19 मई 2025
भारतीय जीवन बीमा निगम जिसे एलआईसी के नाम से भी जाना जाता है, भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी है और आज लाखों परिवारों के लिए वित्तीय सुरक्षा का आधार बनी हुई है। जीवन बीमा पॉलिसियों का मुख्य उद्देश्य वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। जब भी परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होती है, जिसके जीवन पर एलआईसी से जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी गई है, तो मृत्यु दावा प्रक्रिया के दौरान एक महत्वपूर्ण फॉर्म 3788 भरना होता है।
जीवन बीमा बाजार के इस लेख में हम एलआईसी डेथ क्लेम फॉर्म नंबर 3788 के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। हम जानेंगे कि यह फॉर्म क्या है, इसका महत्व क्या है, इस फॉर्म को कैसे भरें आदि। साथ ही इस फॉर्म की पीडीएफ फाइल और सैंपल फाइल भी शेयर की जा रही है। तो चलिए, इस महत्वपूर्ण जानकारी को शुरू करते हैं।
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788
जब भी एलआईसी पॉलिसियों में मृत्यु दावा करने की आवश्यकता होती है, तो सभी मृत्यु दावों में एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788 का उपयोग किया जाता है। इस फॉर्म का फॉर्म नंबर "3788" है और दावा फॉर्म कोड "A1" है। इस फॉर्म को "मृत्यु दावे के लिए एजेंट की गोपनीय रिपोर्ट" भी कहा जाता है। यह फॉर्म एलआईसी के मृत्यु दावे की वैधता निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फॉर्म संख्या 3788 कौन भरता है
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788 A1 को जीवन बीमा पॉलिसी बेचने वाले एजेंट द्वारा भरा जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि उस एलआईसी एजेंट के पास पॉलिसी जारी करने से लेकर पॉलिसीधारक की मृत्यु तक की सभी जानकारी उपलब्ध होती है। वह एजेंट अपने मृतक पॉलिसीधारक की वित्तीय स्थितियों, आदतों और बीमा बेचने के उद्देश्यों को बेहतर ढंग से समझता है। इसलिए, ऐसे एजेंट से एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788 भरवाना सबसे अच्छा है।
लेकिन किसी कारणवश यदि वह एजेंट उपलब्ध न हो तो ऐसी स्थिति में यह फॉर्म एलआईसी के किसी अन्य एजेंट से भी भरवाया जा सकता है। बशर्ते कि यह नया एजेंट मृतक पॉलिसीधारक और उसकी पॉलिसी को अच्छी तरह से जानता हो।
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788 का महत्व
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788, जिसे "एजेंट की गोपनीय रिपोर्ट" के रूप में भी जाना जाता है, मृत्यु दावे को सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एलआईसी के इस फॉर्म के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है।
दावे की प्रामाणिकता:
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मृत्यु दावा सही और प्रामाणिक है। एलआईसी एजेंट, जो पॉलिसीधारक और उसके परिवार को लंबे समय से जानते हैं, इस फॉर्म के माध्यम से इसकी पुष्टि करते हैं। यह फॉर्म एलआईसी को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि मृत्यु दावे में कोई धोखाधड़ी या गलत जानकारी नहीं है।
मृतक पॉलिसीधारक के पहचान की पुष्टि:
चूंकि एलआईसी एजेंट निगम और पॉलिसीधारक के बीच एक सेतु का काम करता है, इसलिए जब वह फॉर्म में पूछे गए सवालों के जवाब लिखता है, तो एलआईसी के लिए मृतक पॉलिसीधारक की पहचान करना और अपने एजेंट के दावे पर भरोसा करना आसान हो जाता है। नतीजतन, एलआईसी को मृत्यु दावे के लिए अंतिम निर्णय लेना आसान लगता है।
मृत्यु का कारण पता लगाना:
एलआईसी एजेंट इस फॉर्म में मृतक पॉलिसीधारक की मृत्यु का कारण, स्थान और परिस्थितियों का उल्लेख करता है। यदि मृत्यु किसी दुर्घटना, बीमारी या किसी अन्य विशेष परिस्थिति के कारण होती है, तो ऐसी सभी जानकारी इस फॉर्म में दर्ज की जाती है। यह जानकारी एलआईसी को यह समझने में मदद करती है कि पॉलिसी के नियमों के अनुसार मृत्यु दावा वैध है या नहीं।
धोखाधड़ी की संभावना को कम करना:
एलआईसी की मृत्यु दावे की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती सभी प्रकार की धोखाधड़ी से बचते हुए मृत्यु दावे के लिए सही निर्णय लेना है। इस फॉर्म के माध्यम से एजेंट द्वारा निगम को जो भी जानकारी दी जाती है, उसके आधार पर निगम जांच प्रक्रिया पूरी करता है। इसलिए एजेंट की भी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि यदि उसे मृत्यु दावे में धोखाधड़ी का संदेह है, तो वह फॉर्म में उस संदेह को स्पष्ट रूप से उजागर करे।
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788 क्यों जरुरी है
एलआईसी डेथ क्लेम फॉर्म नंबर 3788 को भरना और जमा करना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे बीमा क्लेम प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने में मदद मिलती है। एलआईसी एजेंट इस डेथ क्लेम प्रक्रिया की कड़ी है जिसे निगम और मृतक पॉलिसीधारक का परिवार दोनों ही भली-भांति जानते हैं। जिसके कारण यह फॉर्म दोनों के लिए भरोसे का आधार बन जाता है।
अब अगर इस फॉर्म को पूरा करके जमा नहीं किया जाता है या एजेंट इस फॉर्म में अधूरी और गलत जानकारी देता है तो क्लेम प्रक्रिया में देरी या रिजेक्ट होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। इसलिए हमारा सुझाव यही होगा कि डेथ क्लेम के मामले में इस फॉर्म को समय पर और सही तरीके से भरकर निगम के ब्रांच ऑफिस में जमा करवा दें।
एलआईसी फॉर्म नंबर 3788 डाउनलोड करें
वैसे, जब नॉमिनी पॉलिसीधारक की मृत्यु की जानकारी एलआईसी के ब्रांच ऑफिस में जमा करवाता है तो निगम खुद ही दूसरे फॉर्म के साथ यह फॉर्म भी दे देता है। लेकिन आपकी जरूरत और सुविधा को ध्यान में रखते हुए हम एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788 की आधिकारिक पीडीएफ फाइल साझा कर रहे हैं। आप नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके इस फॉर्म को डाउनलोड कर सकते हैं और जब भी जरूरत हो इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
एलआईसी फॉर्म नंबर 3788 कैसे भरें
एलआईसी मृत्यु दावा प्रक्रिया में फॉर्म भरने से पहले उसमें पूछे गए प्रश्नों के उद्देश्य को समझना बहुत ज़रूरी है। ताकि आप हर प्रश्न का सटीक उत्तर दे सकें। तो चलिए अब समझते हैं कि एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3788 कैसे भरें।
जैसे ही आप एलआईसी फॉर्म नंबर 3788 खोलते हैं, तो आपको सबसे पहले फॉर्म के दाईं ओर "फॉर्म नंबर 3788" लिखा हुआ दिखाई देता है और उसके ठीक नीचे क्लेम फॉर्म "A1" होता है। फॉर्म के हेड सेक्शन में सबसे पहले आपको संबंधित ब्रांच ऑफिस के डिविजनल ऑफिस का नाम लिखना होता है।
इसके बाद आपको मृतक पॉलिसीधारक की पॉलिसी नंबर और नाम लिखना होता है। इसके लिए हमारा सुझाव है कि आप पॉलिसी बॉन्ड चेक करें और उसके आधार पर फॉर्म में यह जानकारी दर्ज करें। अब यह सब करने के बाद फॉर्म के मुख्य प्रश्न आते हैं, तो चलिए अब एक-एक करके सभी प्रश्नों और उनके संभावित उत्तरों को समझते हैं।
प्रश्न 01 (क): क्या यह आपकी व्यक्तिगत जानकारी में है कि उपर्युक्त जीवन बीमाधारक की मृत्यु हो गई है?
उत्तर: इस प्रश्न के माध्यम से एलआईसी एजेंट से यह जानना चाहता है कि क्या एलआईसी एजेंट को बीमाधारक की मृत्यु के बारे में व्यक्तिगत रूप से जानकारी है या नहीं। क्योंकि एलआईसी यह सुनिश्चित करना चाहता है कि एजेंट द्वारा इस फॉर्म में जो भी जानकारी दी जा रही है वह विश्वसनीय है या नहीं।
इस प्रश्न का उत्तर "हां" या "नहीं" के रूप में लिखा जा सकता है। लेकिन आपके लिए हमारा सुझाव यह होगा कि यदि आपको पॉलिसीधारक की मृत्यु के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, तो इस फॉर्म को न भरें। पहले सभी चीजों का बारीकी से आकलन करें और फिर संतुष्ट होने पर ही इस फॉर्म को भरें। याद रखें, यदि आप इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" में देते हैं, तो यह फॉर्म स्वयं अमान्य हो सकता है।
उदाहरण: हां
प्रश्न 01 (ख): मृत्यु की तिथि
उत्तर: यहाँ पर एलआईसी मृत्यु दावे की पुष्टि के लिए आपसे मृतक पॉलिसीधारक के मृत्यु की तिथि जानना चाहती है ताकि नॉमिनी अथवा दावेदार के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से इसकी पुष्टि कर सके। अतः आपको चाहिए कि मृत्यु प्रमाण पत्र को ध्यान में रखते हुए मृत्यु की तिथि लिखें।
उदाहरण: 15 दिसंबर 2024
प्रश्न 02 (क): मृत्यु के स्थान के बारे में आप क्या जानकारी प्राप्त कर पाए हैं?
उत्तर: इस प्रश्न के जरिये एलआईसी आपसे यह जानना चाहती है कि आपके अनुसार मृतक पॉलिसीधारक की मृत्यु किस जगह पर हुई थी। यहाँ पर आपको पॉलिसीधारक के मृत्यु के स्थान का पूरा नाम और पूरा पता लिखना चाहिए।
उदाहरण: दिन दयाल हॉस्पिटल, पांडेयपुर वाराणसी, उत्तर प्रदेश
प्रश्न 02 (ख): मृत्यु की तिथि, स्थान और कारण के बारे में जानकारी प्रदान करें
उत्तर: एलआईसी इस प्रश्न की सहायता से मृत्यु की स्पष्टता प्राप्त करना चाहती है ताकि एलआईसी पॉलिसी के नियमों के अनुसार मृत्यु दावे की पुष्टि कर सके। अतः आपको चाहिए कि इस प्रश्न के उत्तर में मृत्यु के बारे में उपरोक्त जानकारी संक्षेप में परन्तु पूरी स्पष्टता से दें। इस प्रश्न का उत्तर लिखते समय आपके लिए हमारा सलाह होगी कि मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉर्म संख्या 3784 की जाँच जरूर कर लें।
उदाहरण: दिन दयाल हॉस्पिटल में दिनांक 15 दिसंबर 2024 को हार्ट अटैक के कारण मृत्यु हुई है।
प्रश्न 02 (ग): मृत्यु की परिस्थितियाँ?
उत्तर: एलआईसी मृत्यु की वास्तविक परिस्थितयों को समझना चाहती है ताकि मृत्यु दावे के निर्णय में पारदर्शिता बनी रहे। इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए भी हमारा सुझाव होगा कि आप अन्य संबंधित दस्तावेजों की जांच करने के बाद संक्षिप्त उत्तर लिखें और केवल वास्तविक घटनाओं का उल्लेख करें।
उदाहरण: आपका उत्तर कुछ इस प्रकार हो सकता है:
- मृतक की अचानक घर पर ही तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया। अथवा
- काम पर जाते समय सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गई।
प्रश्न 03: आपने यह जानकारी किन स्रोतों से प्राप्त की है और क्या आप संतुष्ट हैं कि यह विश्वसनीय है?
उत्तर: मृत्यु दावा सत्यापित करने, जाँच के दायरे को सुनिश्चित करने और मृत्यु दावे के लिए अंतिम निर्णय लेने के लिए एलआईसी इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करना चाहती है। तो यहाँ पर मेरा सुझाव होगा कि इस प्रश्न के उत्तर में केवल विश्वसनीय श्रोतों का ही उल्लेख करें एवं विश्वसनीयता का आकलन करें।
उदाहरण: इस प्रश्न का उत्तर कुछ इस प्रकार से लिखा जा सकता है
- मैंने मृतक पॉलिसीधारक के पड़ोसियों से पूछताछ की है और मैं इसकी प्रामाणिकता से संतुष्ट हूँ।
- मृतक के परिवार और अस्पताल के रिकॉर्ड से जानकारी प्राप्त की गई है। मैं इसकी प्रामाणिकता से संतुष्ट हूँ।
प्रश्न 04 (क): क्या आप व्यक्तिगत रूप से यह प्रमाणित कर सकते हैं कि मृतक वही व्यक्ति है जिसकी जीवन बीमा पॉलिसी उपरोक्त विवरण में दी गई है?
उत्तर: एलआईसी इस प्रश्न के जरिये मृत्यु दावे में सही व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करना चाहती है। तो आपको इस प्रश्न का उत्तर "हाँ" ही लिखना चाहिए। क्योकि यदि यहाँ पर आपके मन में कोई शंका है तो आपको यह फॉर्म भरना ही नहीं चाहिए, अगर बावजूद इसके आप गलती करते हैं तो आपकी एजेंसी टर्मिनेट हो सकती है।
प्रश्न 04 (ख): क्या आपके पास ऐसा कोई कारण है जो इसके विपरीत संकेत करता हो?
उत्तर: यह तो सत्य है कि एलआईसी पॉलिसी और मृत्यु की स्थिति को देखकर आप यह समझ जाते हैं कि समबन्धित मृत्यु दावा योग्य है अथवा नहीं। हालाँकि, मुझे यह भी विश्वास है कि यदि मृत्यु दावा योग्य नहीं हुआ तो आप खुद ही इस फॉर्म को नहीं भरेंगे।
एलआईसी यहाँ पर इस प्रश्न के जरिये आपसे यह समझना चाहती है कि आपके अनुसार मृत्यु दावा योग्य है अथवा नहीं। तो इस प्रश्न का उत्तर पूरी ईमानदारी से दें और इसका उत्तर नहीं ही होना चाहिए।
उदाहरण: नहीं, मेरे पास इसके विपरीत सोचने का कोई कारण नहीं है।
प्रश्न 05: क्या आपको किसी प्रकार के धोखाधड़ी या व्यक्तित्व परिवर्तन का संदेह है, या आपको लगता है कि दावा पूर्णतः सही नहीं है?
उत्तर: आपके लिए हमारा सुझाव है कि यदि आप यह महसूस करते है कि निगम को धोखा देने के उदेश्य से मृत्यु दावा प्रक्रिया पूर्ण करवाई जा रही है तो ऐसे किसी भी कार्य में आप बिलकुल भी शामिल न हो और अगर आप दावे को पूरी तरह सही मानते हैं तो इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" में लिखें।
उदाहरण: नहीं, मुझे किसी धोखाधड़ी या गलत बयानी का संदेह नहीं है।
प्रश्न 06: क्या आपके पास दावे के संबंध में देने के लिए कोई अन्य जानकारी या टिप्पणी है?
उत्तर: एलआईसी इस प्रश्न के जरिये यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अगर एजेंट के पास ऐसी कोई जानकारी है जो मृत्यु दावे के लिए जरुरी हो और मृत्यु दावे का निर्णय लेने के लिए भूमिका निभा सकती हो तो वह जानकारी एजेंट से प्राप्त करे।
तो अगर आपके पास ऐसी कोई जानकारी हो तो उसको लिखें अन्यथा इस प्रश्न के उत्तर में "नहीं" लिख दें।
फॉर्म संख्या 3788 के लिए सावधानियां
- इस फॉर्म को भरने से पहले आपको चाहिए कि मृतक पॉलिसीधारक के मृत्यु के सभी कारणों की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर लें।
- स्व-मूल्यांकन के पश्चात फॉर्म में पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर निष्पक्ष रूप से लिखें।
- सभी प्रश्नो के उत्तर पूरी स्पष्टता के साथ लिखें
- फॉर्म भरने के लिए ब्लू अथवा काले रंग की स्याही वाली अच्छे क्वालिटी की पेन का उपयोग करें। फॉर्म को भरते समय अलग-अलग पेन का उपयोग न करें।
- इस फॉर्म को भरते समय अन्य मेडिकल दस्तावेजों, प्रमाण पत्रों की जाँच अवश्य करें और एक रूपता रखते हुए अपने जवाब लिखें।
- फॉर्म को पूरी तरह भर लेने के बाद उचित स्थान पर हस्ताक्षर एवं अन्य जानकारी दर्ज करें।
मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3788 की सैंपल फाइल
इस लेख के जरिये हमने यह प्रयास किया है कि फॉर्म भरने की सम्पूर्ण जानकारी सरलतम स्वरूप में प्रस्तुत करें। लेकिन यह संभव है कि जरूरत पड़ने पर जब आपको वास्तविक फॉर्म भरना हो तब आपको किसी प्रश्न को समझने में समस्या हो। तो भविष्य की ऐसी स्तिथि में भी आपकी मदद हो सके, इस हेतु हमने डमी डाटा के साथ इस फॉर्म की सैंपल फाइल तैयार की है। आप इसको नीचे दिए हुए बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते है।
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वीडियो से जानें फॉर्म 3788 कैसे भरें
एलआईसी का यह फॉर्म मृत्यु दावे में अहम भूमिका अदा करता है अतः इस फॉर्म की सम्पूर्ण जानकारी होना बेहद जरुरी है। आपको कोई कंफ्यूजन न रहे, इस हेतु मैं एक वीडियो साझा कर रहा हूँ, हमारा सुझाव होगा कि फॉर्म को भरने से पहले एक बार इस पूरी वीडियो को जरूर ध्यान से देख लें।
18 मई 2025
जीवन बीमा पॉलिसियों का मूल उद्देश्य परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। लेकिन हर परिवार के लिए यह बहुत मुश्किल समय होता है जब परिवार का कोई सदस्य हमेशा के लिए इस दुनिया से चला जाता है। ऐसे मुश्किल समय में परिवार के सदस्यों को अपनी भावनाओं पर काबू रखना चाहिए और बिना किसी देरी के जल्द से जल्द वित्तीय मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। खासकर तब जब मृतक सदस्य के जीवन पर जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी गई हो।
ऐसे मुश्किल समय में जीवन बीमा पॉलिसियाँ परिवार के भविष्य के लिए वित्तीय रक्षक बन जाती हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) अपने पॉलिसीधारकों के परिवारों को मृत्यु दावा प्रक्रिया के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रयास करता है।
एलआईसी फॉर्म नंबर 3784 को पूरा करना एलआईसी मृत्यु दावा प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फॉर्म को सही तरीके से भरना महत्वपूर्ण है ताकि दावा प्रक्रिया जल्दी पूरी हो सके और मृत्यु दावे का भुगतान आसानी से किया जा सके। जीवन बीमा बाजार के आज के लेख में, हम एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3784 के बारे में सभी जानकारी बहुत विस्तार से प्राप्त करेंगे।
मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 क्या है
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 मृत्यु दावा प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। पॉलिसीधारक के मृत्यु के बाद दावे को प्रमाणित करने के लिए इस फॉर्म का उपयोग किया जाता है। यह फॉर्म उस डॉक्टर अथवा मेडिकल अटेंडेंट के द्वारा भरा जाता है जिसने पॉलिसी धारक का आखरी बार इलाज किया था या मृत घोषित किया था। यही कारण है कि एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 को "मेडिकल अटेंडेंट सर्टिफिकेट" भी कहा जाता है।
मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 का महत्व
एलआईसी का मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और मृत्यु के वास्तविक कारणों को समझने में अहम भूमिका अदा करता है। निगम को इस फॉर्म के जरिये मृतक पॉलिसीधारक के मृत्यु के कारण, बीमारी की अवधि, नशे इत्यादि जैसी आदतों एवं अन्य कई महत्वपूर्ण बातों को समझने में मदद मिलती है।
इस फॉर्म में दी गई जानकरी की मदद से एलआईसी यह समझने का प्रयास करती है कि:
- क्या पॉलिसी की खरीद बीमारी की अवधि के भीतर तो नहीं हुआ है।
- क्या पॉलिसी का रिवाइवल बीमारी की अवधि के भीतर तो नहीं हुआ है।
- क्या जीवन बीमा पॉलिसी का दावा प्राप्त करने के उदेश्य से कोई धोखाधड़ी तो नहीं की जा रही है।
- क्या मृतक पॉलिसीधारक नशे की लत का शिकार तो नहीं था और मृत्यु का कारण उसकी यह आदत थी।
- इत्यादि
एलआईसी फॉर्म संख्या 3784 को कौन भरेगा
पॉलिसीधारक के मृत्यु से ठीक पहले उसका इलाज जिस डॉक्टर के द्वारा किया जा रहा था अथवा जिस डॉक्टर ने पॉलिसीधारक को मृत घोषित किया था, एलआईसी का फॉर्म संख्या 3784, उस डॉक्टर अथवा मेडिकल अटेंडेट के द्वारा भरवाया जाना चाहिए।
कई मामलो में पॉलिसीधारक कुछ समय से अथवा कुछ लम्बे समय से बीमार हो सकता है और अपने बीमारी के इलाज के लिए वह किसी डॉक्टर के परामर्श करता है। यदि मृतक पॉलिसीधारक इस स्थिति में था, तो यह फॉर्म उस डॉक्टर से भरवाया जाना चाहिए जिसने उसका आखरी बार इलाज किया था।
कई मामलों में ऐसा भी हो सकता है कि पॉलिसीधारक की मृत्यु अचानक हो जाती है और जब परिवार के सदस्य डॉक्टर से सम्पर्क करते हैं तो डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देता है। ऐसे में वह डॉक्टर अथवा मेडिकल अटेंडेंट जिसने पॉलिसीधारक को मृत घोषित किया हो, उसके द्वारा इस फॉर्म को भरवाया जाना चाहिए।
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म 3784 की पीडीएफ फाइल
जब पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद नॉमिनी या दावेदार एलआईसी की होम ब्रांच में मृत्यु की सूचना जमा करता है, तो सूचना के साथ ही निगम मृत्यु दावा पंजीकृत कर लेता है और भारतीय डाक विभाग या अन्य आधिकारिक माध्यम से आवश्यक फॉर्म दे देता है। एलआईसी का यह फॉर्म भी अन्य सभी फॉर्म के साथ ही होता है। लेकिन आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए हम आपके साथ एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 की आधिकारिक पीडीएफ फाइल शेयर कर रहे हैं। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं और इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
ब्रांच ऑफिस की जानकारी प्राप्त करें
एलआईसी के इस फॉर्म को भरते समय आपको एलआईसी की होम ब्रांच या सर्विस ब्रांच का नाम और ब्रांच कोड दर्ज करना होगा। होम ब्रांच एलआईसी के उस ब्रांच ऑफिस को कहा जाता है, जहां से जीवन बीमा पॉलिसी जारी की गई थी। लेकिन कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है कि पॉलिसीधारक ने अपने जीवनकाल में ही अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को किसी दूसरे ब्रांच ऑफिस में ट्रांसफर करवा लिया हो। ऐसी स्थिति में ट्रांसफर के बाद पॉलिसी जिस नए ब्रांच ऑफिस में पहुंचती है, उसे सर्विस ब्रांच कहते हैं।
जीवन बीमा पॉलिसी के मूल पॉलिसी बांड और प्रीमियम रसीद पर एलआईसी शाखा कार्यालय का नाम, पता और कोड नंबर दर्ज होता है। लेकिन इसके बावजूद आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए नीचे एक लिंक बटन आपके साथ शेयर किया जा रहा है। आप इस लिंक पर क्लिक करके एलआईसी के किसी भी शाखा कार्यालय के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3784 को कैसे भरें
यहाँ पर आपको यह समझना होगा कि इस फॉर्म का फॉर्म संख्या 3784 होता है और क्लेम फॉर्म B लिखा होता है। आइये अब विस्तार से समझते है कि एलआईसी के इस फॉर्म को कैसे भरा जाता है।
जैसे ही आप इस फॉर्म को ओपन करते हैं तो सबसे पहले फॉर्म का हेड सेक्शन होता है। हेड सेक्शन में सबसे पहले ब्रांच ऑफिस लिखा होता है और इसके ठीक बाद खाली स्थान में आपको ब्रांच का नाम एवं ब्रांच का कोड नंबर लिखना होता है।
अब उपरोक्त के बाद फॉर्म के हेड सेक्शन में ही पालिसी नंबर और मृतक पॉलिसीधारक का नाम लिखना होता है। इस हेतु हमारा सुझाव होगा कि पॉलिसी बांड में दर्ज नाम और पॉलिसी नम्बर लिखें।
अब इसके बाद फॉर्म में अलग-अलग प्रश्न पूछे जाते हैं। तो हम यहाँ पर बारी-बारी से प्रत्येक प्रश्न और उनके संभावित उत्तर और सुझावों को आपके साथ साझा कर रहे हैं।
प्रश्न 1: मृतक का पूरा नाम, पता एवं व्यवसाय क्या था?
उत्तर: चुकी यह फॉर्म डॉक्टर के द्वारा भरा जाता है, तो एलआईसी उस डॉक्टर से यह जानना चाहती है कि उनके अनुसार मृतक का पूरा नाम, उसका पता और व्यवसाय क्या था। इस प्रश्न का उदेश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि जिस व्यक्ति का मृत्यु दावा प्रस्तुत किया गया है और जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है, क्या यह दोनों एक ही व्यक्ति है या नहीं।
डॉक्टर को चाहिए कि इस प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले अस्पताल के दस्तावेजों की जाँच अवश्य कर लें और मृतक का विवरण जाँच कर लें। कई मामलो में, लापरवाही अथवा कुछ गलतियों के कारण नाम इत्यादि में अंतर हो सकता है। ऐसे मामलों के लिए सिर्फ मेरा सुझाव है कि मृतक पॉलिसीधारक के दस्तावेजों के अनुसार उसका नाम इत्यादि दर्ज किया जाना श्रेष्ठ होता है, बशर्ते कि किसी भी तरह से धोखा-धड़ी की संभावना न हो।
प्रश्न 2(क): मृत्यु के समय उनकी स्पष्ट आयु, जैसा कि अनुमान लगाया जा सकता है
उत्तर: चुकी इस प्रश्न का उत्तर अनुमान के आधार पर दिया जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद हमारा सुझाव होगा कि यह उत्तर भी पॉलिसी बांड में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर लिखा जाना श्रेष्ठ होता है।
प्रश्न 2(ख): क्या वह आपसे संबंधित था और यदि हाँ, तो कैसे?
उत्तर: यदि यह फॉर्म भरने वाला डॉक्टर या मेडिकल अटेंडेंट मृतक पॉलिसीधारक का मित्र, रिश्तेदार या परिवार का सदस्य है, तो यहां संबंध का उल्लेख करना होगा, अन्यथा इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" के रूप में लिखा जा सकता है।
मुझे लगता है कि इस प्रश्न के माध्यम से एलआईसी यह समझना चाहती है कि फॉर्म में दी गई जानकारी पर कितना भरोसा किया जा सकता है। क्योकि, अक्सर कुछ लोग अपने करीबी लोगों के लाभ के लिए गलत या अधूरी जानकारी दे सकते हैं।
प्रश्न 2(ग): आपके द्वारा देखे गए किसी भी निशान या शारीरिक विशेषताओं का विवरण
उत्तर: इस प्रश्न के उत्तर में आपको मृतक पॉलिसीधारक की शारीरिक विशेषताओं और बर्थ मार्क के बारे में जानकारी लिखनी होगी।
प्रश्न 3(क): मृत्यु का समय
उत्तर: डॉक्टर को अस्पताल के दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए मृतक पॉलिसीधारक की मृत्यु का सही समय बताना चाहिए। इस समय का उत्तर पोस्टमार्टम रिपोर्ट (यदि कोई हो) को ध्यान में रखते हुए लिखना बेहतर होगा।
प्रश्न 3(ख): मृत्यु की तिथि
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर भी अस्पताल के दस्तावेजों के आधार पर देना उचित होगा। यदि पोस्टमार्टम हुआ है तो इसकी जांच करना उचित होगा।
प्रश्न 3(ग): मृत्यु का स्थान (सटीक पता दें)
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग मृत्यु मामलों में अलग-अलग हो सकता है। ऐसे में यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु अस्पताल में हुई है तो डॉक्टर को अपने अस्पताल का विवरण प्रस्तुत करना चाहिए। लेकिन यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु अस्पताल पहुंचने से पहले हुई है तो ऐसी स्थिति में उसे इस प्रश्न के उत्तर में लिखना चाहिए कि मृत्यु अस्पताल पहुंचने से पहले हुई थी।
प्रश्न 04(क). मृत्यु का वास्तविक कारण क्या था? (बीमारी या मृत्यु के अन्य कारण को ऐसे शब्दों में परिभाषित करने के अलावा, जैसा आप उचित समझें, कृपया विशिष्ट तकनीकी नाम जोड़ें)
उत्तर: यहाँ डॉक्टर को चिकित्सा कारणों का उल्लेख करते हुए मृत्यु का वास्तविक कारण बताना होगा। यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु किसी बीमारी के कारण हुई है, तो डॉक्टर को बीमारी का नाम और तकनीकी विवरण देना चाहिए। लेकिन यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु आकस्मिक कारणों से हुई है, तो डॉक्टर को सभी कारणों का सटीक उल्लेख करना चाहिए। डॉक्टर को ध्यान रखना चाहिए कि उसके द्वारा दिए गए विवरण आधिकारिक चिकित्सा दस्तावेज के अनुरूप हों।
उदाहरण: आमतौर पर हृदय संबंधी समस्याओं के कारण होने वाली मृत्यु को हार्ट अटैक कहा जाता है, लेकिन इस प्रश्न के उत्तर में मृत्यु का कारण "हार्ट फेलियर" होगा और इसका तकनीकी नाम "एक्यूट मायोकार्डियल इंफार्क्शन" होगा।
प्रश्न 04(ख). क्या यह मृत्यु के बाद जांच से पता चला या जीवन के दौरान लक्षणों और उपस्थिति से अनुमान लगाया गया था?
उत्तर: अलग अलग मृत्यु दावों में, इसका उत्तर अलग अलग हो सकता है। कुछ मामलों में मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम किया जा सकता है, जबकि कई मामलों में जब पॉलिसीधारक किसी सामान्य बीमारी या अन्य सामान्य कारणों से मर जाता है तो पोस्टमार्टम की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मृत्यु का कारण पता चलता है तो उसे स्पष्ट रूप से बताएं। लेकिन यदि बीमारी के लक्षणों से मृत्यु का कारण पता चलता है तो उसे बताएं।
प्रश्न 04(ग). अपनी मृत्यु से पहले वह कितने समय से इस बीमारी से पीड़ित था?
उत्तर: इस प्रश्न के माध्यम से, एलआईसी मृतक पॉलिसीधारक की बीमारी और बीमारी की अवधि के बारे में विस्तार से जानना चाहता है। इस प्रश्न का उत्तर लिखने के लिए, हम आपको एक बार मेडिकल दस्तावेजों की जांच करने की सलाह देंगे। यदि आपके पास सटीक डेटा उपलब्ध है, तो बीमारी के पहले निदान की तारीख और अंतिम उपचार की तारीख को नोट करना चाहिए। यदि बीमारी का इलाज लंबी अवधि से चल रहा था और सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है, तो अनुमानित अवधि नोट करें (उदाहरण के लिए: हृदय रोग का इलाज 6 महीने पहले हुआ था)।
प्रश्न 04(घ). बीमारी के लक्षण क्या थे?
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर देते समय, डॉक्टर को उन सभी लक्षणों का उल्लेख करना चाहिए जो मृतक पॉलिसीधारक को बीमारी के दौरान थे और इसके स्पष्टीकरण में चिकित्सा शब्दावली का उपयोग करना बेहतर है।
उदाहरण: सीने में तेज दर्द, सांस लेने में कठिनाई, अत्यधिक थकान और पसीना आना, रक्तचाप में अनियमितता
प्रश्न 04 (ङ). मृतक द्वारा पहली बार कब देखा गया था?
उत्तर: चूंकि अधिकांश मामलों में डॉक्टर मरीज को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता है, ऐसे मामलों में डॉक्टर केवल इलाज के दौरान ही मरीज से मिलता है। इसलिए हम आपको सुझाव देंगे कि आप यहां इलाज शुरू होने की दर्ज तारीख (जो रिकॉर्ड में उपलब्ध है) को नोट कर लें। अगर तारीख स्पष्ट नहीं है, तो अनुमानित समय भी लिखा जा सकता है।
लेकिन ऐसे मामलों में, जब डॉक्टर मृतक पॉलिसीधारक को व्यक्तिगत रूप से जानता हो या मृतक पॉलिसीधारक का पारिवारिक डॉक्टर था, तो आपको स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि आप मृतक पॉलिसीधारक को कब से जानते थे।
प्रश्न 04(च). बीमारी के दौरान आपसे पहली बार किस तारीख को परामर्श लिया गया था?
उत्तर: डॉक्टर को मृतक पॉलिसीधारक का उपचार शुरू होने की तारीख स्पष्ट रूप से लिखनी चाहिए।
प्रश्न 04(छ). क्या आपने बीमारी के पूरे दौर में उसका इलाज किया? यदि नहीं, तो बताएं कि किस अवधि के दौरान।
उत्तर: यदि आपने बीमारी के लक्षण शुरू होने से लेकर अंतिम सांस तक मृतक पॉलिसीधारक का इलाज किया है, तो आपको इस प्रश्न का उत्तर "हां" देना चाहिए। लेकिन यदि नहीं, तो आपको यह बताना चाहिए कि आपने कितने समय तक उसका इलाज किया।
प्रश्न 05(क). क्या उनकी आदतें संयमित और संतुलित थीं?
उत्तर: इस प्रश्न के माध्यम से, एलआईसी दरअसल डॉक्टर से यह जानना चाहती है कि क्या मृतक पॉलिसीधारक नशा करता था या उसकी कुछ ऐसी आदतें थीं जो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थीं या उसकी मृत्यु का कारण बनीं।
इस प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले, हमारी आपको सलाह होगी कि आप इस प्रश्न का उत्तर निष्पक्ष तरीके से लिखें। इस प्रश्न का उत्तर यह निर्धारित करेगा कि मृत्यु दावा योग्य है या नहीं। यदि आपकी जानकारी के अनुसार, मृतक पॉलिसीधारक नशा करता था या उसकी कोई ऐसी आदत थी जिसके कारण उसकी मृत्यु हुई, तो इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" होना चाहिए। अन्यथा, इस प्रश्न का उत्तर "हां" होना चाहिए।
प्रश्न 05(ख). क्या आपके पास कोई कारण या संदेह है कि यह बीमारी असंयमित आदतों के कारण उत्पन्न हुई या बढ़ी?
उत्तर: यदि आप उपरोक्त प्रश्न 05(क) का उत्तर "नहीं" दे रहे हैं, तो आपको प्रासंगिक विवरण प्रस्तुत करना चाहिए। लेकिन यदि आप उपरोक्त प्रश्न 05(क) का उत्तर "हां" दे रहे हैं, तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में "नहीं" लिखना चाहिए।
प्रश्न 06: और कौन-कौन सी बीमारियाँ या रोग (i) मृत्यु से पहले मौजूद थे (ii) या वे बीमारियाँ जो मृत्यु के समय भी मौजूद थीं?
उत्तर: यहाँ एलआईसी यह जानना चाहती है कि मृतक पॉलिसीधारक को मृत्यु से पहले क्या स्वास्थ्य समस्याएँ थीं या वह किन बीमारियों से पीड़ित था। तो यदि आप एक डॉक्टर के तौर पर, मरीज की चिकत्सा किये हैं तो उसका विवरण प्रस्तुत करें।
यह भी संभव है कि कुछ मामलों में पॉलिसीधारक की अस्पताल पहुँचने से पहले ही मृत्यु हो गई हो। ऐसे में यदि आपके पास इस संबंध में विशेष जानकारी नहीं है, तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में लिखना चाहिए - "इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है"
प्रश्न 06: ऐसी बीमारी या रोग का विवरण दें जिसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल हो:
- पहली बार कब देखा गया?
- किसने इलाज किया?
- किसने आपको यह जानकारी दी?
उत्तर: प्रश्न संख्या 6 दो भागों में है। इस दूसरे भाग में एलआईसी यह जानना चाहती है कि अगर मृतक पॉलिसीधारक को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी थी, तो वह समस्या या बीमारी आपके संज्ञान में कब आई। इसके बाद आपको यह बताना है कि इलाज करने वाले डॉक्टर का क्या नाम था, तो यहाँ पर आपको अपना नाम लिखना होता है। इसके बाद आपको यह बताना है कि बीमारी के बारे में किसने बताया, तो अगर मरीज (मृत पॉलिसीधारक) ने खुद समस्या बताई तो उसका नाम लिखें अन्यथा उस व्यक्ति का नाम लिखें जिससे आपको बीमारी के बारे में जानकारी मिली।
प्रश्न 07(क): क्या मृतक का अंतिम बीमारी के दौरान किसी अन्य डॉक्टर या अस्पताल में इलाज हुआ था? अगर हाँ, तो उनके नाम और पते बताइए।
उत्तर: कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि पहले मरीज का किसी अस्पताल में ईलाज चल रहा होता है। लेकिन जब उसको स्वास्थ्य लाभ नहीं होता अथवा उसके स्वास्थ्य की कंडीशन ख़राब होती जाती है तो वह अस्पताल मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में रिफर कर देता है। बाद में जहाँ पर उस मरीज की मृत्यु हो जाती है।
अलग-अलग मामलों में अलग-अलग संभावनाएं हो सकती हैं। लेकिन मैं आपका ध्यान मूल विषय पर ही केंद्रित रखना चाहता हूँ। अब आप उपरोक्त संभावना में कोई भी डॉक्टर हो सकते हैं। तो अगर आपके अस्पताल से मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में ट्रांसफर किया गया था, तो आपको उस अगले अस्पताल का पूरा नाम और पता लिखना होता है।
लेकिन अगर आपके पास मरीज ट्रांसफर होकर आया था, तब आपको पूर्व के अस्पताल का पूरा नाम एवं पता लिखना होता है। अगर ऐसा नहीं है तो इस प्रश्न के उत्तर में "नहीं" लिखा जा सकता है।
प्रश्न 07(ख): क्या आपके साथ परामर्श में किसी अन्य डॉक्टर ने भी मरीज का इलाज किया था? अगर हाँ, तो उनके नाम और पते बताइए।
उत्तर: कुछ मामलों में यह संभव है कि मरीज के उपचार के दौरान आपने डॉक्टर के तौर पर किसी अन्य डॉक्टर से सलाह ली हो या चिकित्सा प्रक्रिया में आपके साथ अन्य डॉक्टर जुड़े हों। अगर ऐसा है तो संबंधित अन्य डॉक्टरों के नाम और पते लिखने होंगे। अगर ऐसा नहीं है तो इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" लिखा जा सकता है।
प्रश्न 08(क): क्या आप मृतक के नियमित चिकित्सक थे?
उत्तर: इस प्रश्न के माध्यम से एलआईसी आपसे (डॉक्टर) यह जानना चाहता है कि क्या आप मृतक पॉलिसीधारक का लंबे समय से इलाज कर रहे थे। यदि हाँ, तो आपको इस प्रश्न का उत्तर "हाँ" में देना चाहिए और यदि नहीं, तो आपको इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" में देना चाहिए।
प्रश्न 08(ख): यदि हाँ, तो कितने समय से?
उत्तर: यदि आपने प्रश्न संख्या 08(क) का उत्तर "हाँ" में दिया है, तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में यह बताना होगा कि आप कितने समय से मृतक पॉलिसीधारक का इलाज कर रहे थे। यह उत्तर लिखते समय आपको मरीज के दस्तावेजों की जांच करनी चाहिए।
लेकिन यदि आपने प्रश्न संख्या 08(क) का उत्तर "नहीं" में दिया है, तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में "लागू नहीं" लिखना चाहिए।
प्रश्न 08(ग): यदि नहीं, तो मृतक के नियमित चिकित्सक का नाम और पता बताइए।
उत्तर: यदि प्रश्न 08 (क) का उत्तर "नहीं" है, तो आपको यह बताना होगा कि मृतक पॉलिसीधारक का इलाज पहले कौन सा डॉक्टर कर रहा था। ऐसे में संभव है कि आप उसके बारे में जानते हों और यह भी संभव है कि आप इस बारे में नहीं जानते हों।
यदि आप मृतक पॉलिसीधारक के नियमित डॉक्टर के बारे में जानते हैं, तो उसका पूरा नाम और पता लिखें। लेकिन यदि आप उसके बारे में नहीं जानते हैं, तो आप पॉलिसी के नॉमिनी से पूछकर यह जानकारी दे सकते हैं या यह भी लिख सकते हैं कि "मुझे मृतक पॉलिसीधारक के नियमित डॉक्टर के बारे में जानकारी नहीं है।"
यदि आप नॉमिनी से पूछकर जानकारी लिखते हैं, तो फॉर्म में जानकारी इस प्रकार लिखें - "नॉमिनी के अनुसार नियमित डॉक्टर का नाम और पता ___"
प्रश्न 09: अंतिम बीमारी से पहले के तीन वर्षों में आपने मृतक का किस-किस बीमारी के लिए इलाज किया था और कब किया था?
उत्तर: अलग-अलग मामलों में यहां दो संभावनाएं हो सकती हैं। पहली संभावना यह हो सकती है कि आपने मृतक पॉलिसीधारक का पहले कभी इलाज नहीं किया हो और उसने पहले कभी आपसे संपर्क नहीं किया हो। अगर ऐसा है, तो आपके लिए इस सवाल के जवाब में "मैंने पहले कभी किसी का इलाज नहीं किया है" लिखना उचित होगा।
लेकिन अगर आपने पिछले तीन सालों में मृतक पॉलिसीधारक का इलाज किया है, तो आपके लिए इस बारे में जानकारी देना ज़रूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में आपको इस सवाल के जवाब में बीमारी का नाम, इलाज की तारीख और इलाज का तरीका बताना चाहिए।
उदाहरण: 20 जनवरी 2022 को मधुमेह के इलाज के लिए इंसुलिन और उससे जुड़ी दवाएँ दी गईं, 15 मार्च 2023 को उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए एंटीहाइपरटेंसिव दवाएँ दी गईं।
प्रश्न 10: क्या मृत्यु के संबंध में कोई औपचारिक जांच या पोस्टमॉर्टम किया गया था? अगर हाँ, तो किसने किया और क्या परिणाम रहा?
उत्तर: अगर मृतक पॉलिसीधारक की औपचारिक जांच या पोस्टमॉर्टम की गई है तो किस संस्था अथवा व्यक्ति के द्वारा किया गया और इसका परिणाम क्या था विस्तार से लिखें। यदि पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ है तो इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" लिखें।
प्रश्न 11: क्या आपके पास इस दावे से संबंधित मृतक की बीमारियों, आदतों, जीवन शैली आदि के बारे में कोई अन्य जानकारी देने या टिप्पणी करने के लिए है?
उत्तर: यहाँ दो संभावनाएँ हो सकती हैं। पहली संभावना यह है कि आप मृतक पॉलिसीधारक को बहुत अच्छी तरह से जानते थे और दूसरी संभावना यह है कि आप उसे नहीं जानते थे। इसलिए इन दोनों संभावनाओं का उत्तर अलग-अलग होगा।
यदि आप मृतक पॉलिसीधारक को अच्छी तरह से जानते थे तो आपका उत्तर कुछ इस तरह हो सकता है: "मृत पॉलिसीधारक संयमित और सरल जीवनशैली जीता था, वह किसी भी तरह के नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करता था। वह आम तौर पर अच्छे स्वास्थ्य में था, लेकिन मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से पीड़ित था और मेरी जानकारी के अनुसार वह अमुक अस्पताल के डॉ. एक्स से इसके लिए नियमित उपचार करवा रहा था।"
यदि आप मृतक पॉलिसीधारक को अच्छी तरह से नहीं जानते थे तो आपका उत्तर कुछ इस प्रकार से हो सकता है: "हमारे पास मृतक के जीवन शैली के विषय में बहुत ही सिमित जानकारी है। मेरी जानकारी के अनुसार शायद वह सिगरेट का सेवन करते थे। हालाँकि अंतिम बीमारी के दौरान कोई विशेष नशीली आदत का प्रमाण नहीं मिला है।"
कृपया ध्यान दें: मैंने उपरोक्त सभी प्रश्नों के उत्तर अपने विवेक से लिखे हैं और यह एक प्रशिक्षक के रूप में फॉर्म को समझने के उद्देश्य से है। जबकि यह फॉर्म किसी डॉक्टर द्वारा मेडिकल टर्म्स का उपयोग करके लिखा जाना चाहिए।
हम यहाँ यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह फॉर्म बहुत महत्वपूर्ण है और मृत्यु दावे को पूरी तरह से प्रभावित करता है। इसलिए इस फॉर्म को भरते समय निष्पक्ष रहना और सटीक जानकारी देना बहुत जरूरी है। इस जानकारी को केवल एक समझ के रूप में लिया जाना चाहिए। हम किसी भी तरह से और किसी भी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। इसलिए फॉर्म भरते या भरवाते समय अपने विवेक का इस्तेमाल करें।
फॉर्म 3784 भरते समय बरतें सावधानियां:
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 भरते समय निम्नलिखित सावधानियां अवश्य बरती जानी चाहिए।
- यह फॉर्म उस डॉक्टर या मेडिकल अटेंडेंट द्वारा भरा जाना चाहिए जिसने पॉलिसीधारक का मृत्यु से पहले अंतिम बार उपचार किया हो या उसे मृत घोषित किया हो।
- फॉर्म में पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर पूरी निष्पक्षता, सटीकता और स्पष्टता के साथ दिए जाने चाहिए।
- फॉर्म भरते समय नीली या काली स्याही वाली अच्छी कलम का उपयोग करना चाहिए और फॉर्म को अलग-अलग कलमों से नहीं भरना चाहिए।
- फॉर्म में सभी प्रश्नों के उत्तर देते समय संबंधित दस्तावेजों की जांच अवश्य करें। सभी जानकारी लिखते समय अस्पताल द्वारा जारी किए गए मरीज के दस्तावेज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सहायता लेना उचित है।
- फॉर्म भरने के बाद उचित स्थान पर हस्ताक्षर, मुहर और अन्य संबंधित जानकारी देना आवश्यक है।
मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 की सैंपल फाइल
इस लेख के माध्यम से हमारा प्रयास आपको फॉर्म भरने के बारे में पूरी जानकारी देने का रहा है। लेकिन अगर आप एलआईसी एजेंट हैं, तो मृत्यु दावा प्रक्रिया में कई कारणों से आपको उलझन हो सकती है। इसलिए, हमने डमी डेटा के साथ इस फॉर्म की एक सैंपल फाइल तैयार की है।
आप नीचे दिए गए लिंक बटन पर क्लिक करके एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3784 की इस सैंपल फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं और इसका इस्तेमाल आधिकारिक फॉर्म भरने में मदद पाने के लिए कर सकते हैं।
जीवन बीमा एजेंट बनकर अपना व्यवसाय शुरू करें
हम यह अच्छी तरह समझते हैं कि जब परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार को कई तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्योंकि, रोजगार की समस्या एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में रोजगार शुरू करने के लिए जीवन बीमा एजेंसी आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है।
अगर आप जीवन बीमा एजेंसी का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो आपको जीवन बीमा कंपनी के उस अधिकारी से संपर्क करना होगा, जिसके पास एजेंट नियुक्त करने का अधिकार होता है। इसलिए, आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए, हम आपके साथ एक लिंक बटन शेयर कर रहे हैं। इसकी मदद से आप अपने ही इलाके के अधिकारी से संपर्क करके जीवन बीमा एजेंसी लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
वीडियो में एलआईसी फॉर्म 3784 भरने की जानकारी
हालाँकि इस लेख में हमने एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3784 भरने के बारे में विस्तार से पूरी जानकारी दी है और एक सैंपल पीडीऍफ़ फ़ाइल भी शेयर की है। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरा यह प्रयास आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
चूँकि यह फॉर्म मृत्यु दावा प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक छोटी सी गलती आपके दावे को जटिल बना सकती है और उसे खारिज भी करवा सकती है। इसलिए फॉर्म को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमने एक वीडियो तैयार किया है। मेरा सुझाव है कि फॉर्म भरने से पहले आप एक बार इस पूरे वीडियो को ध्यान से देखें।
निष्कर्ष
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3784 एक बहुत ही महत्वपूर्ण फॉर्म है और मृत्यु दावे के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख के माध्यम से हमने फॉर्म नंबर 3784 से संबंधित सभी जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने का तरीका, डॉक्टर या मेडिकल अटेंडेंट की जिम्मेदारी और दावा प्रक्रिया में इस फॉर्म के महत्व को विस्तार से समझाने का प्रयास किया गया है।
मुझे उम्मीद है कि हमारा यह प्रयास आपके लिए मददगार साबित होगा। लेकिन फिर भी संभव है कि आपके मन में कुछ सवाल हों। यदि हां, तो कृपया अपने प्रश्न उपरोक्त वीडियो के कमेंट बॉक्स में या इस लेख के कमेंट बॉक्स में लिखें।
16 मई 2025
किसी भी परिवार के लिए वह सबसे कठिन समय होता है, जब उस परिवार का कोई सदस्य परिवार को छोड़कर हमेसा के लिए चला जाता है। यह एक ऐसा आघात है जिसे शब्दों में बयान कर पाना मेरे लिए बहुत अधिक कठिन है। ऐसे कठिन समय में, किसी भी व्यक्ति के लिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना जितना अधिक कठिन होता है, उतना ही मत्वपूर्ण आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना भी होता है। जीवन बीमा की पॉलिसियां, ऐसे समय में परिवार के भविष्य को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए बहुत अधिक अहम हो जाती है।
जीवन बीमा बाजार के विभिन्न लेखों के माध्यम से हम प्रत्येक जरूरतमंद के लिए मृत्यु दावा प्रक्रिया को अत्यधिक सरल और स्पष्ट बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि आज के इस लेख के माध्यम से, हम भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के मृत्यु दावा प्रक्रिया में उपयोग किये जाने वाले एक फॉर्म, जिसे फॉर्म संख्या 3816 कहते हैं, के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने जा रहे हैं।
इस लेख में, हम इस फॉर्म से जुडी हुई सभी जरुरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे, ताकि एलआईसी एजेंटो, पॉलिसीधारकों एवं उनके परिवार के सदस्यों को मृत्यु दावा प्रक्रिया में किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। हम यह प्रयास कर रहे हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद, आप खुद को इस प्रक्रिया के लिए सशक्त महसूस करें और यह आत्मविश्वास महसूस करें कि आप खुद से इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म 3816
एलआईसी फॉर्म संख्या 3816 या 3816-B1, एलआईसी के मृत्यु दावा प्रक्रिया में उपयोग किया जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण फॉर्म है। एलआईसी के इस फॉर्म को सर्टिफिकेट ऑफ हॉस्पिटल ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है। इस फॉर्म का उपयोग भी लगभग सभी प्रकार के मृत्यु दावे के लिए किया ही जाता है। अर्ली डेथ-क्लेम के मामलों में निगम इस फॉर्म की मांग जरूर करती है।
वास्तव में यह फॉर्म उस अस्पताल द्वारा भरवाया जाता है जहाँ मृत पॉलिसीधारक का अंतिम बार उपचार हुआ था या जहा पर उसे मृत घोषित किया गया था। चुकी यह फॉर्म अस्पताल से सम्बंधित उपचार और मृत्यु से जुड़े मेडिकल प्रमाण के लिए जरुरी होता है, इसलिए इसे सर्टिफिकेट ऑफ हॉस्पिटल ट्रीटमेंट कहा जाता है। चुकी यह फॉर्म मृत्यु दावे की सत्यता और वैधता को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाता है इसलिए निगम लगभग प्रत्येक मृत्यु दावे में इसकी मांग करता है।
एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म 3816 की पीडीऍफ़ फाइल
बीमाधारक के मृत्यु के बाद, जीवन बीमा पॉलिसी में वर्णित नॉमिनी को अथवा उसके वैध उत्तरधिकारी को एलआईसी की होम ब्रांच (जहा से पॉलिसी जारी की गई थी) को मृत्यु की लिखित सुचना प्रस्तुत करनी होती है। सूचना प्राप्त होने के बाद, एलआईसी ऐसे मृत्यु दावे को पंजीकृत कर लेती है और नॉमिनी अथवा दावेदार के लिए जरुरी मृत्यु दावा फॉर्म एवं दिशानिर्देश जारी करती है।
इन महत्वपूर्ण मृत्यु दावे फॉर्म में एक फॉर्म एलआईसी फॉर्म संख्या 3816 (सर्टिफिकेट ऑफ हॉस्पिटल ट्रीटमेंट) भी होता है। आमतौर पर, नॉमिनी को मृत्यु दावा सूचना प्रस्तुत करने के कुछ दिनों के अंदर ही एलआईसी द्वारा जरुरी फॉर्म और दिशानिर्देश भारतीय डाक अथवा अन्य आधिकारिक माध्यमों द्वारा भेज दिया जाता है। इन फॉर्मो को सावधानी पूर्वक भरकर, निगम द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए जमा करना होता है।
हालाँकि मृत्यु दावा सूचना देने के कुछ दिनों के बाद निगम स्वयं ही यह फॉर्म भेज देती है, लेकिन नॉमिनी और दावेदार की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हम यहाँ पर एलआईसी फॉर्म संख्या 3816 को डाउनलोड करने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। आप इसको डाउनलोड करके मृत्यु दावा प्रक्रिया में इसका उपयोग कर सकते हैं।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3816 का महत्व
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के मृत्यु दावा प्रक्रिया में फॉर्म संख्या 3816 (सर्टिफिकेट ऑफ हॉस्पिटल ट्रीटमेंट) एक बहुत ही महत्वपूर्ण फॉर्म होता है। यह फॉर्म उस अस्पताल द्वारा भरवाया जाता है और प्रमाणित कराया जाता है, जहां पर मृत्यु से ठीक पहले पॉलिसीधारक का इलाज चल रहा था या जहां पर पॉलिसीधारक को मृत घोषित किया गया था। यह एक ऐसा फॉर्म है जो मृत्यु दावे की वैधता को स्थापित करने में मददगार साबित होता है।
आइये समझते हैं कि एलआईसी के मृत्यु दावा प्रक्रिया में फॉर्म संख्या 3816 का उपयोग क्यों किया जाता है:
- मृत्यु का प्रमाण: यह फॉर्म अस्पताल द्वारा भरवाया जाता है। अस्पताल अपने रिकॉर्ड के आधार पर मृतक के बीमारी, बीमारी की अवधि, उपचार और मृत्यु के कारणों का विवरण इस फॉर्म के जरिये प्रस्तुत करता है। इस प्रमाण के आधार पर, एलआईसी को मृत्यु दावे के लिए सटीक निर्णय लेने में बहुत अधिक मदद प्राप्त होती है।
- मेडिकल रिकॉर्ड: फॉर्म में बीमारी का विवरण, उपचार की अवधि और मृत्यु के सटीक कारणों से सम्बंधित जानकारी होती है। जिससे दावा प्रक्रिया पारदर्शी बनता है।
- प्रामाणिक दस्तावेज: चुकी यह फॉर्म अस्पताल द्वारा भरा जाता है इसलिए इसको निगम एक प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में स्वीकार करता है। जिसके परिणाम स्वरुप, यह फॉर्म दावा निपटान में विश्वसनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
- दावा प्रक्रिया को सरल बनाना: एक बार जब नॉमिनी अथवा दावेदार इस फॉर्म को अस्पताल से प्रमाणित करवा लेता है, तो उसको अन्य कई तरह के अतिरिक्त क़ानूनी जटिलताओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
- विवाद समाधान: फॉर्म संख्या 3816 के आधार पर एलआईसी मृत्यु दावे के सत्यता की पुष्टि कर सकती है जिसके फलस्वरूप मृत्यु दावे का शीघ्र एवं बिना किसी विवाद के जल्द भुगतान संभव हो सकता है।
फॉर्म संख्या 3816 को कैसे भरें
अगर आप नॉमिनी अथवा दावेदार हैं तो आपके लिए हमारी यही सलाह होगी कि आप इस फॉर्म को खुद से न भरें। क्योकि इसमें दी जाने वाली सभी जानकारी अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार ही होती है। तो अगर आप खुद से इस फॉर्म को भरने की गलती करते हैं तो निश्चित रूप से गलती हो सकती है, जिसके परिणाम स्वरुप आपके मृत्यु दावा प्रक्रिया में बाधा हो सकती है। अतः आपके लिए हमारी सलाह होगी कि इस फॉर्म को सम्बंधित अस्पताल से ही भरवायें।
अगर आप एलआईसी एजेंट है तो आपके लिए भी हमारी यही सलाह होगी कि आपको भी खुद से इस फॉर्म को नहीं भरना चाहिए। लेकिन आपके लिए यह जरुरी है कि आप इस फॉर्म को बेहतर तरीके से समझे ताकि जरुरत पड़ने पर सम्बंधित अस्पताल को इस फॉर्म को भरने के लिए सलाह दे सकें। तो चलिए अब समझते हैं कि इस फॉर्म को कैसे भरा जाता है।
यहाँ पर जानकारी शुरू करने से पहले मेरी यह सलाह होगी कि यहाँ पर सभी जानकारी हिंदी में दी जा रही है अतः यह संभव है कि आपको फॉर्म में दिए हुए प्रश्नो को लेकर कुछ कन्फ्यूजन हो। ऐसे में आपके लिए हमारी सलाह होगी कि इस लेख के ऊपर में दिए हुए बटन "रीड इन इंग्लिश" पर क्लिक करके, आप सम्बंधित कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए प्रयास कर सकते हैं।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3816 का हेड:
जैसे ही आप फॉर्म को शुरू करते हैं सबसे पहले आपको आपके शाखा कार्यालय का नाम लिखना होता है। यहाँ पर आपको एलआईसी की उस शाखा कार्यालय का नाम लिखना होता है जहाँ से एलआईसी की पॉलिसी खरीदी गई थी। अगर पॉलिसी किसी दूसरे ब्रांच में ट्रांसफर हो चुकी है तो नई ब्रांच का नाम और कोड लिखना होता है।
अब आपके मन में यह सवाल हो सकता है कि एलआईसी के शाखा कार्यालय का नाम और कोड कैसे प्राप्त करें। तो इसके लिए आप मूल पॉलिसी बांड अथवा प्रीमियम रसीद की मदद ले सकते हैं। एलआईसी के पॉलिसी बांड और रसीद के ऊपर एलआईसी के शाखा कार्यालय का नाम और कोड नम्बर लिखा होता है।
अब आपको पॉलिसी नंबर और मृतक पॉलिसीधारक का नाम लिखना होता है। यह दोनों जानकारी भी एलआईसी पॉलिसी के पॉलिसी बांड और रसीद पर मिल जाती है।
प्रश्न 1: अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार मरीज का पूरा नाम, आयु, पता और व्यवसाय क्या था?
उत्तर: यहाँ पर अस्पताल को बताना होता है कि उनके रिकॉर्ड के अनुसार मृतक पॉलिसीधारक का पूरा नाम, आयु, पता और व्यवसाय क्या था। सामान्यतौर पर जब अस्पताल में कोई व्यक्ति भर्ती होता है या इलाज चल रहा होता है, तो अस्पताल स्वम ही अपने मरीज की यह सभी जानकारी अपने रिकॉर्ड में रखता है।
कुछ मामलों में पॉलिसीधारक के व्यवसाय का विवरण अस्पताल के पास नहीं हो सकता है। ऐसे में यदि आप चाहें तो खुद से उसका व्यवसाय बताकर डाटा दर्ज करवा सकते हैं, अथवा अस्पताल यहाँ पर लिख सकता है कि उनके दस्तावेज में यह रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
प्रश्न 2: अस्पताल में उनके दाखिल होने की तारीख क्या थी?
उत्तर: यहाँ पर एलआईसी यह जानना चाहती है कि यदि पॉलिसीधारक को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तो अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार उसे आखरी बार कब भर्ती कराया गया था।
यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि कुछ मामलों में मरीज की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो सकती है। ऐसे मामलों में, वह तारीख लिखना उचित हो सकता है जिस दिन डॉक्टर ने मरीज की जांच की और उसे मृत घोषित किया। हालांकि, यह कोष्ठक में लिखा जाना चाहिए कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई थी।
प्रश्न 3: अस्पताल में भर्ती होने से पहले मरीज किसका इलाज करवा रहा था? अगर मरीज भर्ती होने के समय किसी डॉक्टर का पत्र या नोट लेकर आया है, तो कृपया उसकी प्रमाणित प्रति हमें उपलब्ध कराएं।
उत्तर: इस सवाल के जरिए एलआईसी यह जानना चाहती है कि पॉलिसीधारक का इलाज कितने समय से चल रहा था। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बीमारी की अवधि के दौरान पॉलिसी खरीदी या रिवाइव तो नहीं की गई है।
अब अस्पताल को अपने रिकॉर्ड की जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भर्ती होने से पहले पॉलिसीधारक का अस्पताल में इलाज हुआ था या नहीं। अगर हां, तो उसका ब्योरा दें। कई मामलों में मरीज पहले किसी दूसरे अस्पताल से इलाज करा रहा हो सकता है, इसलिए अगर अस्पताल के पास इस संबंध में जानकारी है, तो उसे फॉर्म में जरूर देना चाहिए और अगर सबूत मौजूद हैं, तो उसे जमा करना चाहिए।
प्रश्न 4: प्रवेश के समय क्या था?
- उसकी शिकायत की प्रकृति क्या थी?
- उसके द्वारा बताई गई शिकायत की अवधि क्या थी?
उत्तर: यहाँ दो प्रश्न पूछे गए हैं। पहले प्रश्न में, एलआईसी यह जानना चाहती है कि अस्पताल में भर्ती होने के समय पॉलिसीधारक को कौन सी स्वास्थ्य समस्या थी। उदाहरण के लिए: पेट दर्द, सांस लेने में समस्या, आदि।
दूसरे प्रश्न में, एलआईसी यह जानना चाहती है कि अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार पॉलिसीधारक कितने समय से उपरोक्त समस्या से पीड़ित था। अतः अस्पताल को उनके रिकॉर्ड के अनुसार इन दोनों प्रश्नों के उत्तर लिखने चाहिए।
प्रश्न 5(क): भर्ती के समय मरीज ने अपना वास्तविक इतिहास क्या बताया था? (बीमारियों की तिथियां, अवधि, बताए गए लक्षण आदि)
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग रोगियों के लिए अलग-अलग हो सकता है। अस्पताल को अपने रिकॉर्ड के अनुसार पॉलिसीधारक के भर्ती होने की सभी तिथियाँ, भर्ती होने की अवधि और पॉलिसीधारक की बीमारी के लक्षण बताने होते हैं।
प्रश्न 5(ख): क्या यह इतिहास मरीज़ ने स्वयं बताया था या किसी और ने?
उत्तर: अस्पताल को यह बताना चाहिए कि मरीज ने अपनी सभी समस्याएं खुद बताई थी या किसी और ने।
प्रश्न 5(ग): यदि रोगी ने स्वयं इतिहास नहीं बताया है, तो रिपोर्ट करने वाले व्यक्ति का नाम और संबंध बताएं। क्या रोगी उस समय मौजूद था और क्या वह होश में था?
उत्तर: कई मामलों में मरीज़ खुद अपनी समस्या बताने की स्थिति में नहीं होता। अगर मरीज़ ने खुद अपनी समस्या बताई है तो मरीज़ का नाम लिखना चाहिए। लेकिन अगर किसी और ने उसकी तबीयत के बारे में बताया है तो संबंधित व्यक्ति का नाम और अन्य विवरण प्रस्तुत करना चाहिए। साथ ही मरीज़ की उस समय की वास्तविक स्थिति भी बतानी चाहिए।
प्रश्न 5(घ): इतिहास किसे बताया गया और किसके द्वारा इसे रिकॉर्ड किया गया?
उत्तर: यहाँ पर अस्पताल के उस डॉक्टर अथवा स्टॉप का नाम और विवरण देना होता है जिसने भर्ती के समय पॉलिसीधारक का विवरण दर्ज किया था।
प्रश्न 5(ङ): क्या वह डॉक्टर, जिसे इतिहास बताया गया था/जिसने इतिहास दर्ज किया था, अभी भी अस्पताल में है, और यदि नहीं, तो उसका वर्तमान पता क्या है?
उत्तर: इस प्रश्न में उस डॉक्टर या कर्मचारी का नाम और पता देना होता है जिसने पॉलिसीधारक की बीमारी और अन्य विवरण दर्ज किए हैं। यदि फॉर्म भरते समय यह व्यक्ति अस्पताल में कार्यरत नहीं है और अस्पताल के पास उस व्यक्ति का रिकॉर्ड है, तो भी अस्पताल को इस प्रश्न के उत्तर में उस व्यक्ति का विवरण दर्ज करना चाहिए।
प्रश्न 6: अस्पताल में क्या निदान किया गया?
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर अस्पताल अपने रिकार्ड के अनुसार दर्ज करता है।
प्रश्न 7: क्या अस्पताल में भर्ती होने के समय रोगी को कोई अन्य बीमारी थी या बीमारी पहले से थी? यदि हाँ, तो वह क्या थी? कृपया निम्नलिखित विवरण दें:
- रिपोर्ट किया गया इतिहास
- रोगी द्वारा पहली बार देखे जाने की तिथि
- किसके द्वारा इलाज किया गया?
- किसके द्वारा इतिहास रिपोर्ट किया गया? (यदि रोगी ने स्वयं नहीं किया, तो कृपया बताएं कि क्या यह उसकी उपस्थिति में और उसके ज्ञान में था)
- किसके द्वारा इतिहास नोट किया गया और रिकॉर्ड किया गया? (यदि डॉक्टर वर्तमान में अस्पताल में नहीं है, तो कृपया उसका वर्तमान पता दें)
उत्तर: कई मामलों में कुछ मरीज़ किसी एक बड़ी समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं, लेकिन वे पहले से किसी अन्य बीमारी से भी पीड़ित हो सकते हैं। यदि मृतक पॉलिसीधारक के साथ ऐसा मामला है, तो उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार लिखे जाने चाहिए और यदि ऐसा नहीं है, तो इन प्रश्नों के उत्तर में "लागू नहीं" लिखा जाना चाहिए।
प्रश्न 8: अस्पताल से उनकी छुट्टी की तारीख क्या थी?
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग मामलों में अलग-अलग हो सकता है। कुछ मरीज़ इलाज के दौरान मर जाते हैं। इसलिए मृत्यु के बाद जब शव परिवार को सौंपा जाता है, तो वह तारीख़ यहाँ लिखी जानी चाहिए। कुछ मामलों में मरीज़ को स्वस्थ मानकर छुट्टी दे दी जाती है, लेकिन घर पहुँचने के कुछ दिन बाद उसकी मृत्यु हो जाती है। इसलिए ऐसे मामलों में मरीज़ को जिस तारीख़ को छुट्टी दी गई थी, वह यहाँ लिखी जानी चाहिए।
प्रश्न 9: जब उन्हें छुट्टी दी गई तो उनकी हालत क्या थी?
उत्तर: यदि डिस्चार्ज के समय मरीज की स्वास्थ्य स्थिति सामान्य थी, लेकिन उपचार की आवश्यकता थी, तो अस्पताल मरीज की स्थिति के अनुसार विवरण भरता है। यदि मरीज का शव उसकी मृत्यु के बाद सौंपा गया है, तो इस प्रश्न का उत्तर "मृतक" लिखना चाहिए।
प्रश्न 10: क्या उनका पहले भी अस्पताल में इनपेशेंट या आउटपेशेंट के रूप में इलाज हुआ था? यदि हाँ, तो कृपया बताएँ:
- पहली बार भर्ती होने की तिथि या आउटपेशेंट के रूप में पहली बार इलाज की तिथि।
- छुट्टी की तिथि और छुट्टी के समय की स्थिति।
- बीमारी की प्रकृति।
उत्तर: कई बार मरीज सामान्य तरीके से अपनी बीमारी का इलाज करवा रहा होता है, बाद में उसकी तबीयत खराब होने पर उसे भर्ती कर लिया जाता है। अगर ऐसा होता है तो अस्पताल अपने रिकॉर्ड के अनुसार उपरोक्त सवालों के जवाब नोट कर लेता है, अन्यथा इन सवालों के जवाब नहीं लिख दिया जाना उचित होता है।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3816 के लिए सावधानियां
आमतौर पर जब अस्पताल में इलाज शुरू होता है तो मरीज को अपना नाम, पता और अन्य जानकारी देनी होती है, लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि अस्पताल के रिकॉर्ड में मरीज की सही जानकारी उपलब्ध नहीं होती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मरीज अपनी सारी जानकारी अस्पताल में अनुमानित तरीके से पेश करता है, कुछ मामलों में यह गलती अस्पताल के कर्मचारियों से भी हो जाती है।
उदाहरण के लिए रमेश कुमार सोनी नाम का व्यक्ति 25 साल का है और रूम नंबर 215, सांस्कृतिक संकुल के सामने, हुकुलगंज वाराणसी में रहता है। लेकिन मृत्यु दावे के बाद जब अस्पताल द्वारा यह फॉर्म भरा जाता है तो पता चलता है कि अस्पताल के रिकॉर्ड में उसका नाम रमेश कुमार, उम्र 23 साल और पता हुकुलगंज है।
अब अगर अस्पताल अपने रिकॉर्ड के अनुसार ऐसी अधूरी जानकारी देता है तो यह मृत्यु दावा प्रक्रिया में बड़ी बाधा बन सकता है। इसलिए हमारा सुझाव आपके लिए यही होगा कि अस्पताल से यह रिकॉर्ड लेते समय पॉलिसीधारक के मूल दस्तावेजों से इसकी जांच जरूर कर लें। अन्यथा दावा प्रक्रिया में देरी हो सकती है और विशेष मामलों में इसे रद्द भी किया जा सकता है।
अस्पतालों को हमारा सुझाव यह भी होगा कि यह फॉर्म जीवन बीमा मृत्यु दावा प्रक्रिया और निर्णय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में आपको मृतक की सभी जानकारी सही-सही भरनी चाहिए। अगर आपके रिकॉर्ड में कोई त्रुटि है और आपको लगता है कि यह वास्तव में अस्पताल की गलती है या आपको लगता है कि यह सिर्फ डेटा दर्ज करने में गलती है, तो सही जानकारी देना सबसे अच्छा है। बशर्ते आपके रिकॉर्ड और फॉर्म में दी गई जानकारी के सत्यापन में कोई गड़बड़ी न हो और अस्पताल का धोखाधड़ी का कोई इरादा न हो।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3816 की सैंपल फाइल
हालाँकि एलआईसी का यह फॉर्म अस्पताल द्वारा भरा जाता है, इसलिए इस फॉर्म के सैंपल फाइल की बहुत अधिक जरुरत नहीं होती है। लेकिन यदि आप एलआईसी में एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं, तो कुछ मामलों में आपको इसकी जरुरत हो सकती है। अतः आपकी जरुरत और सुविधा को ध्यान में रखते हुए हम एलआईसी फॉर्म संख्या 3816 की सैंपल फाइल साझा कर रहे हैं। आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं और जरुरत पड़ने पर मार्गदर्शन हेतु इसका सहारा ले सकते हैं।
एक्सपर्ट की मदद लें
वैसे तो हमने इस लेख की मदद से एलआईसी का फॉर्म नंबर 3816 भरने के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से दी है। लेकिन यह विषय और इसकी संभावनाएं बहुत व्यापक हैं। अलग-अलग मृत्यु मामलों में हर सवाल का जवाब अलग-अलग हो सकता है। इसलिए अगर आप एक आम आदमी हैं और मृत्यु दावा प्रक्रिया को पूरा करने में संघर्ष कर रहे हैं, तो आपके लिए हमारा सुझाव यही होगा कि इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आपको किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
एलआईसी के अनुभवी एजेंट ही एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म के बारे में विस्तृत जानकारी रखते हैं, इसलिए इस फॉर्म के लिए आपको अपने नजदीकी किसी अनुभवी एजेंट से संपर्क करना चाहिए। अगर आपको इस संबंध में कोई एजेंट नहीं मिल पा रहा है, तो हम आपके लिए नीचे एक लिंक बटन शेयर कर रहे हैं, जिस पर क्लिक करके आप अपने नजदीकी एलआईसी एजेंट से संपर्क कर सकते हैं।
वीडियो से जानें फॉर्म 3816 कैसे भरें
एलआईसी का फॉर्म नंबर 3816 डेथ क्लेम के फैसले में अहम भूमिका निभाता है। एक तरफ यह आपके डेथ क्लेम को बहुत आसान बनाता है, वहीं दूसरी तरफ यह आपके डेथ क्लेम को खारिज भी कर सकता है। वैसे तो इस लेख के जरिए बहुत कुछ स्पष्ट करने की कोशिश की गई है, लेकिन इसके बावजूद हम आपको सुझाव देंगे कि इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले एक बार नीचे शेयर किया गया पूरा वीडियो ध्यान से देख लें। ऐसा करते समय जरूरी नोट्स भी तैयार कर लें, ताकि प्रक्रिया के दौरान कोई गलती न हो।
निष्कर्ष
एलआईसी डेथ क्लेम फॉर्म नंबर 3816 जीवन बीमा पॉलिसियों की मृत्यु दावा प्रक्रिया के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसलिए, इस फॉर्म को भरते समय सटीकता और प्रामाणिकता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस फॉर्म में दी गई जानकारी सीधे आपके मृत्यु दावे के फैसले को प्रभावित कर सकती है।
इस लेख के माध्यम से, हमने इस फॉर्म को भरने के बारे में बहुत विस्तार से जानकारी दी है, इसके साथ ही मैंने यह भी बताया है कि फॉर्म भरते समय आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। इसके अलावा, डमी डेटा के साथ एक सैंपल फाइल भी दी गई है, ताकि आपको मूल फॉर्म भरते समय बेहतर समझ हो।
चूंकि इस फॉर्म को भरते समय कई तकनीकी और औपचारिक पहलू होते हैं, इसलिए यदि आप एक आम आदमी हैं, तो आपके लिए हमारी सलाह होगी कि इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। ऐसा करने से न केवल आपकी दावा प्रक्रिया सरल होगी बल्कि दावा प्रक्रिया में किसी भी त्रुटि से बचना आपके लिए उपयुक्त होगा।
हमें उम्मीद है कि हमारा यह प्रयास आपके लिए एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3816 को समझने में मददगार साबित होगा। लेकिन अगर आपके मन में कोई सवाल है तो आप उपरोक्त वीडियो के कमेंट बॉक्स में या इस लेख के कमेंट बॉक्स में अपने सवाल पूछ सकते हैं।
15 मई 2025
जब किसी परिवार का सदस्य इस दुनिया से विदा लेता है, तो परिवार के लिए उसके जाने का दर्द असहनीय होता है। अब अगर उस सदस्य ने अपने जीवन पर कोई जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी हुई थी, तो ऐसे कठिन समय में परिवार को समझदारी के साथ अपना मानसिक संतुलन बनाये रखकर जरुरी दस्तावेजी प्रक्रियाओं से भी गुजरना पड़ता है। इन जरुरी प्रक्रियाओं में एक सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है- मृतक सदस्य के जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए मृत्यु दावा प्रक्रिया।
एलआईसी की पॉलिसियों में मृत्यु दावा सुचना प्रस्तुतिकरण के कुछ दिनों के बाद ही, निगम भारतीय डाक अथवा किसी दूसरे आधिकारिक माध्यमों से परिवार को कुछ जरुरी दिशानिर्देश एवं फॉर्म जारी करती है। इस दुःखद एवं कठिन समय के बावजूद परिवार के सदस्यों को निगम द्वारा जारी किये गए दिशानिर्देशों का पालन करना होता है और सभी मृत्यु दावा फॉर्म को भी पूर्ण करना जरुरी होता है।
एलआईसी द्वारा प्रस्तुत किये गए मृत्यु दावा फॉर्मो में एक बहुत अधिक महत्वपूर्ण फॉर्म होता है जिसका फॉर्म नंबर 3785 होता है। यह एक ऐसा फॉर्म है जिसका उपयोग लगभग सभी प्रकार के मृत्यु दावा हेतु उपयोग में लिया जाता है। तो जीवन बीमा बाजार के आज के इस लेख के माध्यम से हम एलआईसी के इस फॉर्म को भरने के बारे में विस्तार से जानेंगे।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3785 क्या है
एलआईसी का फॉर्म संख्या 3785 एक बहुत ही महत्वपूर्ण फॉर्म है, जिसका उपयोग एलआईसी पॉलिसी में पॉलिसीधारक के मृत्यु के बाद दावा प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए किया जाता है।
दूसरे आसान शब्दों में कहें तो एलआईसी की पॉलिसी में पॉलिसीधारक के मृत्यु के बाद, पॉलिसी में वर्णित नॉमिनी अथवा क़ानूनी वारिस को जीवन बीमा पॉलिसी की बीमा राशि को प्राप्त करने के लिए दावा प्रस्तुत करना होता है। इस दावे को दर्ज करने के लिए एलआईसी के फॉर्म संख्या 3785 को भी भरना होता है और एलआईसी के सम्बंधित शाखा कार्यालय में जमा करना होता है।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3785 कैसे प्राप्त करें
पॉलिसीधारक की मृत्यु के तुरंत बाद, पॉलिसी में दर्ज नॉमिनी अथवा दावेदार निगम के शाखा कार्यालय में पॉलिसीधारक के मृत्यु की लिखित सुचना आधिकारिक मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ प्रस्तुत करता है। एलआईसी इस सुचना के प्राप्त होते ही मृत्यु दावा पंजीकृत कर लेती है और मृत्यु दावा प्रक्रिया को शुरू करने हेतु नॉमिनी अथवा दावेदार को जरूर दिशा - निर्देश एवं कई तरह के मृत्यु दावा फॉर्म भारतीय डाक अथवा किसी अन्य अधिकारी माध्यमों से पहुँचाती है।
नॉमिनी अथवा दावेदार को एलआईसी से प्राप्त सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना होता है और सभी मृत्यु दावा फॉर्म को भरकर पुनः निगम के शाखा कार्यालय में जमा करना होता है। एलआईसी से मृत्यु दावा प्रक्रिया को पूर्ण करने हेतु कई तरह के मृत्यु दावा फॉर्म प्राप्त होते हैं। इन्ही फॉर्मो में एक फॉर्म 3785 भी होता है।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3785 को डाउनलोड करें
वैसे तो एलआईसी खुद ही नॉमिनी अथवा दावेदार को यह फॉर्म देती है। लेकिन आपके सुविधा को ध्यान में रखते हुए हम इस फॉर्म के पीडीऍफ़ फाइल को आपके साथ साझा कर रहे हैं। आप नीचे दिए हुए बटन पर क्लिक करके इस पीडीऍफ़ फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं और प्रिंट करवाकर मृत्यु दावा प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए इस फॉर्म को उपयोग में ले सकते हैं।
फॉर्म संख्या 3785 को किसके द्वारा भरा जाता है
एलआईसी के फॉर्म संख्या 3785 को "पहचान तथा दफ़नाने या दाह संस्कार का प्रमाण पत्र" भी कहा जाता है। यह फॉर्म किसी ऐसे व्यक्ति के द्वारा भरा जाता है जिसका मृतक पॉलिसीधारक से कोई रक्त सम्बन्ध अथवा करीबी रिश्ता न हो। इस फॉर्म को भरने वाला व्यक्ति पढ़ा लिखा होना चाहिए और मृतक पॉलिसीधारक को अच्छी तरह से जानने वाला होना चाहिए।
उपरोक्त के आलावा सबसे अहम बात यह है कि इस फॉर्म को वही व्यक्ति भर सकता है जो मृतक के अंतिम संस्कार अर्थात दाह संस्कार अथवा दफ़नाने के समय और जगह पर उपस्थित होना चाहिए।
फॉर्म भरते समय ध्यान देने योग्य बातें
एलआईसी के फॉर्म संख्या 3785 को बहुत अधिक सावधानी से ही भरना चाहिए, क्योंकि यह फॉर्म मृत्यु दावा भुगतान में अहम भूमिका निभाता है। फॉर्म को भरते समय कई मत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए, ताकि दावा प्रक्रिया में कोई रूकावट अथवा देरी न हो। इस फॉर्म को भरते समय किन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए, आइये अब इसको जानते हैं।
सटीक और स्पष्ट जानकारी भरें:
एलआईसी के फॉर्म संख्या 3785 में नाम, पता, जन्मतिथि अथवा उम्र, पॉलिसी से जुडी जानकारियां देनी होती है। यह सभी जानकारी पॉलिसी दस्तावेजों और अन्य दस्तावेजों जैसे आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ और बैंक अकाउंट में दी गई जानकारी को ध्यान में रखते हुए ही देना चाहिए।
याद रखें, आपके द्वारा की जाने वाली छोटी सी गलती या अस्पष्टता से मृत्यु दावा रिजेक्ट भी हो सकता है अथवा एलआईसी आपसे कुछ अन्य दस्तावेजों की मांग कर सकती है।
पेन का प्रयोग:
फॉर्म को भरना शुरू करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आप फॉर्म को जिस पेन से भरने जा रहे हैं वह सही प्रकार से कार्य कर रही हो। फॉर्म भरने के लिए हमेसा ब्लू अथवा ब्लैक स्याही की पेन का ही प्रयोग करें और ध्यान रखें कि फॉर्म पर लिखते समय स्याही फैले नहीं। फॉर्म को भरते समय पेन्सिल अथवा लाल/हरे रंग की स्याही का उपयोग न करें।
अधिकृत व्यक्ति ही फॉर्म भरे:
उपरोक्त में विस्तार से बताया गया है कि एलआईसी के इस फॉर्म को कौन भर सकता है, अतः इस बात का ध्यान रखें कि उपरोक्त में बताये अनुसार ही व्यक्ति द्वारा इस फॉर्म को भरा जाना चाहिए। फॉर्म में अलग-अलग हैंड राइटिंग, आपके मृत्यु दावे को बाधित कर सकती है।
दस्तावेजों की जाँच करें:
एलआईसी के इस फॉर्म को भरते समय दो लोगों की जानकारी अहम होती है, पहला वह व्यक्ति जिसके द्वारा इस फॉर्म को भरा जा रहा है और दूसरा मृतक पॉलिसीधारक। हालाँकि इस फॉर्म को भरते समय अथवा भरने के बाद सामान्य रूप में फॉर्म भरने वाले दस्तावजों की मांग नहीं की जाती है, लेकिन इसके बावजूद हमारा सुझाव यही होगा कि फॉर्म भरने वाला व्यक्ति फॉर्म के प्रश्नो के उत्तर स्वम के और मृतक पॉलिसीधारक के निम्नलिखित दस्तावजों को ध्यान में रखते हुए ही फॉर्म को भरे, ताकि अगर भविष्य में दस्तावजों की मांग की जाये तो सत्यापन हो सके।
- मृत्यु प्रमाण पत्र
- पॉलिसी बांड
- पहचान पत्र और पता प्रमाण
- पैन कार्ड
सही स्थान पर हस्ताक्षर करें:
यह फॉर्म जिस व्यक्ति के द्वारा भरा जाता है वही व्यक्ति फॉर्म में दिए गए जरुरी स्थानों पर हस्ताक्षर भी करता है। तो फॉर्म में दिए गए सभी जरुरी स्थानों पर हस्ताक्षर स्पष्ट और एक जैसा ही होना चाहिए।
हम सलाह देंगे कि हर संभव प्रयास करें कि यह फॉर्म किसी पढ़े लिखे व्यक्ति के द्वारा ही भरा जाये, ताकि भविष्य में क्लेम प्रक्रिया में कोई दिक्क्त न हो। लेकिन अगर ऐसा बिलकुल भी संभव न हो, तो ऐसी स्थिति में यह फॉर्म किसी अनपढ़ व्यक्ति के अंगूठा निशान के साथ भी भरवाया जा सकता है। बशर्ते कि यह फॉर्म उसके सामने किसी अन्य व्यक्ति (गवाह) के द्वारा भरा गया हो।
जब यह फॉर्म एक अनपढ़ व्यक्ति के द्वारा भरा जाता है तो सभी जरुरी स्थानों पर उसका अंगूठा निशान लिया जाता है। इसके साथ ही वह व्यक्ति जिसने इस फॉर्म को भरा है, का हस्ताक्षर गवाह के तौर पर किया जाना बेहद जरुरी हो जाता है। ध्यान रखें, जरुरत पड़ने पर एलआईसी इन दोनों ही लोगों से जाँच पड़ताल कर सकती है।
फॉर्म जमा करने से पहले दोबारा जाँच करे:
एलआईसी के सभी मृत्यु दावा फॉर्म को कम्पलीट कर लेने के बाद और एलआईसी के शाखा कार्यालय में जमा करने से पहले, हमारी सलाह होगी कि इस फॉर्म को एक बार बारीकी से जरूर जाँच कर लें। बेहतर होगा कि सभी कम्पलीट रूप से भरे हुए फॉर्म की फोटो स्टेट कॉपी अथवा स्कैन की हुई इमेज अपने पास जरूर रखें।
एक्सपर्ट की मदद लें:
हम इस लेख के जरिये एलआईसी के इस फॉर्म को भरने की सम्पूर्ण जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं। लेकिन मृत्यु दावा प्रक्रिया में यह फॉर्म बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है एक छोटी सी गलती भी आपके दावे के लिए विलम्ब का कारण हो सकती है अथवा इसके कारण आपका दावा निरस्त भी हो सकता है।
अतः आपके लिए हमारी सलाह होगी कि इस फॉर्म को किसी एक्सपर्ट की मौजूदगी में ही भरें। आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए मैं नीचे एक लिंक बटन साझा कर रहा हूँ आप इस पर क्लिक करके अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट एलआईसी एजेंट के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3785 को कैसे भरें?
एलआईसी मृत्यु दावा प्रक्रिया में एलआईसी के फॉर्म संख्या 3785 को भरना एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। इस फॉर्म को सावधानीपूर्वक और सटीक जानकारी के साथ पूर्ण करना चाहिए। ताकि मृत्यु दावा बिना किसी रूकावट के स्वीकृत हो जाये। एलआईसी के इस फॉर्म को कैसे भरा जाता है इसकी सम्पूर्ण जानकारी चरण बद्ध स्वरुप में प्रस्तुत किया जा रहा है। एलआईसी फॉर्म संख्या 3785 में सभी प्रश्न को नीचे बोल्ड अक्षरों में दिखाया गया है और विवरण आगे दिया जा रहा है।
- मृतक पॉलिसीधारक का विवरण: इस फॉर्म में सबसे पहले मृतक पॉलिसीधारक का विवरण दिया जाता है। सबसे पहले आपको इस फॉर्म में मृतक पॉलिसीधारक का नाम और उसका पॉलिसी नबंर लिखना होता है।
- मृतक का पूरा नाम: यहाँ पर आपको मृतक पॉलिसीधारक का पूरा नाम लिखना होता है। पॉलिसीधारक का नाम उसके जीवन बीमा पॉलिसी के अनुसार ही लिखें।
- मृतक के पिता का पूरा नाम: अब आपको चाहिए कि आप मृतक पॉलिसीधारक के पिता का नाम उसके आधार कार्ड, स्कूल सर्टिफिकेट अथवा ऐसे दस्तवेजो के आधार पर ही लिखें, जिसको मृत्यु दावा फॉर्म के साथ सबमिट करना हो।
- आप मृतक को कब से जानते हैं: इस उत्तर में आपको बताना होता है कि आप मृतक पॉलिसीधारक को कितने समय से जानते थे। तो वास्तव में आप मृतक पॉलिसीधारक को जितने समय से जानते हों, लिखें। यह उत्तर अनुमानित लेकिन प्रमाणित होना चाहिए। ऐसा न हो कि जाँच में पकड़ लिया जाये कि आप पिछले दिनों में उस क्षेत्र में रहते ही नहीं थे और उन दिनों को भी आपने यहाँ पर शामिल कर लिया है।
- क्या वह आपसे सम्बंधित था: इस प्रश्न का उत्तर मित्र, पडोसी अथवा नहीं शब्द हो सकता है। क्योकि इस फॉर्म की शर्त यह है कि यह फॉर्म मृतक के रक्त सम्बन्धियों और नज़दीकी रिश्तेदारों द्वारा नहीं भरा जाना चाहिए, अतः इस प्रश्न का यही उत्तर सर्वोत्तम हो सकता है।
- मृत्यु की तिथि एवं समय: इस प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले आपको आधिकारिक मृत्यु प्रमाण पत्र की जाँच करनी चाहिए और सत्यता से मिलान करना चाहिए। यदि यह दोनों ठीक है तभी फॉर्म को भरना चाहिए। यदि दोनों ही ठीक है तब इस प्रश्न का उत्तर अनुमान के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए। कहने का अर्थ है कि तारीख को स्पष्ट लिखें लेकिन समय को लगभग शब्द के साथ लिखें, जैसे लगभग सायं 5 बजे।
- मृत्यु का कारण: इस प्रश्न का उत्तर भी आधिकारिक मृत्यु प्रमाण पत्र में दिया गया होता है अतः मृत्यु प्रमाण पत्र की जाँच करें और वास्तविकता से मिलान करें। अगर दोनों ठीक है तो मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर ही मृत्यु का कारण लिखें अन्यथा फॉर्म को न भरे।
- मृत्यु का स्थान: इस प्रश्न का उत्तर भी आधिकारिक मृत्यु प्रमाण पत्र में दिया गया होता है अतः मृत्यु प्रमाण पत्र की जाँच करें और वास्तविकता से मिलान करें। अगर दोनों ठीक है तो मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर ही मृत्यु का स्थान लिखें अन्यथा फॉर्म को न भरें।
- बीमारी की अवधि: यदि मृतक पॉलिसीधारक कुछ अवधि से बीमार चल रहा था तो आपके जानकारी के अनुसार उसके बीमारी की अवधि क्या थी, आपको बताना होता है। दुर्घटना के मामले में इसका उत्तर बीमार नहीं थे अथवा तत्काल मृत्यु जैसे उत्तर लिखे जा सकते हैं। इस प्रश्न का उत्तर अलग अलग स्थिति में अलग अलग हो सकता है।
- मृतक के शरीर का कोई पहचान चिन्ह अथवा शारीरिक विशेषता: यहाँ पर आपको अगर याद हो तो उनके शरीर का कोई बर्थ मार्क लिखना चाहिए अथवा इस प्रश्न के उत्तर में आपको लिखना चाहिए- "मुझे मृतक का कोई पहचान चिन्ह याद नहीं है", बेहतर होगा परिवार के सदस्यों से पहचान चिन्ह पूछकर लिख दें।
ऐसे मामलों में, जब मृतक पॉलिसीधारक का पोस्ट मॉर्डम किया गया हो तब आपको उसके इस रिपोर्ट की जाँच कर लेना चाहिए और इसी आधार पर इस प्रश्न का उत्तर नोट करना चाहिए। - क्या वह लम्बा/नाटा या साधारण कद का था: इस प्रश्न का उत्तर मृतक पॉलिसीधारक के शारीरिक बनावट के अनुसार होना उचित होता है। इस प्रश्न का सर्वोत्तम उत्तर "साधारण कद" होता है।
- क्या वह मोटा/दुबला या साधारण था: इस प्रश्न का उत्तर भी मृतक पॉलिसीधारक के शारीरिक बनावट के अनुसार होना उचित होता है। हालाँकि इस प्रश्न का सर्वोत्तम उत्तर "साधारण" होता है।
- मृत्यु के समय अनुमानित आयु: इस प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले आपको मृतक पॉलिसीधारक के पॉलिसी बांड एवं मृत्यु प्रमाण पत्र की जाँच करनी चाहिए। पॉलिसी बांड में मृतक पॉलिसीधारक की जन्मतिथि लिखी होती है। इस जन्मतिथि से गणना करते हुए मृतक पॉलिसीधारक की अनुमानित आयु लिखना चाहिए।
- मृत्यु से ठीक पहले मृतक का व्यवसाय: इस प्रश्न का उत्तर अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग हो सकता है। अगर मृतक अपना खुद का कारोबार करता हो तो वह जो भी कार्य करता रहा हो उसका विवरण लिखना चाहिए और उसके कार्यस्थल का पूरा पता नोट करना चाहिए। लेकिन अगर वह किसी कंपनी में काम करता हो तो कंपनी में उसका पद और कंपनी का पूरा पता लिखना चाहिए।
- मृतक का पिछला व्यवसाय: अगर आपकी जानकारी में मृतक पॉलिसीधारक अपने जीवन काल में उपरोक्त में वर्णित व्यवसाय के आलावा भी कुछ अन्य कार्य करता रहा हो, तो ऐसे स्थिति में उपरोक्त कार्य के ठीक पहले के कार्य का विवरण उसके पते के साथ लिखना चाहिए। अगर ऐसा न हो तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में लिखना चाहिए- "मैंने मृतक को सिर्फ उपरोक्त कारोबार अथवा कार्य करते हुए ही देखा है।"
- आपने आखिरी बार उसे जीवित कब देखा था: इस प्रश्न का उत्तर आपको स्वम के आधार पर देना होता है। आपने मृतक पॉलिसीधारक को अंतिम बार जब भी जीवित देखा हो वह तारीख लिख देना चाहिए। यदि तारीख स्पष्ट न हो तो "लगभग या शायद" शब्द का उपयोग करते हुए तारीख लिखना चाहिए।
- क्या आपने मृत्यु के बाद शरीर देखा था: अगर आपने मृतक पॉलिसीधारक को उसके मृतक शरीर को खुले रूप में देखा हो तब इसका उत्तर हाँ में लिखें अन्यथा इसका उत्तर नहीं लिख दें।
- शव को दफनाया या दाह संस्कार किया गया: वास्तविक स्थिति के अनुसार इस प्रश्न का उत्तर लिखें।
- दफनाने या दाह संस्कार का समय और तारीख: इस प्रश्न के उत्तर में तारीख को स्पष्ट रूप में लिखना चाहिए, लेकिन समय को लगभग शब्द के साथ लिखना ज्यादा श्रेष्ठ होता है।
- दफनाने/दाह संस्कार के स्थान का नाम और पता: मृतक पॉलिसीधारक को जहाँ कहीं भी दफनाया अथवा दाह संस्कार किया गया हो, उस जगह का नाम और पूरा पता स्पष्टता के साथ लिखना चाहिए।
- क्या आप शरीर के अंतिम संस्कार में उपस्थित थे: याद रखिये, इस प्रश्न का उत्तर हमेसा हाँ में होना चाहिए। यदि प्रश्न का उत्तर नहीं लिख दिया जाता है तो दावा प्रक्रिया बाधित हो सकती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप गलत तरीके से इस प्रश्न के उत्तर को हाँ में लिखते है और जाँच के दौरान गलत पाया जाता है, तो निगम आपके ऊपर क़ानूनी कार्यवाही भी कर सकता है।
- क्या आप जानते हैं कि मृतक के जीवन का बीमा निगम द्वारा किया गया था: चुकी यह प्रश्न वर्तमान स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है अतः वर्तमान स्थिति में जब आप इस फॉर्म को भर रहे हैं तो आपको यह पता हो ही जाता है कि मृतक के जीवन पर जीवन बीमा पॉलिसी है। अतः इस प्रश्न का उत्तर भी हाँ में ही लिखा जाना चाहिए।
उपरोक्त विवरण पूर्ण सावधानी से भरने के बाद आपको चाहिए कि फॉर्म में उचित स्थान पर अपना हस्ताक्षर कर देना चाहिए।
एलआईसी फॉर्म संख्या 3785 (डमी डेटा सहित सैंपल पीडीएफ) डाउनलोड करें
यदि आप भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में एक एजेंट, सीएलआईए अथवा विकास अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं तो यह आवश्यक हो जाता है कि आपको एलआईसी फॉर्म संख्या 3785 को भरने की सटीक जानकारी हो। चुकी मृत्यु दावे में यह फॉर्म बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, अतः दावेदार के सही मार्गदर्शन के लिए इसका व्यवहारिक ज्ञान होना बहुत जरुरी हो जाता है।
आपकी इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, हमने आपके लिए डमी डाटा के साथ एक सैंपल फाइल तैयार की हुआ है। मुझे यह पूरा भरोषा है कि यह सैंपल फाइल न केवल आपके प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन में सहायक होगा, बल्कि जब आप आपने पॉलिसीधारकों को मृत्यु दावा प्रक्रिया समझा रहे होंगे, तब यह फाइल आपके लिए एक रिफरेंस टूल के रूप में कार्य करेगा।
इस सैंपल पीडीऍफ़ फाइल को डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए हुए बटन पर क्लिक कीजिये।
निष्कर्ष
एलआईसी का फॉर्म संख्या 3785, मृत्यु दावे के लिए एक बहुत ही जरुरी दस्तावेज होता है। एलआईसी के इस फॉर्म को बहुत अधिक सावधानी और सटीकता के साथ भरना चाहिए। हमें यह पूर्ण विश्वास है कि इस लेख में दिए गए दिशा-निर्देश, चरण-दर-चरण दी गई प्रक्रिया और इस फॉर्म की सैंपल फाइल से आपको न केवल इस फॉर्म को भरने के बारे में व्यवहारिक जानकारी प्राप्त होगी बल्कि आप यह भी समझ पाएंगे कि दावा प्रक्रिया को कैसे अधिक सरल बनाया जा सकता है।
मुझे यह भी विश्वास है कि मेरा यह लेख एलआईसी एजेंटो, विकास अधिकारीयों और सीएलआईए के लिए प्रशिक्षण का माध्यम बनेगी, तो दूसरी ओर आपके ग्राहकों को बेहतर सर्विस प्रदान करने के लिए मददगार भी साबित होगी। हमारा सुझाव होगा कि आप इस लेख के लिए को सेव करके जरूर रख लें और अपने सहकर्मियों के साझा भी जरूर करें, ताकि आप और आपके साथी जरूरत पड़ने पर इसका लाभ प्राप्त कर सकें।
फॉर्म संख्या 3785 भरने की पूरी जानकारी (वीडियो में)
एलआईसी के फॉर्म संख्या 3785 को बहुत ही सावधानी से भरा जाना बहुत जरुरी होता है। क्योकि इस फॉर्म में की गई छोटी सी गलती भी आपके दावा प्रक्रिया को अधिक धीमा कर सकती है अथवा निरस्त भी कर सकती है। इस फॉर्म की अधिक स्पष्टता के लिए हम आपके साथ एक वीडियो साझा कर रहे हैं और बहुत अधिक जोर देकर कहना चाहते हैं कि फॉर्म को भरने की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले पूरी वीडियो को ध्यान से जरूर देखें। महत्वपूर्ण बिन्दुओ को नोट करे फिर फॉर्म भरना शुरू करें।