21 July 2023

एलआईसी की बिज़नेस प्रोटेक्शन प्लानिंग: व्यवसायी के लिए जरूरी क्यों

एलआईसी की बिज़नेस प्रोटेक्शन प्लानिंग

व्यवसायी के लिए जरूरी क्यों

एलआईसी की बिज़नेस प्रोटेक्शन प्लानिंग क्यों





जीवन बीमा बाजार के इस लेख में हम आपका स्वागत करते हैं। आज के इस लेख में हम एलआईसी की योजनाओं की मदद से बिज़नेस को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु प्लानिंग करने के लिए विचार करेंगे। इस तरह की प्लानिंग को एलआईसी की बिज़नेस प्रोटेक्शन प्लानिंग कहा जाता है।


चुकी यह एक जीवन बीमा योजना है, तो व्यवसाय के मालिक को जीवन बीमा सुरक्षा प्रदान करती है। एलआईसी की बिज़नेस प्रोटेक्शन प्लानिंग व्यवसायी के आकस्मिक मृत्यु की दशा में, व्यवसाय को आर्थिक मदद एवं व्यवसायी कारणों से लिए गए लोन की भरपाई करके व्यवसाय को मज़बूती प्रदान करती है।


यह लेख एलआईसी अभिकर्ताओं के ट्रेनिंग के उदेश्य से प्रस्तुत किया जा रहा है। ताकि वह अपने ग्राहकों को एलआईसी की पॉलिसी का प्रभावी तरीके से प्रस्तुतिकरण कर सके। तो यदि आप एक ग्राहक है और आप हमारे इस लेख को पढ़ रहे हैं तो आपके लिए हमारा यह सुझाव होगा कि इस प्लानिंग के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने क्षेत्र के प्रोफेशनल एलआईसी एजेंट से सम्पर्क करें।




सामान्य भारतीय व्यवसायियों की आर्थिक स्थिति:

अगर आप एक एलआईसी एजेंट हैं तो आपको वर्तमान समय में आम भारतीय व्यवसायी की आर्थिक स्थिति के बारे में जरूर पता होना चाहिए, क्योंकि जब तक आप एक आम भारतीय व्यवसायी की आर्थिक स्थिति नहीं जानेंगे तब तक आप उनकी समस्याओं को नहीं समझ पाएंगे, और तब तक आप इन समस्याओं का समाधान करने वाली इस योजना के महत्व को नहीं समझ पाएंगे। तो आइए सबसे पहले आम भारतीय व्यवसायी की आर्थिक स्थिति को समझते हैं।


हम यहाँ पर छोटी अथवा मध्यम पूंजी से शुरू किये गए व्यवसाय का आकलन करेंगे। ऐसे किसी व्यवसाय को सुचारु रूप से चलाने के लिए तीन तरह के पूंजी की जरुरत होती है। पहले को उत्पाद पूंजी, दूसरे को उधार पूंजी और तीसरे को दायित्व पूंजी कह सकते है। आइये हम अपनी बात को एक जनरल स्टोर के व्यापारी को आधार मानकर समझते हैं।


उत्पाद पूंजी: एक जनरल स्टोर की दुकान में उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। जैसे- चीनी, चायपत्ती, हल्दी, मसाले, सरसों का तेल, चावल, दालें, नमक, नहाने का साबुन, कपड़े का साबुन, वाशिंग पाउडर, फेस क्रीम, हेयर ऑयल आदि।


अगर इन दुकानों में ऐसे उत्पादों की कमी हो, तो इसका सीधा असर जनरल स्टोर के कारोबार पर पड़ता है। एक जनरल स्टोर की दुकान में इस प्रकार के उत्पाद श्रृंखला को बनाये रखने के लिए एक बड़े फंड की आवश्यकता होती है।


यह ऐसा फंड होता है जो दुकान में मौजूद उत्पादों के रूप में हमेसा फसा रहता है। जनरल स्टोर के कारोबार में लगी हुई यह पूंजी ही उत्पाद पूंजी कहलाता है।


उधार पूंजी: अक्सर हर व्यापार अथवा कारोबार में ऐसे ग्राहक होते है, जो उत्पाद को तत्काल खरीद लेते हैं। लेकिन उत्पाद की कीमत का भुगतान कुछ दिनों अथवा महीनो के बाद करते हैं। लगभग हर व्यवसाय में ऐसे ग्राहक होते ही हैं।


अब व्यापारी अथवा कारोबारी की समस्या यह होती है कि यदि वह इस पद्धति को तोड़ने की कोशिस करता है तो उसका ग्राहक उसे छोड़कर दूसरे व्यापारी के पास चले जाते हैं।


जनरल स्टोर के व्यापार में भी ऐसा ही होता है। ऐसे में व्यापारी की एक बड़ी पूंजी उसके ग्राहकों के पास उधार रूप में फंसी रहती है। व्यापारी अथवा कारोबारी की ऐसी पूंजी को ही उधार की पूंजी कहते है।


दायित्व पूंजी: अक्सर हर व्यापारी अथवा कारोबारी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अथवा व्यापार में हुए किसी घाटे को पूरा करने के लिए कर्ज लेता है। ऐसे कर्ज को दायित्व पूंजी कहा जाता है।


यह दायित्व पूंजी दो तरह की होती है। पहला यह हो सकता है कि व्यापारी बैंकिंग प्रणाली के जरिये कर्ज लेकर धन का उपयोग अपने व्यवसाय के लिए करे। दूसरा यह हो सकता है कि वह बड़े साहूकारों से कर्ज लेकर अपने व्यवसाय में उसका उपयोग करें।


व्यापारी बैंक से लिए हुए कर्ज को धीरे-धीरे व्याज के साथ जमा करता है और ठीक इसी प्रकार से बड़े साहूकार के पैसों को भी वह धीरे-धीरे चूकाता रहता है।






व्यावसायिक संकट की स्थिति:

जरा सोच कर देखिये, किसी भी व्यवसाय पर क्या प्रभाव पड़ेगा जब अचानक उसके व्यवसायी की दुर्घटना हो जाये और इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो जाये। यह एक गंभीर स्थिति है, ऐसी ही कई स्थिति का सामना किसी व्यवसाय को और उसके व्यवसायी को करना पड़ सकता है। फ़िलहाल हम इसी एक स्थिति को आधार मानकर अपनी बातों को रखते हैं।


मान लीजिये व्यवसायी की दुर्घटना हो जाती है। परिवार के सदस्य उसे अच्छा इलाज देने के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराते है। इलाज के दौरान उसकी सभी जमा पूंजी जैसे: फिक्स्ड डिपाजिट, म्युच्युअल फंड और दूसरे सभी निवेश खर्च हो जाते है और आखरी में इतना सब आर्थिक नुकसान के बावजूद व्यवसायी की मृत्यु हो जाती है। अब सोचकर देखिये व्यवसाय की क्या स्थिति बनेगी।


मेरे अभिकरण कालखंड में घटी एक बहुत ही बड़ी दुर्घटना को मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। जहा तक मुझे याद है यह घटना 2007-2008 के आस पास की है। एक जनरल स्टोर का अच्छा व्यवसाय करने वाले व्यवसायी थे, जिन्होंने अपना व्यवसाय अपने पिता के पैसो को निवेश करके शुरू किया हुआ था। एक दिन प्रातः के लगभग 9 बजे उनका रोड एक्सीडेंट हो गया।


दुर्घटना के तुरंत बाद की स्थिति:

दुर्घटना के तुरंत बाद आस-पास के लोगों ने उन्हें नज़दीकी हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया। प्राथमिकी इलाज शुरू हो गया। संयोग ही था कि उस समय मैं भी वही पर मौजूद था। थोड़ी ही देर में, परिवार के दूसरे सदस्य भी वहां आ गए। डॉक्टर ने स्थिति को गंभीर बताते हुए बड़े अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी।


व्यवसायी के दो भाई और उनकी पत्नी वहां पर मौजूद थी। अब बात पैसो की थी। एक भाई ने व्यवसायी की पत्नी से बैंक से पैसे निकालने के लिए कहा और खुद गाड़ी का प्रबंध करने के लिए चले गए।


दुर्घटना के इलाज प्रक्रिया की स्थिति:

अब व्यवसायी का इलाज शुरू हो गया। व्यवसायी अपने जीवन काल में बीमा के नाम से काफी चिढ़ता था। अतः इलाज का सम्पूर्ण खर्च परिवार को खुद ही उठाना था। भाइयों ने खुद को असमर्थ बता कर पत्नी का साथ छोड़ दिया। इधर पत्नी के भाइयों की दशा भी लगभग यही थी। पत्नी के पिता बुजुर्ग थे तो उन्होंने अपने सामर्थ्य के अनुसार सहयोग किया।


व्यवसायी के ईलाज में उसकी सभी जमा पूंजी खर्च हो गई। उसने हाल ही में एक प्लाट ख़रीदा था। वह प्लाट भी कौड़ियों के दाम में बिक गया। लगभग 46 दिन के इलाज के बाद भी वह व्यवसायी बच नहीं पाया और उसकी मृत्यु हो गई।


मृत्यु के बाद की स्थिति:

मृत्यु के बाद व्यवसायी के पत्नी के पास लगभग डेढ़ लाख रूपये शेष बचे हुए थे। अब पत्नी के सामने चुनौती थी कि वह अपने दो छोटे बच्चो का पालन-पोषण, शिक्षा इत्यादि पूर्ण कराये। लेकिन कहीं न कही मन में विश्वास था कि जनरल स्टोर की दुकान से वह इन कार्यों को पूरा कर लेगी। लेकिन यह इतना आसान भी नहीं था।


व्यवसायी के दुर्घटना के तुरंत बाद से ही बड़े भाई का बड़ा बेटा दुकान देख रहा था। जो अब उस दुकान को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। इधर बच्चो के स्कुल का खर्च, रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना काफी चुनौती पूर्ण हो गया था। व्यवसायी ने जिन महाजनो से पैसे लिए हुए थे, वह अपना पैसा वापस लेने के लिए भी परेशान कर रहे थे।


काफी संघर्ष के बाद दुकान का मालिकाना हक पत्नी को मिल गया, लेकिन इसकी प्रक्रिया में लगभग साल भर का समय लग गया। इस दौरान दुकान की पूंजी भी काफी धराशाही हो गई। साल भर में पत्नी के पास प्लाट के जो पैसे शेष बचे हुए थे, लगभग वह भी खर्च हो गए।


बड़े महाजनों का पैसा वापस करने में भी काफी समस्या हुई। इधर जिन लोगों ने दुकान से उधार सामान ख़रीदा हुआ था, उनमे से कुछ लोगो का कहना था कि मैंने कोई उधार नहीं लिया है, कुछ का कहना था कि मैंने उधार लिया तो था लेकिन चूका दिया था।


पारिवारिक स्थिति पर प्रभाव:

यह बहुत ही दुखद स्थिति हो जाती है। वह परिवार जो कभी चार पहिया गाड़ियों में छोटी छोटी दुरी की यात्रा किया करता था। अब बड़े रास्तो को भी पैदल ही पूर्ण किया करता था।


बच्चों की पढाई जो महंगे विद्यालय में होती थी, पत्नी ने किसी तरह से उस वर्ष की शिक्षा उसी विद्यालय में पूर्ण कराई। लेकिन अगले ही वर्ष बच्चो का दाखिला सरकारी विद्यालय में कराना पड़ा।


वह बच्चे जिनको मामूली से सर्दी जुखाम होने पर पिता महंगे डॉक्टर से सम्पर्क करता था। अब आर्थिक तंगी की वजह से बच्चो की बड़ी बीमारी का ईलाज कराने के लीये माँ सरकारी अस्पताल में नंबर लगाकर घंटो इंतज़ार करने के लिए मज़बूर थी।


यह तो वह दशा है जिसे समाज महसूस कर सकता है, इसके आलावा घरेलु और रोजमर्रा की स्तिथि क्या होगी? आप इसका खुद ही अनुमान लगा सकते है।






बिज़नेस प्रोटेक्शन प्लानिंग के फायदे:

एलआईसी की बिज़नेस प्रोटेक्शन प्लानिंग दो तरह का लाभ प्रदान करती है। पहला लाभ होता है कि पॉलिसी की मैच्योरिटी पर बड़ी रकम वापस हो जाती है। व्यवसायी इस बड़ी रकम का उपयोग करके अपने बच्चो के लिए नया व्यवसाय शुरू कर सकता है अथवा अपने बुढ़ापे के लिए पेंशन का प्रबंध कर सकता है।


एलआईसी की इस प्लानिंग का दूसरा बड़ा लाभ तब होता है, जब किसी भी कारण से उसकी मृत्यु हो जाती है। मृत्यु की स्थिति में बहुत बड़ी रकम का भुगतान निगम देती है। जिसका निवेश व्यवसाय में किया जा सकता है और व्यवसाय को पहले से ज्यादा मज़बूत किया जा सकता है। या फिर, बड़े महाजनो अथवा बैंको के कर्जो को एक मुस्त चुकाया जा सकता है।


इसका अलावा, कुछ अतिरिक्त प्रीमियम जमा करके गंभीर बिमारियों के कारण होने वाले खर्चो को, दुर्घटना के कारण होने वाले मृत्यु को एवं स्थायी विकलांगता को आर्थिक तौर पर सपोर्ट किया जा सकता है।




एलआईसी की बिज़नेस प्रोटेक्शन प्लानिंग के नियम और शर्तो के विषय में विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए हुए नेक्स्ट की बटन पर क्लिक करें।








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