एलआईसी प्रपोजल फॉर्म के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जब आप एलआईसी की कोई पालिसी खरीदते अथवा बेचते हैं, तो उस समय आपको एलआईसी का प्रपोजल फॉर्म भरना पड़ता है। बीमा पालिसी की खरीद विक्री में कौन सा फॉर्म उपयोग में लिया जायेगा, यह कई बातों पर निर्भर करता है। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अलग-अलग आयु वर्ग के लोगो के लिए अलग अलग तरह के प्रपोजल फॉर्म बनाये हुए है। तो एलआईसी की किसी भी पॉलिसी को खरीदते अथवा बेचते समय सबसे पहले आपको यह पता करना होगा कि प्रस्तावित जीवन के लिए कौन सा फॉर्म भरा जायेगा?
अक्सर लोगों के मन में प्रपोजल फॉर्म के संदर्भ में बहुत सारे सवाल होते हैं, जिसका सही जवाब न मिलने पर वह फॉर्म को भरते समय गलतियां कर देते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप बाद में उन्हें परेशान होना पड़ता है। अतः जीवन बीमा बाजार के इस लेख में हम आपके ऐसे कुछ महत्वपूर्ण सवालो का उत्तर देने का प्रयास कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि मेरा यह प्रयास आपके लिए लाभप्रद साबित होगा।
एलआईसी प्रपोजल फॉर्म हेतु सवाल जवाब
एलआईसी में "अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट" का फॉर्म नंबर 380/3251 है और इसका इस्तेमाल एलआईसी में नए व्यवसाय के प्रस्ताव फॉर्म को भरते समय किया जाता है। यह फॉर्म एलआईसी के एजेंट द्वारा भरा जाना है।
भले ही आपके विकास अधिकारी या मुख्य बीमा सलाहकार (CLIA) ने आपको 'अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट' भरने की प्रक्रिया समझा दी हो, लेकिन भविष्य में इस फॉर्म को भरने में आपको कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अपने एजेंसी करियर की शुरुआत में, आपको एक ही काम के लिए बार-बार अपने विकास अधिकारी या CLIA के पास जाना असुविधाजनक लग सकता है।
इसलिए नए एलआईसी एजेंट के लिए यह जानकारी बहुत ज़रूरी है। यहाँ दी गई जानकारी हमेशा आपके लिए उपलब्ध रहेगी, ताकि जब भी आपको इसकी ज़रूरत हो, आप इसका फ़ायदा उठा सकें।
अगर आप एक अनुभवी एलआईसी एजेंट हैं, तो आपके पास नए व्यवसाय और पुरानी पॉलिसी सेवाओं से जुड़े कई काम हो सकते हैं, जिसकी वजह से आपको समय की कमी महसूस हो सकती है। ऐसे में, कई अनुभवी एजेंट अपने काम में मदद के लिए सहयोगी नियुक्त करते हैं। हर बार जब आप नए सहयोगी नियुक्त करते हैं, तो उन्हें अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट भरने के लिए प्रशिक्षित करना आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अगर आप चीफ लाइफ इन्सुरेंस एडवाइजर (CLIA) है अथवा भारतीय जीवन बीमा निगम में विकास अधिकारी के रूप में काम करते हैं, तो आपको भी अपने नए एजेंटो को अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट को भरने के बारे में जानकारी देना होता है।
अब मान लीजिए कि आप अपने नए एजेंट या सहयोगी को अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट भरने के लिए प्रशिक्षित करते हैं, तो क्या यह संभव नहीं है कि वे दोबारा इस रिपोर्ट को भरते समय भ्रमित न हों? ऐसे में हमारे लेख आपके सहयोगी या नए एजेंटो को प्रशिक्षित करने के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। आप इस लेख का लिंक साझा करके उन्हें ACR भरने के सही तरीके के बारे में जानकारी दे सकते हैं, जिससे आपका कीमती समय भी बचेगा।
एलआईसी की अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट को संक्षिप्त रूप में ACR कहा जाता है।
एलआईसी में एसीआर फॉर्म का मतलब है "अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट" (Agent Confidential Report)। जब कोई एलआईसी एजेंट नई बीमा पॉलिसी बेचता है, तो उसे यह फॉर्म भरना होता है। इस फॉर्म की मदद से एलआईसी अभिकर्ता, निगम को बीमा के लिए प्रस्तावित जीवन के बारे में गोपनीय जानकारी प्रदान करता है।
भारतीय जीवन बीमा निगम में, जीवन बीमा अभिकर्ता द्वारा प्रत्येक विक्री के लिए यह फॉर्म बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। क्योकि निगम इस फॉर्म में प्रस्तुत गुप्त सुचना के आधार पर जीवन बीमा पालिसी जारी करने का निर्णय लेती है। इसलिए इस फॉर्म को अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट अथवा एसीआर कहा जाता है।
एलआईसी में नव व्यवसाय के दौरान प्रपोजल फॉर्म के साथ अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट (Agent Confidential Report) लगाना बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। इस फॉर्म को भारतीय जीवन बीमा निगम का कोई अधिकृत अभिकर्ता ही भरता है। इस फॉर्म में एक अभिकर्ता, उस व्यक्ति के बारे में गोपनीय जानकारी साझा करता है, जिसके जीवन पर जीवन बीमा पॉलिसी प्रस्तावित की गई होती है। इस गोपनीय रिपोर्ट का मूल उदेश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि जीवन बीमा पॉलिसी के लिए प्रस्तावित व्यक्ति, जीवन बीमा पॉलिसी के लिए योग्य है।
अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट को सही और सटीक रूप में भरा जाना, एलआईसी अभिकर्ता की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। क्योकि एलआईसी इसी जानकारी के आधार पर जीवन बीमा पॉलिसी जारी करती है। किसी भी तरह की गलत जानकारी या त्रुटि अभिकर्ता की एजेंसी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और उसे गंभीर परिणामो का सामना करना पड़ सकता है।
एलआईसी अपने ग्राहकों को अपने एजेंटों के ज़रिए जानती है और इस प्रक्रिया में एजेंट अहम भूमिका निभाते हैं। जब कोई एजेंट किसी व्यक्ति के लिए बीमा का प्रस्ताव रखता है, तो एलआईसी उस व्यक्ति की गोपनीय जानकारी प्राप्त करने के लिए 'अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट' (एसीआर) का इस्तेमाल करती है। यह जानकारी एलआईसी को यह तय करने में मदद करती है कि प्रस्तावित व्यक्ति को पॉलिसी बेचना उचित है या नहीं।
एसीआर फॉर्म इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके ज़रिए एजेंट ग्राहक के बारे में ज़रूरी और गोपनीय जानकारी निगम को देता है, जिससे जोखिम का आकलन और पॉलिसी जारी करने के फ़ैसले लिए जाते हैं।
यदि एलआईसी एजेंट 'अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट' (ACR) में गलत जानकारी दर्ज करता है और उस आधार पर पॉलिसी बेची जाती है, तो भविष्य में कोई दावा होने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में एजेंट की एजेंसी रद्द की जा सकती है, और विशेष परिस्थितियों में, एलआईसी एजेंट से नुकसान की भरपाई भी कर सकती है।
हमारी वेबसाइट जीवन बीमा बाजार, एलआईसी ऑफ़ इंडिया एवं अन्य जीवन बीमा उद्योग से जुड़ी जानकारी प्रदान करती है और जीवन बीमा एजेंट्स के लिए उपयोगी संसाधन उपलब्ध कराती है। हमने हमारे एक लेख में एलआईसी के अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट को भरने के वारे में विस्तार से जानकारी दी है। हमारे उस लेख में फॉर्म को डाउनलोड करने का विकल्प दिया गया है।
आप हमारे उस लेख से न केवल अभिकर्ता गोपनीय रिपोर्ट को डाउनलोड कर सकते हैं बल्कि इसकी सैंपल फाइल भी डाउनलोड कर सकते हैं।
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से पॉलिसी खरीदते समय विभिन्न तरह के फॉर्म भरना पड़ता है। जब नई जीवन बीमा पालिसी खरीदने के लिए फॉर्म भरा जाता है, तो ऐसे फॉर्म को प्रपोजल फॉर्म कहते हैं। एलआईसी से जीवन बीमा पालिसी खरीदने के लिए कई तरह के प्रपोजल फॉर्म होते हैं। उनमे से एक प्रपोजल फॉर्म, जिसका उपयोग 18 वर्ष से कम आयु के जीवन को जीवन बीमा पालिसी का लाभ देने के लिए किया जाता है, का फॉर्म संख्या 360 होता है।
नाबालिग जीवन के लिए जीवन बीमा प्रस्तावित करने हेतु यह एक महत्वपूर्ण फॉर्म होता है। इस फॉर्म के माध्यम से एलआईसी, प्रस्तावित जीवन एवं प्रस्तावक के बारे में कई तरह की जानकारी मांगती है। ताकि, एलआईसी को बीमा कवरेज के लिए नाबालिग के जोखिम और पात्रता का मूल्यांकन करने में सुविधा हो। एलआईसी के फॉर्म संख्या 360 में प्रस्तावित जीवन और प्रस्तावक की व्यक्तिगत जानकारी, स्वास्थ्य सम्बंधित घोषणाएं और वित्तीय स्थिति से सम्बंधित विवरण शामिल होते हैं।
एलआईसी फॉर्म संख्या 360 को उपयोग खासतौर से तब किया जाता है जब किसी ऐसे जीवन को जीवन बीमा सुरक्षा देनी होती है, जिसकी आयु 18 वर्ष से कम होती है। दूसरे शब्दों में, जब भारतीय जीवन बीमा निगम से किसी नाबालिग के जीवन पर जीवन बीमा पालिसी खरीदनी होती है, तब एलआईसी के फॉर्म संख्या 360 को भरा जाता है।
हालाँकि, यह फॉर्म पालिसी खरीदते समय ही भरा जाता है लेकिन इसका उपयोग पुरे पालिसी अवधि के भीतर कभी भी किया जा सकता है। चुकी इस फॉर्म में दी गई जानकारी और घोषणाओं के आधार पर ही जीवन बीमा पॉलिसी जारी की जाती है। अतः जब कभी भी जारी की गई बीमा पॉलिसी में कोई दावा पैदा होता है, तब निगम इस फॉर्म का उपयोग कर सकती है।
एलआईसी फॉर्म नंबर 360 का उपयोग विशेष रूप से उन बच्चो के लिए जीवन बीमा पालिसी प्रस्तावित करने के लिए किया जाता है जिनकी शून्य से लेकर 18 वर्ष की आयु के बीच होती है। इस फॉर्म को नाबालिग बच्चे के अभिवावक अथवा कानूनी संरक्षक के द्वारा भरा जाता है।
एलआईसी के फॉर्म संख्या 360 को एलआईसी के किसी भी शाखा कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। एलआईसी का यह फॉर्म उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो अपने नाबालिग बच्चो के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से कोई जीवन बीमा पालिसी खरीदना चाहते हैं।
भारतीय जीवन बीमा निगम के इस फॉर्म को कुछ विश्वशनीय वेबसाइट के माध्यम से भी डाउनलोड किया जा सकता है। आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए हमने एक लेख में एलआईसी के फॉर्म संख्या 360 को कैसे भरते हैं, के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। आप हमारे उस लेख से भी यह फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं।
इस प्रकार, आप एलआईसी की आधिकारिक वेबसाइट, शाखा कार्यालय, या भरोसेमंद ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करके यह फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं।
अगर कोई ग्राहक अपने नाबालिग बच्चे के जीवन पर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की कोई पॉलिसी खरीदना चाहता है, तब उसे एलआईसी के फॉर्म संख्या 360 की जरुरत होती है। लेकिन, निगम यह फॉर्म डायरेक्ट ग्राहकों को नहीं देती है। एलआईसी में जीवन बीमा पालिसी की विक्री का कार्य मुख्य रूप से अभिकर्ताओं, विकास अधिकारीयों और चीफ लाइफ इन्सुरेंस सलाहकारों (सीएलआईए) के द्वारा किया जाता है, इसलिए एलआईसी यह फॉर्म अपने एजेंटो, विकास अधिकारी और सीएलआईए को ही देती है।
अगर आप एलआईसी से कोई जीवन बीमा पालिसी खरीदना चाहता है तो उसे किसी एलआईसी अभिकर्ता (एजेंट) से सम्पर्क करना होता है। अतः अगर आप एलआईसी के इस फॉर्म को प्राप्त करना चाहते हैं तो किसी एलआईसी एजेंट से प्राप्त कर सकते हैं। हालाँकि, हमने अपने एक लेख में बताया है कि एलआईसी के फॉर्म संख्या 360 को कैसे भरा जाता है। हमारे उस लेख से भी आप इस फॉर्म को डाउनलोड कर सकते हैं।
एलआईसी फॉर्म नंबर 360 खरीद और बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। एलआईसी अपने एजेंट, विकास अधिकारी को यह फॉर्म मुफ्त में उपलब्ध कराती है। इसलिए आपको फॉर्म प्राप्त करने के लिए कोई राशि का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।
एलआईसी फॉर्म नंबर 360 का इस्तेमाल खास तौर पर नाबालिग बच्चों के जीवन पर बीमा पॉलिसी खरीदते समय किया जाता है। यह फॉर्म उस व्यक्ति द्वारा भरा जाना चाहिए जो पॉलिसी का प्रस्ताव दे रहा है। सरल शब्दों में कहें तो यह फॉर्म उस व्यक्ति द्वारा भरा जाना चाहिए जो प्रस्तावित पॉलिसी का प्रीमियम भरेगा। ऐसे व्यक्ति को बच्चे की जीवन बीमा पॉलिसी में प्रस्तावक कहा जाता है।
हालांकि, नियमों के अनुसार एलआईसी का कोई भी प्रस्ताव फॉर्म प्रस्तावक द्वारा ही भरा जाना चाहिए। लेकिन व्यवहार में अक्सर देखा जाता है कि अधिकतर प्रस्ताव फॉर्म भारतीय जीवन बीमा निगम के एजेंट भरते हैं। हमारा आपके लिए सुझाव यही होगा कि एलआईसी की कोई भी पॉलिसी खरीदते समय प्रस्ताव फॉर्म प्रस्तावक या उसके किसी करीबी रिश्तेदार द्वारा ही भरा जाना चाहिए।
भारतीय कानून के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी नाबालिग अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय नहीं ले सकता है। इस आयु के बच्चे अपनी पढ़ाई, खेलकूद और अन्य गतिविधियाँ स्वयं कर सकते हैं। भारतीय कानून के अनुसार, बच्चे के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय उसके माता-पिता या कानूनी अभिभावक ले सकते हैं।
अतः नाबालिग बच्चे के लिए जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का निर्णय उसके माता-पिता या कानूनी अभिभावक ले सकते हैं। जीवन बीमा उद्योग में, जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का प्रस्ताव रखने वाले व्यक्ति को प्रस्तावक कहा जाता है, इसलिए एलआईसी के फॉर्म संख्या 360 में, नाबालिग बच्चे के माता-पिता या उसके कानूनी अभिभावक प्रस्तावक हो सकते हैं।
जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए बीमा योग्य हित अनिवार्य है। सरल शब्दों में बीमा योग्य हित को इस तरह समझा जा सकता है कि अगर किसी परिवार के कमाने वाले सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार का भविष्य बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इसलिए कमाने वाले सदस्य के पास अपने परिवार का बीमा योग्य हित छिपा होता है। जिसके कारण कमाने वाला सदस्य अपने जीवन पर जीवन बीमा पॉलिसी खरीद सकता है और अपने परिवार के किसी भी सदस्य को नॉमिनी बना सकता है।
किसी अज्ञात व्यक्ति का नाबालिग के जीवन पर कोई बीमा योग्य हित नहीं होता है। यही कारण है कि कोई अज्ञात व्यक्ति नाबालिग के जीवन पर एलआईसी से जीवन बीमा पॉलिसी नहीं खरीद सकता है।
भारतीय समाज में हर माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा देते हैं। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अपने जीवन में खूब पढ़े-लिखे और बड़ा होकर समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त करे। वर्तमान में भारत में शिक्षा का खर्च बहुत अधिक है, एक सामान्य परिवार के लिए बच्चों की फीस का प्रबंध करना और अन्य शैक्षणिक व्यवस्थाएं करना बहुत बड़ी बात है।
यही वजह है कि भारतीय समाज में ज़्यादातर माता-पिता अपने बच्चे के जन्म से ही उसके बेहतर भविष्य के लिए बचत करना शुरू कर देते हैं। समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब बच्चे के माता या पिता या दोनों की ही कम उम्र में मृत्यु हो जाती है। इसलिए ऐसे लोग जो हर हाल में अपने बच्चे को बेहतर भविष्य देने के बारे में सोचते हैं, वे एलआईसी पॉलिसी खरीदते हैं।
दूसरी ओर, कई बार पाया गया है कि कुछ बच्चे कम उम्र में ही मर जाते हैं। ऐसा होने पर माता-पिता को अपने दूसरे बच्चों के लिए आर्थिक परेशानी होने लगती है। इसलिए जब बच्चे का जीवन बीमा होता है तो उसे दोहरा लाभ होता है। पहला, अगर प्रस्तावक की मृत्यु हो जाती है तो बच्चे को उसकी जीवन बीमा पॉलिसी से जीवन बीमा लाभ मिलता है। दूसरा, अगर बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो माता-पिता को बीमा लाभ मिलता है जिसका इस्तेमाल वे अपने दूसरे बच्चों के लिए कर सकते हैं।
यही वजह है कि जब बच्चे की जीवन बीमा पॉलिसी के लिए माता-पिता प्रस्तावक होते हैं तो निगम ऐसी पॉलिसी को आसानी से स्वीकार कर लेता है। वहीं, अगर नाबालिग के जीवन पर कोई दूसरा व्यक्ति प्रस्तावक होता है तो उसके लिए काफी जांच-पड़ताल की जाती है। यही वजह है कि भारतीय जीवन बीमा निगम से बच्चों के लिए खरीदी गई पॉलिसियों में ज्यादातर मामलों में उनके माता-पिता ही प्रस्तावक होते हैं।
एलआईसी से नाबालिग के लिए जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए एलआईसी फॉर्म नंबर 360 भरना अनिवार्य है। यदि बीमा पॉलिसी बड़ी बीमित राशि के लिए प्रस्तावित है, तो निगम पहले प्रीमियम जमा करने के लिए भी कह सकता है। अब भले ही आपने यह फॉर्म भरकर जमा कर दिया हो और प्रीमियम भी जमा कर दिया हो, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपकी प्रस्तावित पॉलिसी जारी हो ही जाए। कई कारणों से पॉलिसी रद्द हो सकती है और जमा प्रीमियम वापस किया जा सकता है।
फॉर्म नंबर 360 को एलआईसी में जमा करने के बाद अधिकारी प्रस्ताव फॉर्म में दी गई जानकारी और घोषणाओं की समीक्षा करते हैं। जरूरत पड़ने पर मेडिकल और अन्य जरूरी औपचारिकताओं के लिए कह सकते हैं। कई मामलों में जीवन बीमा पॉलिसी भारतीय जीवन बीमा निगम के शाखा कार्यालय से जारी की जाती है, लेकिन अगर प्रस्तावित जीवन बीमा पॉलिसी बड़ी बीमा राशि के लिए है, तो पॉलिसी जारी करने का निर्णय लेने का अधिकार बड़े कार्यालयों (जैसे: डिवीजन ऑफिस, जोनल ऑफिस या सेंट्रल ऑफिस) के पास हो सकता है।
पॉलिसी जारी करने की इस प्रक्रिया को जीवन बीमा व्यवसाय में अंडरराइटिंग कहा जाता है। अंडरराइटिंग प्रक्रिया के दौरान निगम के अधिकारी प्रस्तावक द्वारा दिए गए फॉर्म नंबर 360 और अन्य दस्तावेजों की जांच करते हैं। इसके साथ ही वे मेडिकल रिपोर्ट और अन्य जोखिमों का आकलन करते हैं। इसके बाद ही जीवन बीमा पॉलिसी जारी की जाती है। अगर निगम के अधिकारी को लगता है कि प्रस्तावित जीवन बीमा योग्य नहीं है, तो प्रस्तावित पॉलिसी को रद्द भी किया जा सकता है।
एलआईसी फॉर्म नंबर 360 भरते समय आपको बहुत सावधान रहना चाहिए। क्योंकि फॉर्म नंबर 360 में आपके द्वारा दी गई जानकारी और घोषणाओं के आधार पर निगम बीमा पॉलिसी जारी करने का फैसला करता है और प्रीमियम निर्धारित करता है।
अब अगर आप जाने-अनजाने में फॉर्म नंबर 360 में पूछे गए सवालों के गलत या अधूरे जवाब देते हैं, तो निगम पॉलिसी से जुड़े किसी भी या सभी दावों को पूरी तरह से खारिज कर सकता है। यहां तक कि आपके द्वारा जमा किए गए प्रीमियम को जब्त करने का भी अधिकार रखता है।
इसलिए हमारा सुझाव आपके लिए यही होगा कि इस फॉर्म को भरते समय सभी सवालों की विस्तृत और सही जानकारी दें, ताकि भविष्य में आपको किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
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