27 July 2021

Story of Kabir Das (Sachcha Shradh)

 कबीर दास जी की कथा (सच्चा श्राद्ध)

जैसा कि आप जानते हैं कबीर दास जी के गुरु का नाम संत रामानंद था। एक बार की कथा है, जब गुरु रामानंद जी ने अपने शिष्य कबीर से कहा आज श्राद्ध का दिन है। आज के दिन पितरों को खीर खिलाना चाहिए। मैं चाहता हूँ कि खीर बनाने के लिए दूध की व्यवस्था तुम करो। 


उस समय कबीर दास जी की उम्र लगभग 9 वर्ष की थी। गुरु की ऐसी इच्छा को सुनकर, कबीर दास जी दूध का बर्तन लेकर निकल पड़े। दूध की व्यवस्था करने के लिए कबीर दास जिस रास्ते पर जा रहे थे। उसी रास्ते पर एक मरी हुई गाय दिखाई पड़ी। 
कबीर दास जी ने आस-पास की कुछ हरी-भरी घासों को उखाड़ लिया और उसे मरी हुई गाय के पास में रख दिया और खुद वहीं पर बैठ गए। दूध का बर्तन कबीर दास जी ने वहीं पर रख दिया और इंतजार करने लगे। 
इधर काफी देर हो जाने के बाद भी, जब कबीर दास जी आश्रम वापस नहीं लौटे। तब गुरु रामानंद जी ने सोचा। पितरों को छिकाने का टाइम हो गया है। न जाने क्यों अभी तक कबीर वापस नहीं लौटा है। 
आशंकित मनोस्थिति में, गुरु रामानंद जी कबीर दास जी को खोजने के लिए आश्रम से निकल पड़े। 
रास्ते में रामानंद जी ने देखा, कबीर दास जी एक मरी हुई गाय के बगल में बैठे हुए हैं। गाय के आसपास कुछ हरी घाँसे पड़ी हुई है। 
ऐसा देखकर रामानंद जी ने पूछा - तुम तो दूध लेने आए हुए थे, यहां क्यों बैठे हो?
कबीर दास जी ने उत्तर दिया- यह गाय पहले घास खाएगी, तभी तो दूध देगी। 
रामानंद जी बोले- अरे यह गाय तो मरी हुई है, फिर यह घांस कैसे खाएगी? 
ऐसा सुनकर कबीर दास जी ने पूछा- स्वामी जी यह गाय तो आज मरी है। यदि आज मरी गाय घास नहीं खा सकती है। तब आपके पितर, जो 100 साल पहले मरे हुए है। वह खीर कैसे खाएंगे। 
ऐसा सुनते ही रामानंद जी मौन हो गए। उन्हें अपने भूल का एहसास हुआ। तो यहां पर मुझे कुछ लाइनें याद आ रही है। 

माटी का एक नाग बना कर - पूरे लोग लुगाई !
जिंदा नाग जब घर में निकले - ले लाठी धमकाये !!

जिंदा बाप कोई न पुजे - मरे बाद पुजवाय !
मुट्ठी भर चावल लेके - कौवे को बाप बनाया !!

यह दुनिया कितनी बावरी है - जो पत्थर पूजे जाए !
घर की चकिया कोई न पूजे - जिसका पिसा खाय !!

कहने का अर्थ यह है जो जीवित हैं जो आपके पास हैं आप उनकी सेवा कीजिए यही सच्चा श्राद्ध है। 

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