गलत बीमा विक्री की वजह से एजेंसी टर्मिनेशन से कैसे बचें
जीवन बीमा का अभिकरण व्यवसाय सिर्फ पॉलिसी बेचने तक सिमित नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जो आपके पॉलिसीधारकों के परिवार के भविष्य को आर्थिक तौर पर सुरक्षा प्रदान करती है। हालाँकि, यदि इस व्यवसाय में छोटी-छोटी बातों को अनदेखा किया जाता है तो यह आपके एजेंसी के लिए बड़ी समस्या का कारण बन सकता है।
जीवन बीमा बाजार के इस नवीनतम लेख में हम उन सामान्य गलतियों और उनके रोकथाम के उपायों के बारे में चर्चा करेंगे, जिनसे न केवल आप अपने जीवन बीमा की एजेंसी को सुरक्षित रख सकते हैं बल्कि अपने ग्राहकों का भरोसा भी बनाये रख सकते हैं।
सही ग्राहक का चयन
एक जीवन बीमा अभिकर्ता के तौर पर आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि जीवन बीमा की पॉलिसी केवल उन्ही लोगों को बेचीं जाये, जो जीवन बीमा पॉलिसी के योग्य हों। प्रत्येक जीवन बीमा कंपनी अपने एजेंटो से यह उम्मीद करती है कि उनका एजेंट ऐसे लोगों को जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जो पूरी तरह से स्वस्थ होगा।
प्रत्येक जीवन बीमा कंपनी यह विश्वास करती है कि उनका एजेंट, ग्राहकों के मेडिकल रिपोर्ट और प्रासंगिक दस्तावेजों को सही तरीके से सत्यापित करेगा और ग्राहकों के स्वास्थ सम्बंधित गंभीरता को समझते हुए प्रत्येक प्रस्ताव के लिए पारदर्शिता बरतेगा।
जीवन बीमा विक्री में अभिकर्ता की समस्या
मैंने वर्ष 2001 से वर्ष 2018 तक, भारत की नंबर वन जीवन बीमा कंपनी जिसे भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के नाम से जाना जाता है, के साथ जुड़कर जीवन बीमा सलाहकार के तौर पर काम किया है। वर्ष 2015 से, मैं एक ट्रेनर के तौर पर सतत कार्य कर रहा हूँ। एक ट्रेनर के तौर पर मैं कई जीवन बीमा अभिकर्ताओं से बातचीत करता रहता हूँ।
मैं यहाँ पर अपने कुछ अनुभव आपके साथ साझा करना जरुरी समझता हूँ। मेरा यह मानना है कि प्रत्येक जीवन बीमा एजेंट हमेसा यह कोशिस करता है कि वह सही जीवन बीमा पॉलिसी की ही विक्री करें। लेकिन इसके साथ ही, प्रत्येक एजेंट यह भी चाहता है कि वह एमडीआरटी/सीओटी/टीओटी जैसी सफलताओं को प्राप्त करें, वह अपना नाम अपने शाखा कार्यालय के बोर्ड पर पहुँचाना चाहता है और अपने आपको खुद के परिवार के साथ आर्थिक तंगी से बाहर भी निकलना चाहता है।
कोई भी एजेंट यह नहीं चाहता है कि उसके किसी भी ग्राहक कोई समस्या हो और कोई भी ग्राहक उसकी वजह से नाराज हो। एक एजेंट की यह सोच ही, उसके लिए बड़ी समस्या खड़ा कर देती हैं। बीमा पॉलिसी के विक्री के समय एजेंट को लगता है कि अगर वह अपने भावी ग्राहक से उसके नशे से सम्बंधित आदतों के पूछता है या अगर वह ग्राहक से उसकी बीमारी के बारे में पूछता है तो ग्राहक नाराज हो जायेगा या ग्राहक पॉलिसी खरीदने से मना कर देगा।
अदृश्य बिमारियों का आकलन करने में अभिकर्ताओं द्वारा की जाने वाली त्रुटि
सामान्य तौर पर एक बीमार व्यक्ति को देखकर यह पता लग जाता है कि वह व्यक्ति अस्वस्थ है। लेकिन, कई ऐसी गंभीर और जानलेवा ऐसी बीमारिया भी होती है जिससे ग्रसित मरीज को सामान्य तौर पर देखकर यह नहीं बताया जा सकता है कि वह व्यक्ति बीमार चल रहा है। जैसे: डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, शुरूआती कैंसर, क्रॉनिक किडनी डिजीज, थायरॉइड, ऑस्टियोपोरोसिस, लिवर डिजीज, हार्ट डिजीज, एचआईवी, डिप्रेशन, इत्यादि।
उपरोक्त बीमारी से ग्रसित मरीज सामान्य तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह ही नज़र आता है। उदाहरण के तौर पर हार्ट डिजीज के मरीज को देखकर आप यह नहीं बता सकते हैं कि वह इतनी गंभीर बीमारी से ग्रसित है। जबकि वह लम्बे अवधि से अपना ईलाज करवा रहा होता है।
कई जीवन बीमा एजेंट संकोच अथवा अन्य कारणों से ऐसे लोगों से उनकी बीमारी के बारे में पूछताछ नहीं करते हैं और उन्हें स्वस्थ मानकर बीमा पॉलिसी बेच देते हैं। जब ऐसी पॉलिसियों में मृत्यु दावा होता है तो ऐसे मृत्यु दावे को निरस्त कर दिया जाता है। अब यदि मृतक पॉलिसीधारक का परिवार बीमा कंपनी के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाता है तब बीमा अभिकर्ता की जवाबदेही बढ़ जाती है।
इस परिस्थिति में, एजेंट की एजेंसी पर संकट हो सकता है अथवा बीमा दावे की रिकवरी एजेंट से किया जा सकता है। अतः एक ट्रेनर के तौर पर आपके लिए हमारा सुझाव होगा कि प्रत्येक बीमा विक्री में स्वास्थ का सही आकलन करने के बाद ही जीवन बीमा पॉलिसी विक्री करने का निर्णय लें।
अभिकर्ता, ग्राहक के स्वास्थ का सटीक आकलन कैसे करे
मैं यह मानता हूँ कि एक सही जीवन बीमा पॉलिसी की विक्री करने के लिए जीवन बीमा एजेंट को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए आपके लिए हमारा सुझाव होगा कि प्रोस्पेक्टिंग (नए ग्राहक की खोज की प्रक्रिया) के समय ही प्रॉस्पेक्ट (नए ग्राहक) के स्वास्थ एवं आदतों के बारे में जरूर पता लगा लें। इसके लिए आप संभावित ग्राहकों के पड़ोसियों, उनके दोस्तों से इस बारे में जानकारी एकत्र कर सकते हैं।
क्योकि अगर आप एक बीमार व्यक्ति के लिए काम करते है अर्थात पहले बीमा पॉलिसी समझाते हैं, फिर उसके विभिन्न प्रकार के आपत्तियों को हल करते हैं और बाद में प्रोपोजल फॉर्म भरते समय आपको पता चलता है कि वह व्यक्ति बीमार है तो ऐसा होने पर आपका काफी समय और पैसा दोनों बरबाद हो जाता है।
अब मान लीजिये कि आप किसी व्यक्ति के स्वास्थ के बारे में उसके पास पड़ोसियों से पूछताछ की और उसके बाद आपने उस व्यक्ति को जीवन बीमा की पॉलिसी समझाई। अब वह व्यक्ति बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए तैयार हो जाता है। तो प्रपोजल फॉर्म भरने से पहले आपको आपके उस संभावित ग्राहक से उसके बीमारी के बारे में जरूर पूछना चाहिए।
हालाँकि, मुझे यह पता है कि संकोच के कारण आप कुछ झिझक का अनुभव कर सकते हैं। अगर आप ऐसा अनुभव करते हैं तो आपके लिए हम दो प्रश्न दे रहे हैं आप बेझिझक होकर यह प्रश्न पूछ सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके ग्राहक को बुरा भी नहीं लगेगा और वह अपने बीमारी की सटीक जानकारी भी दे देगा।
पहला प्रश्न: क्या आप इस समय किसी गंभीर बीमारी का इलाज करा रहें हैं, यदि आपका कोई ईलाज चल रहा है तो आपको जीवन बीमा कंपनी से कुछ विशेष लाभ मिल सकता है।
दूसरा प्रश्न: क्या पिछले कुछ वर्षो के दौरान आपको किसी गंभीर बीमारी का इलाज कराना पड़ा है, यदि आपके साथ ऐसा हुआ होगा, तब भी आपको बीमा कंपनी से लाभ मिल सकता है।
दोस्तों, मैं अपने अनुभव से कहता हूँ जब ग्राहक बीमा पॉलिसी को खरीदने के लिए तैयार हो जाता है और उस समय अगर आप उपरोक्त प्रश्न पूछते हैं तो वह ग्राहक न केवल अपने रोग के बारे में बताता है, बल्कि जरुरी प्रमाण प्रस्तुत करने को भी तैयार हो जाता है। मैंने अपने कार्यकाल में इस तकनीक का उपयोग हमेसा से करता आया हूँ।
अगर ग्राहक बीमार होता है तो हमें उसी समय यह प्रयास जरूर करना चाहिए कि परिवार के अन्य सदस्यों के स्वास्थ के बारें में पता लगाएं। ताकि परिवार के किसी दूसरे सदस्य को बीमा पॉलिसी विक्री करने के लिए प्रयास कर सकें।
सरकारी कर्मचारियों से बीमा एजेंट को गंभीर चुनौती
जीवन बीमा पॉलिसी की विक्री के दौरान एक जीवन बीमा एजेंट लिए सबसे बड़ी चुनौती तब होती है, जब वह अपने उत्पादों की विक्री के लिए किसी सरकारी कर्मचारी से मिलते हैं। वास्तव में, कई सरकारी कर्मचारी पूरी तरह से स्वस्थ होने के बावजूद मेडिकल लिव पर छुट्टी लेकर घर पर होते हैं। अक्सर, जब ऐसे ग्राहकों से उनके स्वास्थ के विषय में पूछताछ की जाती है तो वह खुद को पूर्णतया स्वस्थ भी बताते हैं। ऐसा इसलिए, क्योकि वह वास्तव में स्वस्थ होते हैं, उन्होंने तो मेडिकल लिव सिर्फ छुट्टी लेने के लिए लिया होता है।
जैसा कि आप जानते ही हैं, जीवन बीमा पॉलिसियों में मृत्यु दावा होने पर बीमा कंपनी मृत्यु की जाँच करती है। जब किसी सरकारी कर्मचारी के जीवन बीमा पॉलिसी में मृत्यु दावा आता है, तब बीमा कंपनी उसके ऑफिसियल दस्तावेजों की भी जाँच करती है। इस जाँच में यह पता चल जाता है कि मृतक पॉलिसीधारक के जीवन पर जब जीवन बीमा पॉलिसी जारी की गई थी उस समय वह मेडिकल लिव पर था।
प्रत्येक सरकारी कर्मचारी छुट्टी प्राप्त करने के लिए सम्बंधित विभाग में खुद के स्वास्थ जांच का प्रमाण और लिखित एप्लीकेशन जमा करता है। छुट्टी के एप्लीकेशन में वह खुद के हस्ताक्षर के साथ यह स्वीकार करता है कि वह बीमार है। बीमा दावा निरस्त करने के लिए इतना प्रमाण काफी होता है। ऐसी पॉलिसियों के मृत्यु दावे में, जीवन बीमा एजेंट बिना किसी गलती के बलि का बकरा बन जाता है।
अतः आपके लिए हमारा सुझाव होगा कि जब कभी भी आप किसी सरकारी कर्मचारी से जीवन बीमा पॉलिसी के संदर्भ में बातचीत कर रहे हों, तो इस चीज़ की जांच जरूर कर ले कि क्या वह उस समय अथवा पिछले एक वर्ष के दौरान मेडिकल लिव तो नहीं लिया है।
दूरस्थ ग्राहकों को जीवन बीमा पॉलिसी बेचने के जोखिम
आजकल कई जीवन बीमा एजेंट अपने एजेंसी पोर्टल का इस्तेमाल करके जीवन बीमा पॉलिसी का रजिस्ट्रशन कर रहे हैं। कुछ एजेंट दूर बैठे ग्राहकों को जीवन बीमा पॉलिसी बेचने के लिए एजेंसी पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, यह तरीका आपकी एजेंसी के लिए अत्यधिक खतरनाक हो सकता है।
दूरस्थ ग्राहकों की पहचान और जोखिम
ऐसे व्यक्ति जो आपसे दूर हैं, आप यह नहीं जानते हैं कि जिस दिन आपने उनका रजिस्ट्रेशन किया, वे कहाँ-कहाँ गए और क्या-क्या किया। उदाहरण के तौर पर, अगर एक व्यक्ति नए बीमा के लिए पंजीकरण के दिन किसी सामान्य बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में दवा खरीदता है या अपने कार्यस्थल के एंट्री रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, तो यह जानकारी महत्वपूर्ण हो सकती है। ऐसा होने पर भविष्य में मृत्यु दावा प्रभावित हो सकता है।
मेडिकल जाँच और मृत्यु दावा जाँच
यदि पॉलिसी के अंतर्गत भावी ग्राहक का मेडिकल, ईसीजी और अन्य स्वास्थ्य जांच अनिवार्य हो, तो आपको यह जांच सावधानीपूर्वक करानी चाहिए। अगर आपने ग्राहक को बिना देखे बीमा पॉलिसी बेच दी और मृत्यु दावा हुआ, तो मृत्यु दावे की जाँच में यह पता चल सकता है कि ग्राहक को बिना देखे ही बीमा पॉलिसी बेची गई है, जिससे मृत्यु दावा निरस्त हो सकता है और आपकी एजेंसी संकट में पड़ सकती है।
अतः आपके लिए हमारा सुझाव होगा कि दूर बैठे किसी ग्राहक को सिर्फ डिजिटल डिवाइस देखकर बीमा पॉलिसी बेचने का निर्णय न लें। बल्कि बीमा पॉलिसी बेचने के लिए या तो आप उस व्यक्ति से मिलें या उस व्यक्ति को मिलने के लिए बुलाएँ। अगर बीमा पॉलिसी में मेडिकल जांच जरुरी हो तो मेडिकल उसी जगह कराएं जहा पर आपकी मुलाकात ग्राहक से होती है और नज़दीकी कार्यालय में बीमा पॉलिसी रजिस्टर कराएं।
इसी संदर्भ में एक महत्वपूर्ण सलाह यह भी है कि अगर आप किसी ऐसे ग्राहक को जीवन बीमा पॉलिसी बेचना चाहते हैं जो विदेश में रहता है। तब आपको उसका बीमा तभी करना चाहिए जब वह भारत में हो। क्योकि ऐसे ग्राहकों के पासपोर्ट में उनकी उपस्थिति का लिखित रिकॉर्ड होता है।
नशे की लत और बीमा दावा जोखिम
कई जीवन बीमा एजेंट बीमा पॉलिसी बेचते समय ग्राहक की आदतों को अनदेखा कर देते हैं, जो एजेंसी के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। आप कई ऐसे लोगों को जानते होंगे जो नशे का सेवन करते हैं। हमारा सुझाव है कि आपको ऐसे लोगों को बीमा बेचने से बचना चाहिए। अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को बीमा पॉलिसी बेचते हैं जो नशे का बहुत आदी है और बाद में नशे की लत के कारण होने वाली बीमारी से मर जाता है, तो बीमा कंपनी दावे को अस्वीकार कर सकती है।
उच्च जोखिम वाला व्यवसाय और नशा
अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को बीमा बेचते हैं जो अत्यधिक शराब पीता है और जोखिम भरा व्यवसाय करता है, तो बीमा आपके लिए समस्याएँ पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि गाड़ी चलाते समय वह नशे में था, तो बीमा दावा खारिज होने की संभावना अधिक होती है।
प्रस्ताव फॉर्म भरने की प्रक्रिया
अधिकांश एजेंट क्लाइंट के लिए प्रस्ताव फॉर्म खुद भरते हैं। हमारा सुझाव है कि यदि संभव हो तो क्लाइंट से प्रस्ताव फॉर्म भरवाएं और उसकी मदद करें। यदि यह संभव नहीं है तो क्लाइंट के किसी पारिवारिक सदस्य या अपने स्टाफ से फॉर्म भरवाएं। प्रस्ताव फॉर्म पर केवल आपके हस्ताक्षर होने चाहिए और एजेंट गोपनीय रिपोर्ट फॉर्म आपको खुद ही भरना चाहिए।
एजेंसी पोर्टल का उपयोग और जिम्मेदारी
यदि आप अपने एजेंसी पोर्टल का उपयोग करके जीवन बीमा पॉलिसी पंजीकृत करते हैं, तो आप प्रस्ताव फॉर्म से संबंधित सभी जिम्मेदारियां खुद पर लेते हैं। इसलिए, एजेंसी पोर्टल का उपयोग केवल तभी करें जब यह बिल्कुल आवश्यक हो।
पॉलिसी का पुनर्चलन और गवाही
पॉलिसी पुनरुद्धार के मामलों में, एजेंट को पुनरुद्धार दस्तावेजों की गवाही तभी देनी चाहिए जब उसे क्लाइंट की सही स्वास्थ्य स्थिति का पता हो।
डुप्लीकेट पॉलिसी बॉन्ड के जोखिम
भविष्य में फिजिकल पॉलिसी बॉन्ड का चलन बंद होने जा रहा है। लेकिन फिलहाल, डुप्लीकेट पॉलिसी बॉन्ड के लिए ग्राहक के अनुरोध पर कार्रवाई करने से पहले सावधानी बरतें। जीवन बीमा पॉलिसियों में पॉलिसी बॉन्ड सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है और इसके आधार पर कई वित्तीय और न्यायिक कार्रवाई की जा सकती है। अगर आप गलत व्यक्ति के लिए डुप्लीकेट पॉलिसी बॉन्ड के लिए कार्रवाई करते हैं और बाद में धोखाधड़ी का मामला उजागर होता है, तो आपसे वित्तीय वसूली की जा सकती है।
जीवन बीमा एजेंट के लिए सुझाव
हो सकता है कि आपको पहले कई मामलों की जानकारी न रही हो और इस वजह से आपके द्वारा कुछ गलत जीवन बीमा पॉलिसियाँ बेची गई हों। तो अब सवाल यह उठता है कि ऐसी पॉलिसियों से अपनी एजेंसी को कैसे सुरक्षित रखें। तो चलिए अब इस विषय पर विस्तार से जानते हैं।
मान लीजिए कि आपने जाने-अनजाने में किसी बीमार व्यक्ति को जीवन बीमा पॉलिसी बेची है। जब आपने बीमा पॉलिसी बेची, उस समय आपको इस बारे में पता नहीं था, लेकिन जब पॉलिसी जारी हुई, तब आपको बीमारी के बारे में पता चला। अब यह सच है कि अगर ऐसी जीवन बीमा पॉलिसी में मृत्यु दावा आता है, तो दावा खारिज होना तय है। लेकिन इसके बावजूद आप अपनी खुद की एजेंसी को सुरक्षित रखने के लिए कुछ कदम जरूर उठा सकते हैं।
1- समय पर प्रीमियम का भुगतान करें: सुनिश्चित करें कि पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी का प्रीमियम समय पर भुगतान करता रहे। ताकि उसकी पॉलिसी किसी भी परिस्थिति में लैप्स न हो। अगर पॉलिसी का प्रीमियम दो साल तक जमा किया जाता है, तो काफी हद तक एजेंसी का जोखिम खत्म हो जाता है।
2- रिवाइवल फॉर्म पर हस्ताक्षर करने से बचें: अगर ग्राहक अपनी पॉलिसी का प्रीमियम जमा नहीं करता है और पॉलिसी लैप्स हो जाती है, तो ऐसी पॉलिसी के रिवाइवल फॉर्म पर खुद हस्ताक्षर न करें।
3- मृत्यु दावा फॉर्म और एजेंट रिपोर्ट भरने से बचें: आपको ऐसी पॉलिसियों के मृत्यु दावे का कोई भी फॉर्म नहीं भरना चाहिए और न ही किसी फॉर्म पर हस्ताक्षर करना चाहिए।
मृत्यु दावे की जांच और कानूनी जिम्मेदारियां
यह सच है कि गलत पॉलिसियों के मृत्यु दावे खारिज हो जाते हैं। लेकिन अगर मृतक पॉलिसीधारक के परिवार के सदस्य बीमा कंपनी के इस फैसले को उपभोक्ता फोरम में चुनौती देते हैं, तो आपकी एजेंसी मुश्किल में पड़ सकती है। अब अगर आप पॉलिसी का प्रस्ताव फॉर्म, रिवाइवल फॉर्म और मृत्यु दावा फॉर्म भरते हैं, तो ऐसा करके आप अपनी ही एजेंसी को मुश्किल में डाल सकते हैं।
मान लीजिए आपने सिर्फ प्रस्ताव फॉर्म भरा है, तो पूछताछ के दौरान आप इस तरह अपना पक्ष रख सकते हैं: बीमा पॉलिसी खरीदते समय ग्राहक ने अपनी बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी। लेकिन अगर आपने खुद मृत्यु दावा फॉर्म भरा है, तो आप जवाब नहीं दे पाएंगे। क्योंकि आपकी बीमा कंपनी जरूरी सबूत पेश करेगी, जिसका जवाब आपके पास नहीं होगा। अगर ऐसा हुआ तो एजेंसी के बंद होने की संभावना बहुत ज़्यादा होगी।
अस्वीकरण:
हर ग्राहक महत्वपूर्ण होता है और जब वह जीवन बीमा पॉलिसी खरीदता है तो वह आप पर भरोसा करता है। इसलिए हर बिक्री से पहले यह ज़रूर देखें कि अगर पॉलिसी जारी होने के अगले दिन मृत्यु दावा आता है तो क्या आप मृत्यु दावा प्राप्त कर पाएँगे। अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो बीमा पॉलिसी बेच दें और अगर आप असमंजस में हैं तो भूल से भी बीमा न बेचें।
यहाँ साझा की गई सभी जानकारी हमारे अनुभवों पर आधारित है। हमारा मानना है कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी अधूरी और त्रुटियों से भरी हो सकती है। चूँकि हमें लगता है कि इस लेख में शामिल विषय बहुत महत्वपूर्ण है और आपके वित्तीय भविष्य से जुड़ा है, इसलिए हमारा आपके लिए सुझाव यही होगा कि आप हमारे लेख को किसी भी निर्णय का आधार न बनाएँ। बल्कि विशेषज्ञ की सलाह लें और अपने विवेक का इस्तेमाल करें। आपके द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय के लिए हम किसी भी तरह से ज़िम्मेदार नहीं होंगे।
वीडियो में विस्तार से जाने
इस लेख में दी गई जानकारी और अधिक विस्तार से जानने के लिए नीचे दी गई वीडियो को अंत तक ध्यान से देखिये। अगर इस संदर्भ में आपके कोई सवाल हों तो वीडियो के कमेंट बॉक्स में अपने सवाल लिखें।

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