10 April 2020

GSTIN: What is GSTIN | GSTIN क्या है

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What is GSTIN









GSTIN क्या होता है

Information About GSTIN Number-

GSTIN का अर्थ "माल एवं सेवा कर पहचान संख्या" होता है। इसे अंग्रेजी भाषा में "Goods & Services Tax Identification Number" कहते है। 

पहले राज्य सरकार व्यापारियों से जो टैक्स लेती थी। उसे VAT के नाम से जाना जाता था। इसी प्रकार किसी प्रकार की वस्तु का निर्माण करने वालो पर सर्विस टैक्स लगाया जाता था। ऐसे कारोबारी जो VAT सिस्टम के अंतर्गत अपना कारोबार किया करते थे। उनके लिए TIN नंबर जारी किया जाता था। ऐसे कारोबारी जो सर्विस टैक्स के अधीन कार्य किया करते थे। उनके लिए केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा एक नंबर जारी किया जाता था। 

इस प्रकार पहले बहुत सारे डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स का जाल फैला हुआ था। वर्तमान में भारत सरकार ने इन सभी टैक्स को हटाकर एक टैक्स का प्रावधान शुरू कर दिया है। जिसे हम "माल एवं सेवा कर अर्थात Goods & Service Tax" कहते है इसी टैक्स को संक्षेप में "जीएसटी (GST)" कहते है। 

GST लागू होने के साथ ही अलग अलग तरह के डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स का जाल तो समाप्त हुआ ही। साथ ही सभी टैक्स नंबरों की जगह एक नंबर ने ले ली। जिसे हम GSTIN के नाम से जानते है।

इस जानकारी को वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से देखने के लिए- क्लिक कीजिये 

GSTIN की आवश्यकता क्या है-

GST में रजिस्टर कराने पर किसी भी कारोबारी को उसका यूनिक पहचान नंबर अर्थात GSTIN मिलता है। सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे GST अकाउंट भी कहा जाता है। किसी भी प्रकार के सामान अथवा किसी भी प्रकार के सर्विस से जुड़े हुए कारोबारी को GSTIN लेना अनिवार्य होता है। भले ही वह composit स्कीम का व्यापारी हो अथवा किसी भी प्रकार के वस्तुओ का निर्माण करता हो। भले ही वह कोई रेस्टोरेंट चलाता हो अथवा किसी अन्य सेवा क्षेत्र में अपना व्यवसाय करता हो। 

GSTIN की उपयोगिता क्या है-

इसकी उपयोगिता निम्नवत है 
  • जीएसटी के नेटवर्क में सभी नंबर एक दूसरे से कनेक्ट होते है। इसका लाभ यह होता है कि इससे किसी भी जगह एक अकाउंट पर दर्ज की गई सुचना उस अकाउंट धारक के पास अपने आप पहुंच जाती है। 
  • वस्तुओ के कोड के आधार पर उन वस्तुओ की खरीद और विक्रय पर उस व्यापारी की टैक्स लाइबिल्टी उसके GST अकाउंट पर स्वतः दिखाई देती है। इस कारण वह व्यापारी अतिरिक्त मानसिक परेशानियों से बचता है। 
  • किसी सामान का विक्रय करने वाला व्यापारी जैसे ही अपने विक्री रिटर्न में उस सामान की की विक्री को GSTIN नंबर के साथ इंट्री करता है। आगे चलकर उस सामान के क्रय करने वाले व्यापारी को अपने GST अकाउंट में वह इंट्री अपने आप दिखाई देने लगती है। इसकी वजह से खरीदारी का रिटर्न भरते समय क्रेता व्यापारी को यह जानकारी अलग से दर्ज करने की जरुरत नहीं होती है। 
  • यदि किसी व्यापारी के अकाउंट में किसी लेन देन की इंट्री किसी भी प्रकार से गलत दर्ज हो गई हो। या फिर कुछ कम या ज्यादा दर्ज हो गई हो तो उस व्यापारी के पास इसे सुधारने का या फिर गलत इंट्री को हटाने का विकल्प मौजूद होता है। 
  • GSTIN लागू होने के बाद सभी कारोबार की जानकारी का रिकॉर्ड ऑनलाइन हो गया है। इस कारण अब कोई भी व्यापारी अपने द्वारा किये गए किसी भी क्रय विक्रय को नहीं छुपा सकेगा। इस कारण टैक्स चोरी की सम्भावनाये काफी कम हो जाएगी और सरकार के पास पहले से कहीं ज्यादा राजस्व इकठ्ठा होने की सम्भावनाये बनेगी और टैक्स अधिकारियो को निगरानी रखने में भी सफलता मिलेगी। 

GSTIN की संरचना-

GSTIN के प्रथम दो अंक-

वर्ष 2011 की जनगणना के बाद हर राज्य का दो अंको का कोड होता है। जैसे- दिल्ली का कोड- 07, असम का कोड-18, उत्तर प्रदेश का कोड- 09, इत्यादि है। GSTIN के 15 डिजिट में, प्रथम के दो अंक उस राज्य के कोड प्रदर्शित करते है। जिस राज्य में वह कारोबार किया जा रहा है।

अर्थात दिल्ली के सभी कारोबारियों के GSTIN का प्रथम दो अंक 07 होगा। इसी प्रकार असम के सभी कारोबारियों के GSTIN का प्रथम दो अंक 18 होगा एवं उत्तर प्रदेश के सभी कारोबारियों के GSTIN का प्रथम दो अंक 09 होगा।

GSTIN में प्रथम के दो अंको के जरिये यदि आप जानना चाहते हो कि वह किस राज्य से सम्बन्ध रखता है तो नीचे दिया हुआ टेबल आपके लिए सहायक सिद्ध होगा -
  • जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir)- 01 
  • हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh)- 02 
  • पंजाब ( Punjab)- 03 
  • चंडीगढ़ ( Chandigarh)- 04 
  • उत्तराखण्ड (Uttarakhand)- 05 
  • हरियाणा (Haryana)- 06 
  • दिल्ली (Delhi)- 07 
  • राजस्थान (Rajasthan)- 08 
  • उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)- 09 
  • बिहार (Bihar)- 10 
  • सिक्किम ( Sikkim)- 11 
  • अरुणाचल प्रदेश ( Arunachal Pradesh)- 12 
  • नागालैंड (Nagaland)- 13 
  • मणिपुर (Manipur)- 14 
  • मिजोरम (Mizoram)- 15 
  • त्रिपुरा (Tripura)- 16 
  • मेघालय (Meghalaya)- 17 
  • असम (Assam)- 18 
  • पश्चिम बंगाल (West Bengal)- 19 
  • झारखण्ड (Jharkhand)- 20 
  • उडीसा (Orissa)- 21 
  • छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)- 22 
  • मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh)- 23 
  • गुजरात (Gujarat)- 24 
  • दमण एवं दीव (Daman and Diu)- 25 
  • दादर एवं नगर हवेली (Dadra and Nagar Haveli)- 26 
  • महाराष्ट्र (Maharashtra)- 27 
  • आंध्रप्रदेश(Andhra Pradesh)- 28 
  • कर्नाटक (Karnataka)- 29 
  • गोवा (Goa)- 30 
  • लक्षद्वीप (Lakshdweep)- 31 
  • केरल (Kerala)- 32 
  • तमिलनाडु (Tamil Nadu)- 33 
  • पांडिचेरी (Pondicherry)- 34 
  • अंडमान- निकोबार (Andaman and Nicobar)- 35 

GSTIN के तीसरे अंक से लेकर बारहवें अंक तक के नम्बर-

GSTIN के तीसरे अंक से बारहवें नम्बर तक के नंबर व्यापारी के पैनकार्ड के नंबर को प्रदर्शित करते है।

GSTIN का तेरहवाँ अंक-

GSTIN के तेरहवें डिजिट की संख्या व्यापारी के व्यवसायों की संख्या को प्रदर्शित करती है। उदाहरण के लिए इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि एक कोई ऐसा व्यापारी है जो कुल तीन प्रकार के व्यापार करता है। तो जब वह व्यापारी अपने प्रथम व्यापार के लिए GSTIN का रजिस्ट्रेशन कराएगा। तब उसके प्रथम व्यवसाय के लिए रजिस्टर GSTIN का तेरहवाँ डिजिट 1 होगा। इस प्रकार जब वह व्यापारी अपने दूसरे व्यवसाय के लिए GSTIN का रजिस्ट्रेशन कराएगा। तब उसके दूसरे व्यवसाय के लिए रजिस्टर GSTIN का तेरहवाँ डिजिट 2 होगा। ठीक इसी प्रकार जब वह व्यापारी अपने तीसरे व्यवसाय के लिए GSTIN का रजिस्ट्रेशन कराएगा। तब उसके तीसरे व्यवसाय के लिए रजिस्टर GSTIN का तेरहवाँ डिजिट 3 होगा।

GSTIN का चौदहवाँ अंक-

सभी GSTIN के चौदहवें डिजिट पर आपको "Z" लिखा हुआ मिलेगा। यह चौदहवाँ डिजिट का अर्थ समझ नहीं आता है। हमे लगता है इस चौदहवें डिजिट को शायद विकल्प के रूप में रखा गया है। जिसका भविष्य में उपयोग किया जा सकता है। 



GSTIN का पन्द्रहवाँ अंक-

हमे लगता है कि GSTIN का पन्द्रहवाँ डिजिट, GSTIN के पहले से लेकर चौदहवें डिजिट तक के नंबरों के एक विशेष प्रकार के योग (जोड़) को प्रदर्शित करता है। इस डिजिट के कारण कम्प्यूटर को अकाउंट में हो रहे गलतियों को तेज़ गति से पकड़ने में सहायता मिलती है। 

GSTIN और GSTN का क्या अर्थ है- 

मुझे यकीन है कि उपरोक्त लेख पढ़ने के बाद आपको GSTIN के सन्दर्भ में जानकारी हो गई होगी। वास्तव में GSTIN एक प्रकार का अकाउंट नंबर होता है। साधारण भाषा में आप इसे GST अकाउंट नंबर भी कह सकते है। इस अकाउंट नंबर के जरिये एक व्यापारी अपने क्रय-विक्रय का रिकॉर्ड दर्ज करता है। जिसका उपयोग टैक्स जमा करने के लिए किया जाता है। 
जबकि GSTN एक प्रकार से एक सिस्टम है। जिसे साधारण भाषा में Goods and Service Tax Network कहा जाता है। GSTN के माध्यम से आईटी सिस्टम को मैनेज किया जाता है। GSTN ही ऑनलाइन माध्यम से सभी GSTIN से जुड़े सौदों को नियंत्रित करता है।  
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