04 April 2020

Some Social issues | सच्चा श्राद्ध


Social issue, Hindi Story
Social issue

सच्चा श्राद्ध

एक बार रामानंद जी ने कबीर जी से कहा- हे कबीर, आज श्राद्ध का दिन है और पितरो के लिये खीर बनानी है। आप दूध की व्यवस्था कीजिये, ताकि पितरो के श्राद्ध पुजा के लिए खीर बनाया जा सके। 
(कबीर जी की उम्र उस समय 9 वर्ष के आस पास की होगी।)

कबीर जी दुध का बरतन लेकर चल पडे। कबीर जी अभी कुछ दूर ही चले होंगे तभी उनको एक मृत गाय दिखाई पड़ी। कबीरजी ने आस पास से घास को उखाड कर गाय के पास डाल दिया और वही पर बैठ गये। दुध का बरतन भी पास ही रख लिया। 

जब काफी देर हो जाने के बाद भी जी कबीर जी नहीं लौटे, तो रामानंद ने सोचा कि पितरो को छिकाने का टाइम हो गया है। कबीर अभी तक नही आया। तो रामानंद जी खुद ही दुध लेने चल पडे। 

रामानंद जी चले जा रहे थे, कुछ दूर जाने के बाद आगे देखा कि कबीर जी एक मृत गाय के पास बरतन रखे बैठे है। 

रामानंद जी बोले- अरे कबीर, "तु दुध लेने नही गया?"

कबीर जी बोले- स्वामी जी, "ये गाय पहले घास खायेगी तभी तो दुध देगी।" 

रामानंद बोले- अरे मुर्ख, "ये गाय तो मरी हुई है, ये घास कैसे खायेगी?"

कबीर जी बोले- स्वामी जी, "ये गाय तो आज मरी है, जब आज मरी गाय घास नही खा सकती। तो फिर, आपके 100 साल पहले मरे हुए पितर खीर कैसे खायेगे?"

यह सुनते ही रामानन्दजी मौन हो गये। उन्हें अपनी भूलका एहसास हो गया था। 

सोचने वाली बात है- 

माटी का एक नाग बनाके, पुजे लोग लुगाया
जिंदा नाग जब घर में निकले, ले लाठी धमकाया

जिंदा बाप कोई न पुजे, मरे बाद पुजवाया
मुठ्ठीभर चावल लेके, कौवे को बाप बनाया

-संत कबीर द्वारा लिखित रचना 

भावार्थ:-

जो जीवित है उनकी सेवा करो, वही सच्चा श्राद्ध है.!!


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बदलाव प्रकृति का नियम है। मैंने सुना है कि जो समय के साथ नहीं बदलता, समय उसे बदल देता है। परन्तु प्रश्न यह है कि क्या जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव जरुरी है? भारतीय समाज पुरातन काल से ही मानव सभ्यता के लिए दुनियाँ को प्रेरित करता रहा है। लेकिन इस बदलाव के कारण, हमारे सामने कई प्रश्न उठ खड़े हुए है। मैं आपका ध्यान उन बदलावों की ओर केंद्रित करना चाहूंगा। उम्मीद करता हूँ, मेरे लेख भारतीय समाज को बेहतर करने में अवश्य प्रयास करेंगे। 
मैं यह नहीं जानता हूँ कि हमारे लेख का कुछ असर होगा या नहीं। लेकिन मेरा प्रयास होगा कि बदलाव की इस आंधी में, मानव जीवन के जो महत्वपूर्ण मूल्य टूट रहे है। अपने लेख के जरिये, उन मूल्यों को बचाने का प्रयास कर सकूँ।

Change is the law of nature. I have heard that a person who does not change with time, time only changes that person. But the question is, is it necessary to change in every sphere of life? Indian society has been inspiring the world for human civilization since ancient times. But due to this change, many questions have arisen in front of us. I would like to focus your attention on those changes. I hope, my articles will definitely try to improve Indian society.
I do not know if our article will have any effect. But my effort will be that in this storm of change, the important values of human life are falling apart. Through my article, I can try to save those values.

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