा वार्षिक विधि से जमा की जाती है, तो ऐसी पॉलिसियों में आखरी प्रीमियम जमा की तिथि से अतिरिक्त 30 दिनों तक ग्रेस पीरियड का लाभ प्राप्त होता है।

ग्रेस पीरियड एवं मृत्यु दावा

अगर किसी पॉलिसीधारक की मृत्यु ग्रेस पीरियड के दौरान होती है तो उसकी जीवन बीमा पॉलिसी मृत्यु दावे के लिए पात्र मानी जाएगी। आइये इसे एक उदाहरण से समझते हैं

मान लीजिये कि स्वर्गीय श्री निखिल कुमार गुप्ता जी को उनके जीवन बीमा पॉलिसी की आखरी प्रीमियम 28 अक्टूबर 2024 को जमा करनी थी। दुर्भाग्य से, बिना प्रीमियम जमा किये ही उनकी मृत्यु 18 नवंबर 2024 को एक दुःखद सड़क हादसे में हो जाती है।

अब अगर श्री गुप्ता जी ने अपने जीवन बीमा पॉलिसी की प्रीमियम जमा करने का मासिक विकल्प चयन किये होंगे, तो उनके पॉलिसी का ग्रेस पीरियड 12 नवंबर 2024 को ही समाप्त हो जायेगा। ऐसे में उनकी पॉलिसी मृत्यु दावे के लिए अयोग्य हो जाएगी। लेकिन अगर उन्होंने अपने जीवन बीमा पॉलिसी की प्रीमियम जमा करने के लिए तिमाही, छमाही अथवा वार्षिक विकल्प का चयन किया होगा, तब उन्हें 27 नवंबर 2024 तक के लिए ग्रेस पीरियड मिलेगा, जिसके कारण उनकी पॉलिसी मृत्यु दावे के लिए योग्य मानी जाएगी।

ग्रेस पीरियड के संदर्भ में याद रखने योग्य बातें

  • अलग-अलग जीवन बीमा कंपनियों की अलग-अलग जीवन बीमा पॉलिसियों में ग्रेस पीरियड के नियम अलग-अलग हो सकते हैं।
  • एकल प्रीमियम भुगतान की जाने वाली जीवन बीमा पॉलिसियों में ग्रेस पीरियड नहीं होता है, क्योकि इन पॉलिसियों की सभी प्रीमियम का भुगतान पॉलिसी जारी होते समय ही एक साथ कर कर दिया जाता है।
  • मृत्यु दावे के संदर्भ में किसी भी निर्णय तक पहुंचने से पहले अपने बीमा पॉलिसी के लिए ग्रेस पीरियड से सम्बंधित नियमों की जांच अवश्य कर लें।

एलआईसी द्वारा दिए जाने वाला विशेष लाभ

ग्रेस पीरियड से सम्बंधित सभी नियम भारत में सभी जीवन बीमा कंपनियों पर समान रूप से लागू होते है। हालाँकि अभी इस लेख में जो जानकारी आगे प्रस्तुत किया जा रहा है, वह विशेष रूप से भारत की नंबर वन जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के बारे में है।

अगर आप किसी अन्य जीवन बीमा कंपनी के एजेंट अथवा ग्राहक हैं, तो आपको यह जरूर पता कर लेना चाहिए कि आपकी जीवन बीमा कंपनी इन लाभों को देती है या नहीं और अगर आपकी जीवन बीमा कंपनी इन लाभों को देती है तो क्या यह लाभ आपके जीवन बीमा पॉलिसी के लागू होता है।

एलआईसी का सामाजिक उदेश्य

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), भारत सरकार का उपक्रम है। हमें लगता है कि भारत सरकार, निगम की विभिन्न योजनओं में कुछ सहूलियत देकर भारतीय परिवारों के भविष्य को आर्थिक रूप से मज़बूत करने का प्रयास करती है। यही कारण है कि निगम आगे दिए हुए लाभों को अपने पोलिसीधारको तक पंहुचा पाने में सफल हो पाती है।

मृत्यु दावे पर एलआईसी द्वारा दिए जाने वाला लाभ

एलआईसी की पॉलिसियों में वर्णित नियमों के आलावा, निगम मृत्यु दावे के संदर्भ में कुछ अतिरिक्त रियायत प्रदान करती है, जो कुछ इस प्रकार है-

दो वर्षो तक इन्फोर्स पॉलिसियों के लिए मृत्यु दावा रियायत

यदि आपने एलआईसी की पॉलिसी (टर्म एवं कुछ विशेष प्लान को छोड़कर) ली है और आपने लगतार दो वर्षो तक अपने पॉलिसी की प्रीमियम का भुगतान किया है, लेकिन किसी कारण वश आप अपने पॉलिसी अगली प्रीमियम नहीं भर पाते हैं, तब भी आपकी पॉलिसी फर्स्ट अनपेड प्रीमियम (FUP) की तिथि से 90 दिनों तक मृत्यु दावे के लिए योग्य बनी रहेगी।

उदाहरण से समझे:

मान लीजिये कि श्री ओमकार गुप्ता जी ने दिनांक 28 अक्टूबर 2021 को भारतीय जीवन बीमा निगम से एक बीमा पॉलिसी खरीदी। दुर्भाग्यवश, 15 जनवरी 2024 को उनका निधन हो गया। हालाँकि, नॉमिनी के द्वारा बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने पॉलिसी की सभी प्रीमियम समय पर जमा की है, लेकिन आखरी प्रीमियम जमा नहीं किया गया है।

अब सवाल यह है कि क्या उनकी यह पॉलिसी मृत्यु दावे के योग्य है?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि 15 जनवरी 2024 से पहले श्री गुप्ता जी के बीमा पॉलिसी की प्रीमियम ड्यू कौन-कौन सी थी और उनकी इस पॉलिसी की प्रीमियम कितने वर्षो तक जमा हुई है।

मृत्यु के पूर्व की सभी प्रीमियम ड्यू-

  • पॉलिसी की प्रथम प्रीमियम ड्यू - 28 अक्टूबर 2021 (पॉलिसी जब जारी हुई थी)
  • पॉलिसी की दूसरी प्रीमियम ड्यू - 28 अप्रैल 2022
  • पॉलिसी की तीसरी प्रीमियम ड्यू - 28 अक्टूबर 2022
  • पॉलिसी की चौथी प्रीमियम ड्यू - 28 अप्रैल 2023
  • पॉलिसी की पांचवी प्रीमियम ड्यू - 28 अक्टूबर 2023 (यह ड्यू जमा नहीं हुई है)

नोट: उपरोक्त को जाँच करने पर पता चलता है कि 15 जनवरी 2024 से ठीक पहले, पॉलिसी की प्रीमियम ड्यू 28 अक्टूबर 2023 होगी। नॉमिनी के अनुसार पॉलिसी की आखरी ड्यू जमा नहीं हुई है तो इसका अर्थ यह है कि श्री गुप्ता जी ने 28 अक्टूबर 2023 में अपने इस पॉलिसी ड्यू जमा नहीं हुई है। यानि कि श्री गुप्ता जी के पॉलिसी फर्स्ट अनपेड प्रीमियम (FUP) 28 अक्टूबर 2023 होगी।

मृत्यु दावे की योग्यता की जाँच

चुकी श्री गुप्ता जी की पॉलिसी छमाही विधि से थी, इसलिए उन्हें उनकी बीमा पॉलिसी में फर्स्ट अनपेड प्रीमियम से 30 दिनों का ग्रेस पीरियड का लाभ मिलेगा, जो कि 27 नवंबर 2023 को समाप्त हो चूका है। इस आधार पर यह पॉलिसी मृत्यु दावे के लिए अयोग्य हो जाएगी।

लेकिन, यह पॉलिसी भारतीय जीवन बीमा निगम से खरीदी गई है और निगम अपने पोलिसीधारको को, पॉलिसी की प्रीमियम निरंतर दो वर्षो तक जमा करने के बाद 90 दिनों के लिए अपनी ओर से रियायत देता है। इस आधार पर जाँच करने पर पता चलता है कि श्री गुप्ता जी ने अपने पॉलिसी की दो वर्षो की प्रीमियम जमा की है, इस वजह से उन्हें उनकी पॉलिसी में 27 जनवरी 2024 तक रियायत का लाभ मिल जायेगा। अतः उनकी यह पॉलिसी मृत्यु दावे के लिए योग्य मानी जाएगी।

तीन वर्षो तक इन्फोर्स पॉलिसियों के लिए मृत्यु दावा लाभ

भारतीय जीवन बीमा निगम की ऐसी पॉलिसियां जिसकी प्रीमियम लगातार तीन वर्षो तक जमा हो चुकी है। इसके बाद अगर किसी कारण से उसकी प्रीमियम जमा नहीं होती है तो निगम ऐसी पॉलिसियों में मृत्यु दावे के लिए फर्स्ट अनपेड प्रीमियम (FUP) से 180 दिनों की रियायत देता है। हालाँकि, मृत्यु दावे के भुगतान के समय बकाया प्रीमियम की राशि लेट फीस के साथ काट ली जाएगी।

पांच वर्षो तक इन्फोर्स पॉलिसियों के लिए मृत्यु दावा लाभ

भारतीय जीवन बीमा निगम की ऐसी पॉलिसियां जिसकी प्रीमियम लगता पांच वर्षो तक जमा हो चुकी है। इसके बाद अगर किसी कारण से उस पॉलिसी की प्रीमियम जमा नहीं होती है, तो निगम ऐसी पॉलिसियों के लिए मृत्यु दावे के लिए फर्स्ट अनपेड प्रीमियम (FUP) से अगले बारह महीनो की रियायत देता है। यहाँ भी बकाया प्रीमियम की राशि लेट फीस के साथ मृत्यु दावे के भुगतान से काट ली जाती है।

विशेष बीमा पॉलिसियों के लिए नियम

आजकल लगभग सभी जीवन बीमा कंपनियां ग्राहकों के लिए खास तरह की जीवन बीमा योजनाए पेशकश करती हैं। इन योजनाओं की विशेषता यह होती है कि एक निश्चित अवधि तक प्रीमियम जमा होने के बाद, अगर पॉलिसीधारक अपने पॉलिसी की प्रीमियम किसी कारण से जमा नहीं कर पाता है, तो ऐसी योजनायें तब भी लम्बी अवधि का ऑटो कवर की सुविधा प्रदान करती हैं।

उदाहरण के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम की एक योजना थी जिसका नाम बीमा गोल्ड था। इस योजना का नियम था कि अगर पॉलिसीधारक अपने पॉलिसी की प्रीमियम दो वर्षो तक जमा कर देता है और किसी कारण से वह अपने पॉलिसी की प्रीमियम जमा नहीं कर पाता है, तो यह पॉलिसी अगले दो वर्षो तक मृत्यु दावे के लिए योग्य बनी रहेगी।

मृत्यु दावे में प्रीमियम स्थिति का मूल्यांकन

मुझे यह पूरा भरोषा है कि अब आप किसी भी जीवन बीमा पॉलिसी में मृत्यु दावे के संदर्भ प्रीमियम के आधार पर यह आकलन कर सकते हैं कि जीवन बीमा पॉलिसी मृत्यु दावे के योग्य है या नहीं।

अगर आप एक जीवन बीमा अभिकर्ता हैं तो किसी भी जीवन बीमा पॉलिसी के लिए मृत्यु दावे के लिए सबसे पहले आपको प्रीमियम के आधार पर यह जरूर कन्फर्म कर लेना चाहिए कि वह जीवन बीमा पॉलिसी मृत्यु दावे के लिए योग्य है या नहीं। संक्षेप में जाने कि मृत्यु दावे के लिए प्रीमियम स्थिति का मूल्यांकन कैसे करे

  1. पॉलिसी के फर्स्ट अनपेड प्रीमियम की जांच: जीवन बीमा पॉलिसियों में मृत्यु दावा होने पर सबसे पहले मृतक पॉलिसीधारक के पॉलिसी के एफयूपी की जाँच करें और आकलन करें कि पॉलिसीधारक के मृत्यु के समय पॉलिसी इन्फोर्स कंडीशन में थी या नहीं।
  2. ग्रेस पीरियड की समीक्षा: यदि पॉलिसीधारक के मृत्यु के समय पॉलिसी इन्फोर्स कंडीशन में नहीं थी, तो यह जाँच करें कि क्या पॉलिसीधारक की मृत्यु के ग्रेस पीरियड के दौरान हुई है।
  3. प्रीमियम भुगतान अवधि का आकलन:
    • यदि पॉलिसीधारक के मृत्यु के समय पॉलिसी ग्रेस पीरियड की अवधि भी पार कर चुकी हो, तो यह जाँच करें कि पॉलिसी की प्रीमियम कितने वर्षो तक जमा हुई है।
    • अब जाने कि क्या सम्बंधित जीवन बीमा कंपनी मृत्यु दावे के लिए क्या कोई अन्य सहूलियत प्रदान करती है जैसा कि उपरोक्त में भारतीय जीवन बीमा निगम के संदर्भ में बताया गया है।
    • अगर सम्बंधित जीवन बीमा कंपनी मृत्यु दावे के लिए कोई अतिरिक्त सहूलियत प्रदान करती है तब यह गणना करें कि क्या मृतक पॉलिसीधारक की जीवन बीमा पॉलिसी कंपनी के उन शर्तो को पूरा करती है।
  4. पॉलिसी के विशेष प्रावधानों की समीक्षा: यदि मृतक पॉलिसीधारक की जीवन बीमा पॉलिसी उपरोक्त किसी भी शर्त को पूरा नहीं करती है तो यह पता लगाए कि पॉलिसी के नियमो में मृत्यु दावे से सम्बंधित कोई विशेष नियम (जैसे, अतिरिक्त दो वर्षों का ऑटो कवर) लागू होते हैं।

प्रीमियम के आधार पर मृत्यु दावा योग्यता का निर्धारण

अगर मृतक पॉलिसीधारक की जीवन बीमा पॉलिसी, उपरोक्त में बताये गए 4 शर्तो में से किसी भी एक शर्त को पूर्ण करती है, तो आप ऐसी पॉलिसी को प्रीमियम के आधार पर मृत्यु दावे के लिए योग्य मान सकते हैं। ऐसी स्थिति में, एक जीवन बीमा अभिकर्ता के रूप में आपको चाहिए कि आप पॉलिसी के नॉमिनी को अथवा दावेदार को सम्बंधित जीवन बीमा कंपनी में जल्द से जल्द औपचारिक मृत्यु दावा सुचना प्रस्तुत करने की सलाह देनी चाहिए।

निष्कर्ष

जीवन बीमा पॉलिसी के लिए मृत्यु दावा सुचना प्रस्तुत करने से पूर्व प्रीमियम सम्बंधित शर्तो को समझना बेहद जरूर होता है। खास तौर से तब जब आप एक जीवन बीमा अभिकर्ता हों। इस आकलन के आधार पर आप पॉलिसी के नॉमिनी को अथवा दावेदार को भुगतान से सम्बंधित संभावनाओं के लिए बेहतर मार्गदर्शन कर सकते हैं। ऐसा करने से आपकी बेहतर प्रोफेशनल छवि का निर्माण होता है और आप अनावश्यक विवादों से भी बचे रहते हैं।

वीडियो में विस्तार से जाने

इस लेख में दी गई जानकारी और अधिक विस्तार से जानने के लिए नीचे दी गई वीडियो को अंत तक ध्यान से देखिये। अगर इस संदर्भ में आपके कोई सवाल हों तो वीडियो के कमेंट बॉक्स में अपने सवाल लिखें।

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