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जीवन बीमा पॉलिसियों का मूल उद्देश्य परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। लेकिन हर परिवार के लिए यह बहुत मुश्किल समय होता है जब परिवार का कोई सदस्य हमेशा के लिए इस दुनिया से चला जाता है। ऐसे मुश्किल समय में परिवार के सदस्यों को अपनी भावनाओं पर काबू रखना चाहिए और बिना किसी देरी के जल्द से जल्द वित्तीय मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। खासकर तब जब मृतक सदस्य के जीवन पर जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी गई हो।

ऐसे मुश्किल समय में जीवन बीमा पॉलिसियाँ परिवार के भविष्य के लिए वित्तीय रक्षक बन जाती हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) अपने पॉलिसीधारकों के परिवारों को मृत्यु दावा प्रक्रिया के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रयास करता है।

एलआईसी फॉर्म नंबर 3784 को पूरा करना एलआईसी मृत्यु दावा प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फॉर्म को सही तरीके से भरना महत्वपूर्ण है ताकि दावा प्रक्रिया जल्दी पूरी हो सके और मृत्यु दावे का भुगतान आसानी से किया जा सके। जीवन बीमा बाजार के आज के लेख में, हम एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3784 के बारे में सभी जानकारी बहुत विस्तार से प्राप्त करेंगे।

    मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 क्या है

    एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 मृत्यु दावा प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। पॉलिसीधारक के मृत्यु के बाद दावे को प्रमाणित करने के लिए इस फॉर्म का उपयोग किया जाता है। यह फॉर्म उस डॉक्टर अथवा मेडिकल अटेंडेंट के द्वारा भरा जाता है जिसने पॉलिसी धारक का आखरी बार इलाज किया था या मृत घोषित किया था। यही कारण है कि एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 को "मेडिकल अटेंडेंट सर्टिफिकेट" भी कहा जाता है।

    मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 का महत्व

    एलआईसी का मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और मृत्यु के वास्तविक कारणों को समझने में अहम भूमिका अदा करता है। निगम को इस फॉर्म के जरिये मृतक पॉलिसीधारक के मृत्यु के कारण, बीमारी की अवधि, नशे इत्यादि जैसी आदतों एवं अन्य कई महत्वपूर्ण बातों को समझने में मदद मिलती है।

    इस फॉर्म में दी गई जानकरी की मदद से एलआईसी यह समझने का प्रयास करती है कि:

    • क्या पॉलिसी की खरीद बीमारी की अवधि के भीतर तो नहीं हुआ है।
    • क्या पॉलिसी का रिवाइवल बीमारी की अवधि के भीतर तो नहीं हुआ है।
    • क्या जीवन बीमा पॉलिसी का दावा प्राप्त करने के उदेश्य से कोई धोखाधड़ी तो नहीं की जा रही है।
    • क्या मृतक पॉलिसीधारक नशे की लत का शिकार तो नहीं था और मृत्यु का कारण उसकी यह आदत थी।
    • इत्यादि

    एलआईसी फॉर्म संख्या 3784 को कौन भरेगा

    पॉलिसीधारक के मृत्यु से ठीक पहले उसका इलाज जिस डॉक्टर के द्वारा किया जा रहा था अथवा जिस डॉक्टर ने पॉलिसीधारक को मृत घोषित किया था, एलआईसी का फॉर्म संख्या 3784, उस डॉक्टर अथवा मेडिकल अटेंडेट के द्वारा भरवाया जाना चाहिए।

    कई मामलो में पॉलिसीधारक कुछ समय से अथवा कुछ लम्बे समय से बीमार हो सकता है और अपने बीमारी के इलाज के लिए वह किसी डॉक्टर के परामर्श करता है। यदि मृतक पॉलिसीधारक इस स्थिति में था, तो यह फॉर्म उस डॉक्टर से भरवाया जाना चाहिए जिसने उसका आखरी बार इलाज किया था।

    कई मामलों में ऐसा भी हो सकता है कि पॉलिसीधारक की मृत्यु अचानक हो जाती है और जब परिवार के सदस्य डॉक्टर से सम्पर्क करते हैं तो डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देता है। ऐसे में वह डॉक्टर अथवा मेडिकल अटेंडेंट जिसने पॉलिसीधारक को मृत घोषित किया हो, उसके द्वारा इस फॉर्म को भरवाया जाना चाहिए।

    एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म 3784 की पीडीएफ फाइल

    जब पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद नॉमिनी या दावेदार एलआईसी की होम ब्रांच में मृत्यु की सूचना जमा करता है, तो सूचना के साथ ही निगम मृत्यु दावा पंजीकृत कर लेता है और भारतीय डाक विभाग या अन्य आधिकारिक माध्यम से आवश्यक फॉर्म दे देता है। एलआईसी का यह फॉर्म भी अन्य सभी फॉर्म के साथ ही होता है। लेकिन आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए हम आपके साथ एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 की आधिकारिक पीडीएफ फाइल शेयर कर रहे हैं। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं और इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

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    ब्रांच ऑफिस की जानकारी प्राप्त करें

    एलआईसी के इस फॉर्म को भरते समय आपको एलआईसी की होम ब्रांच या सर्विस ब्रांच का नाम और ब्रांच कोड दर्ज करना होगा। होम ब्रांच एलआईसी के उस ब्रांच ऑफिस को कहा जाता है, जहां से जीवन बीमा पॉलिसी जारी की गई थी। लेकिन कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है कि पॉलिसीधारक ने अपने जीवनकाल में ही अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को किसी दूसरे ब्रांच ऑफिस में ट्रांसफर करवा लिया हो। ऐसी स्थिति में ट्रांसफर के बाद पॉलिसी जिस नए ब्रांच ऑफिस में पहुंचती है, उसे सर्विस ब्रांच कहते हैं।

    जीवन बीमा पॉलिसी के मूल पॉलिसी बांड और प्रीमियम रसीद पर एलआईसी शाखा कार्यालय का नाम, पता और कोड नंबर दर्ज होता है। लेकिन इसके बावजूद आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए नीचे एक लिंक बटन आपके साथ शेयर किया जा रहा है। आप इस लिंक पर क्लिक करके एलआईसी के किसी भी शाखा कार्यालय के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

    एलआईसी फॉर्म संख्या 3784 को कैसे भरें

    यहाँ पर आपको यह समझना होगा कि इस फॉर्म का फॉर्म संख्या 3784 होता है और क्लेम फॉर्म B लिखा होता है। आइये अब विस्तार से समझते है कि एलआईसी के इस फॉर्म को कैसे भरा जाता है।

    जैसे ही आप इस फॉर्म को ओपन करते हैं तो सबसे पहले फॉर्म का हेड सेक्शन होता है। हेड सेक्शन में सबसे पहले ब्रांच ऑफिस लिखा होता है और इसके ठीक बाद खाली स्थान में आपको ब्रांच का नाम एवं ब्रांच का कोड नंबर लिखना होता है।

    अब उपरोक्त के बाद फॉर्म के हेड सेक्शन में ही पालिसी नंबर और मृतक पॉलिसीधारक का नाम लिखना होता है। इस हेतु हमारा सुझाव होगा कि पॉलिसी बांड में दर्ज नाम और पॉलिसी नम्बर लिखें।

    अब इसके बाद फॉर्म में अलग-अलग प्रश्न पूछे जाते हैं। तो हम यहाँ पर बारी-बारी से प्रत्येक प्रश्न और उनके संभावित उत्तर और सुझावों को आपके साथ साझा कर रहे हैं।

    प्रश्न 1: मृतक का पूरा नाम, पता एवं व्यवसाय क्या था?

    उत्तर: चुकी यह फॉर्म डॉक्टर के द्वारा भरा जाता है, तो एलआईसी उस डॉक्टर से यह जानना चाहती है कि उनके अनुसार मृतक का पूरा नाम, उसका पता और व्यवसाय क्या था। इस प्रश्न का उदेश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि जिस व्यक्ति का मृत्यु दावा प्रस्तुत किया गया है और जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है, क्या यह दोनों एक ही व्यक्ति है या नहीं।

    डॉक्टर को चाहिए कि इस प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले अस्पताल के दस्तावेजों की जाँच अवश्य कर लें और मृतक का विवरण जाँच कर लें। कई मामलो में, लापरवाही अथवा कुछ गलतियों के कारण नाम इत्यादि में अंतर हो सकता है। ऐसे मामलों के लिए सिर्फ मेरा सुझाव है कि मृतक पॉलिसीधारक के दस्तावेजों के अनुसार उसका नाम इत्यादि दर्ज किया जाना श्रेष्ठ होता है, बशर्ते कि किसी भी तरह से धोखा-धड़ी की संभावना न हो।

    प्रश्न 2(क): मृत्यु के समय उनकी स्पष्ट आयु, जैसा कि अनुमान लगाया जा सकता है

    उत्तर: चुकी इस प्रश्न का उत्तर अनुमान के आधार पर दिया जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद हमारा सुझाव होगा कि यह उत्तर भी पॉलिसी बांड में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर लिखा जाना श्रेष्ठ होता है।

    प्रश्न 2(ख): क्या वह आपसे संबंधित था और यदि हाँ, तो कैसे?

    उत्तर: यदि यह फॉर्म भरने वाला डॉक्टर या मेडिकल अटेंडेंट मृतक पॉलिसीधारक का मित्र, रिश्तेदार या परिवार का सदस्य है, तो यहां संबंध का उल्लेख करना होगा, अन्यथा इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" के रूप में लिखा जा सकता है।

    मुझे लगता है कि इस प्रश्न के माध्यम से एलआईसी यह समझना चाहती है कि फॉर्म में दी गई जानकारी पर कितना भरोसा किया जा सकता है। क्योकि, अक्सर कुछ लोग अपने करीबी लोगों के लाभ के लिए गलत या अधूरी जानकारी दे सकते हैं।

    प्रश्न 2(ग): आपके द्वारा देखे गए किसी भी निशान या शारीरिक विशेषताओं का विवरण

    उत्तर: इस प्रश्न के उत्तर में आपको मृतक पॉलिसीधारक की शारीरिक विशेषताओं और बर्थ मार्क के बारे में जानकारी लिखनी होगी।

    प्रश्न 3(क): मृत्यु का समय

    उत्तर: डॉक्टर को अस्पताल के दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए मृतक पॉलिसीधारक की मृत्यु का सही समय बताना चाहिए। इस समय का उत्तर पोस्टमार्टम रिपोर्ट (यदि कोई हो) को ध्यान में रखते हुए लिखना बेहतर होगा।

    प्रश्न 3(ख): मृत्यु की तिथि

    उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर भी अस्पताल के दस्तावेजों के आधार पर देना उचित होगा। यदि पोस्टमार्टम हुआ है तो इसकी जांच करना उचित होगा।

    प्रश्न 3(ग): मृत्यु का स्थान (सटीक पता दें)

    उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग मृत्यु मामलों में अलग-अलग हो सकता है। ऐसे में यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु अस्पताल में हुई है तो डॉक्टर को अपने अस्पताल का विवरण प्रस्तुत करना चाहिए। लेकिन यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु अस्पताल पहुंचने से पहले हुई है तो ऐसी स्थिति में उसे इस प्रश्न के उत्तर में लिखना चाहिए कि मृत्यु अस्पताल पहुंचने से पहले हुई थी।

    प्रश्न 04(क). मृत्यु का वास्तविक कारण क्या था? (बीमारी या मृत्यु के अन्य कारण को ऐसे शब्दों में परिभाषित करने के अलावा, जैसा आप उचित समझें, कृपया विशिष्ट तकनीकी नाम जोड़ें)

    उत्तर: यहाँ डॉक्टर को चिकित्सा कारणों का उल्लेख करते हुए मृत्यु का वास्तविक कारण बताना होगा। यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु किसी बीमारी के कारण हुई है, तो डॉक्टर को बीमारी का नाम और तकनीकी विवरण देना चाहिए। लेकिन यदि पॉलिसीधारक की मृत्यु आकस्मिक कारणों से हुई है, तो डॉक्टर को सभी कारणों का सटीक उल्लेख करना चाहिए। डॉक्टर को ध्यान रखना चाहिए कि उसके द्वारा दिए गए विवरण आधिकारिक चिकित्सा दस्तावेज के अनुरूप हों।

    उदाहरण: आमतौर पर हृदय संबंधी समस्याओं के कारण होने वाली मृत्यु को हार्ट अटैक कहा जाता है, लेकिन इस प्रश्न के उत्तर में मृत्यु का कारण "हार्ट फेलियर" होगा और इसका तकनीकी नाम "एक्यूट मायोकार्डियल इंफार्क्शन" होगा।

    प्रश्न 04(ख). क्या यह मृत्यु के बाद जांच से पता चला या जीवन के दौरान लक्षणों और उपस्थिति से अनुमान लगाया गया था?

    उत्तर: अलग अलग मृत्यु दावों में, इसका उत्तर अलग अलग हो सकता है। कुछ मामलों में मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम किया जा सकता है, जबकि कई मामलों में जब पॉलिसीधारक किसी सामान्य बीमारी या अन्य सामान्य कारणों से मर जाता है तो पोस्टमार्टम की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मृत्यु का कारण पता चलता है तो उसे स्पष्ट रूप से बताएं। लेकिन यदि बीमारी के लक्षणों से मृत्यु का कारण पता चलता है तो उसे बताएं।

    प्रश्न 04(ग). अपनी मृत्यु से पहले वह कितने समय से इस बीमारी से पीड़ित था?

    उत्तर: इस प्रश्न के माध्यम से, एलआईसी मृतक पॉलिसीधारक की बीमारी और बीमारी की अवधि के बारे में विस्तार से जानना चाहता है। इस प्रश्न का उत्तर लिखने के लिए, हम आपको एक बार मेडिकल दस्तावेजों की जांच करने की सलाह देंगे। यदि आपके पास सटीक डेटा उपलब्ध है, तो बीमारी के पहले निदान की तारीख और अंतिम उपचार की तारीख को नोट करना चाहिए। यदि बीमारी का इलाज लंबी अवधि से चल रहा था और सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है, तो अनुमानित अवधि नोट करें (उदाहरण के लिए: हृदय रोग का इलाज 6 महीने पहले हुआ था)।

    प्रश्न 04(घ). बीमारी के लक्षण क्या थे?

    उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर देते समय, डॉक्टर को उन सभी लक्षणों का उल्लेख करना चाहिए जो मृतक पॉलिसीधारक को बीमारी के दौरान थे और इसके स्पष्टीकरण में चिकित्सा शब्दावली का उपयोग करना बेहतर है।

    उदाहरण: सीने में तेज दर्द, सांस लेने में कठिनाई, अत्यधिक थकान और पसीना आना, रक्तचाप में अनियमितता

    प्रश्न 04 (ङ). मृतक द्वारा पहली बार कब देखा गया था?

    उत्तर: चूंकि अधिकांश मामलों में डॉक्टर मरीज को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता है, ऐसे मामलों में डॉक्टर केवल इलाज के दौरान ही मरीज से मिलता है। इसलिए हम आपको सुझाव देंगे कि आप यहां इलाज शुरू होने की दर्ज तारीख (जो रिकॉर्ड में उपलब्ध है) को नोट कर लें। अगर तारीख स्पष्ट नहीं है, तो अनुमानित समय भी लिखा जा सकता है।

    लेकिन ऐसे मामलों में, जब डॉक्टर मृतक पॉलिसीधारक को व्यक्तिगत रूप से जानता हो या मृतक पॉलिसीधारक का पारिवारिक डॉक्टर था, तो आपको स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि आप मृतक पॉलिसीधारक को कब से जानते थे।

    प्रश्न 04(च). बीमारी के दौरान आपसे पहली बार किस तारीख को परामर्श लिया गया था?

    उत्तर: डॉक्टर को मृतक पॉलिसीधारक का उपचार शुरू होने की तारीख स्पष्ट रूप से लिखनी चाहिए।

    प्रश्न 04(छ). क्या आपने बीमारी के पूरे दौर में उसका इलाज किया? यदि नहीं, तो बताएं कि किस अवधि के दौरान।

    उत्तर: यदि आपने बीमारी के लक्षण शुरू होने से लेकर अंतिम सांस तक मृतक पॉलिसीधारक का इलाज किया है, तो आपको इस प्रश्न का उत्तर "हां" देना चाहिए। लेकिन यदि नहीं, तो आपको यह बताना चाहिए कि आपने कितने समय तक उसका इलाज किया।

    प्रश्न 05(क). क्या उनकी आदतें संयमित और संतुलित थीं?

    उत्तर: इस प्रश्न के माध्यम से, एलआईसी दरअसल डॉक्टर से यह जानना चाहती है कि क्या मृतक पॉलिसीधारक नशा करता था या उसकी कुछ ऐसी आदतें थीं जो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थीं या उसकी मृत्यु का कारण बनीं।

    इस प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले, हमारी आपको सलाह होगी कि आप इस प्रश्न का उत्तर निष्पक्ष तरीके से लिखें। इस प्रश्न का उत्तर यह निर्धारित करेगा कि मृत्यु दावा योग्य है या नहीं। यदि आपकी जानकारी के अनुसार, मृतक पॉलिसीधारक नशा करता था या उसकी कोई ऐसी आदत थी जिसके कारण उसकी मृत्यु हुई, तो इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" होना चाहिए। अन्यथा, इस प्रश्न का उत्तर "हां" होना चाहिए।

    प्रश्न 05(ख). क्या आपके पास कोई कारण या संदेह है कि यह बीमारी असंयमित आदतों के कारण उत्पन्न हुई या बढ़ी?

    उत्तर: यदि आप उपरोक्त प्रश्न 05(क) का उत्तर "नहीं" दे रहे हैं, तो आपको प्रासंगिक विवरण प्रस्तुत करना चाहिए। लेकिन यदि आप उपरोक्त प्रश्न 05(क) का उत्तर "हां" दे रहे हैं, तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में "नहीं" लिखना चाहिए।

    प्रश्न 06: और कौन-कौन सी बीमारियाँ या रोग (i) मृत्यु से पहले मौजूद थे (ii) या वे बीमारियाँ जो मृत्यु के समय भी मौजूद थीं?

    उत्तर: यहाँ एलआईसी यह जानना चाहती है कि मृतक पॉलिसीधारक को मृत्यु से पहले क्या स्वास्थ्य समस्याएँ थीं या वह किन बीमारियों से पीड़ित था। तो यदि आप एक डॉक्टर के तौर पर, मरीज की चिकत्सा किये हैं तो उसका विवरण प्रस्तुत करें।

    यह भी संभव है कि कुछ मामलों में पॉलिसीधारक की अस्पताल पहुँचने से पहले ही मृत्यु हो गई हो। ऐसे में यदि आपके पास इस संबंध में विशेष जानकारी नहीं है, तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में लिखना चाहिए - "इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है"

    प्रश्न 06: ऐसी बीमारी या रोग का विवरण दें जिसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल हो:

    • पहली बार कब देखा गया?
    • किसने इलाज किया?
    • किसने आपको यह जानकारी दी?

    उत्तर: प्रश्न संख्या 6 दो भागों में है। इस दूसरे भाग में एलआईसी यह जानना चाहती है कि अगर मृतक पॉलिसीधारक को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी थी, तो वह समस्या या बीमारी आपके संज्ञान में कब आई। इसके बाद आपको यह बताना है कि इलाज करने वाले डॉक्टर का क्या नाम था, तो यहाँ पर आपको अपना नाम लिखना होता है। इसके बाद आपको यह बताना है कि बीमारी के बारे में किसने बताया, तो अगर मरीज (मृत पॉलिसीधारक) ने खुद समस्या बताई तो उसका नाम लिखें अन्यथा उस व्यक्ति का नाम लिखें जिससे आपको बीमारी के बारे में जानकारी मिली।

    प्रश्न 07(क): क्या मृतक का अंतिम बीमारी के दौरान किसी अन्य डॉक्टर या अस्पताल में इलाज हुआ था? अगर हाँ, तो उनके नाम और पते बताइए।

    उत्तर: कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि पहले मरीज का किसी अस्पताल में ईलाज चल रहा होता है। लेकिन जब उसको स्वास्थ्य लाभ नहीं होता अथवा उसके स्वास्थ्य की कंडीशन ख़राब होती जाती है तो वह अस्पताल मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में रिफर कर देता है। बाद में जहाँ पर उस मरीज की मृत्यु हो जाती है।

    अलग-अलग मामलों में अलग-अलग संभावनाएं हो सकती हैं। लेकिन मैं आपका ध्यान मूल विषय पर ही केंद्रित रखना चाहता हूँ। अब आप उपरोक्त संभावना में कोई भी डॉक्टर हो सकते हैं। तो अगर आपके अस्पताल से मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में ट्रांसफर किया गया था, तो आपको उस अगले अस्पताल का पूरा नाम और पता लिखना होता है।

    लेकिन अगर आपके पास मरीज ट्रांसफर होकर आया था, तब आपको पूर्व के अस्पताल का पूरा नाम एवं पता लिखना होता है। अगर ऐसा नहीं है तो इस प्रश्न के उत्तर में "नहीं" लिखा जा सकता है।

    प्रश्न 07(ख): क्या आपके साथ परामर्श में किसी अन्य डॉक्टर ने भी मरीज का इलाज किया था? अगर हाँ, तो उनके नाम और पते बताइए।

    उत्तर: कुछ मामलों में यह संभव है कि मरीज के उपचार के दौरान आपने डॉक्टर के तौर पर किसी अन्य डॉक्टर से सलाह ली हो या चिकित्सा प्रक्रिया में आपके साथ अन्य डॉक्टर जुड़े हों। अगर ऐसा है तो संबंधित अन्य डॉक्टरों के नाम और पते लिखने होंगे। अगर ऐसा नहीं है तो इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" लिखा जा सकता है।

    प्रश्न 08(क): क्या आप मृतक के नियमित चिकित्सक थे?

    उत्तर: इस प्रश्न के माध्यम से एलआईसी आपसे (डॉक्टर) यह जानना चाहता है कि क्या आप मृतक पॉलिसीधारक का लंबे समय से इलाज कर रहे थे। यदि हाँ, तो आपको इस प्रश्न का उत्तर "हाँ" में देना चाहिए और यदि नहीं, तो आपको इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" में देना चाहिए।

    प्रश्न 08(ख): यदि हाँ, तो कितने समय से?

    उत्तर: यदि आपने प्रश्न संख्या 08(क) का उत्तर "हाँ" में दिया है, तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में यह बताना होगा कि आप कितने समय से मृतक पॉलिसीधारक का इलाज कर रहे थे। यह उत्तर लिखते समय आपको मरीज के दस्तावेजों की जांच करनी चाहिए।

    लेकिन यदि आपने प्रश्न संख्या 08(क) का उत्तर "नहीं" में दिया है, तो आपको इस प्रश्न के उत्तर में "लागू नहीं" लिखना चाहिए।

    प्रश्न 08(ग): यदि नहीं, तो मृतक के नियमित चिकित्सक का नाम और पता बताइए।

    उत्तर: यदि प्रश्न 08 (क) का उत्तर "नहीं" है, तो आपको यह बताना होगा कि मृतक पॉलिसीधारक का इलाज पहले कौन सा डॉक्टर कर रहा था। ऐसे में संभव है कि आप उसके बारे में जानते हों और यह भी संभव है कि आप इस बारे में नहीं जानते हों।

    यदि आप मृतक पॉलिसीधारक के नियमित डॉक्टर के बारे में जानते हैं, तो उसका पूरा नाम और पता लिखें। लेकिन यदि आप उसके बारे में नहीं जानते हैं, तो आप पॉलिसी के नॉमिनी से पूछकर यह जानकारी दे सकते हैं या यह भी लिख सकते हैं कि "मुझे मृतक पॉलिसीधारक के नियमित डॉक्टर के बारे में जानकारी नहीं है।"

    यदि आप नॉमिनी से पूछकर जानकारी लिखते हैं, तो फॉर्म में जानकारी इस प्रकार लिखें - "नॉमिनी के अनुसार नियमित डॉक्टर का नाम और पता ___"

    प्रश्न 09: अंतिम बीमारी से पहले के तीन वर्षों में आपने मृतक का किस-किस बीमारी के लिए इलाज किया था और कब किया था?

    उत्तर: अलग-अलग मामलों में यहां दो संभावनाएं हो सकती हैं। पहली संभावना यह हो सकती है कि आपने मृतक पॉलिसीधारक का पहले कभी इलाज नहीं किया हो और उसने पहले कभी आपसे संपर्क नहीं किया हो। अगर ऐसा है, तो आपके लिए इस सवाल के जवाब में "मैंने पहले कभी किसी का इलाज नहीं किया है" लिखना उचित होगा।

    लेकिन अगर आपने पिछले तीन सालों में मृतक पॉलिसीधारक का इलाज किया है, तो आपके लिए इस बारे में जानकारी देना ज़रूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में आपको इस सवाल के जवाब में बीमारी का नाम, इलाज की तारीख और इलाज का तरीका बताना चाहिए।

    उदाहरण: 20 जनवरी 2022 को मधुमेह के इलाज के लिए इंसुलिन और उससे जुड़ी दवाएँ दी गईं, 15 मार्च 2023 को उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए एंटीहाइपरटेंसिव दवाएँ दी गईं।

    प्रश्न 10: क्या मृत्यु के संबंध में कोई औपचारिक जांच या पोस्टमॉर्टम किया गया था? अगर हाँ, तो किसने किया और क्या परिणाम रहा?

    उत्तर: अगर मृतक पॉलिसीधारक की औपचारिक जांच या पोस्टमॉर्टम की गई है तो किस संस्था अथवा व्यक्ति के द्वारा किया गया और इसका परिणाम क्या था विस्तार से लिखें। यदि पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ है तो इस प्रश्न का उत्तर "नहीं" लिखें।

    प्रश्न 11: क्या आपके पास इस दावे से संबंधित मृतक की बीमारियों, आदतों, जीवन शैली आदि के बारे में कोई अन्य जानकारी देने या टिप्पणी करने के लिए है?

    उत्तर: यहाँ दो संभावनाएँ हो सकती हैं। पहली संभावना यह है कि आप मृतक पॉलिसीधारक को बहुत अच्छी तरह से जानते थे और दूसरी संभावना यह है कि आप उसे नहीं जानते थे। इसलिए इन दोनों संभावनाओं का उत्तर अलग-अलग होगा।

    यदि आप मृतक पॉलिसीधारक को अच्छी तरह से जानते थे तो आपका उत्तर कुछ इस तरह हो सकता है: "मृत पॉलिसीधारक संयमित और सरल जीवनशैली जीता था, वह किसी भी तरह के नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करता था। वह आम तौर पर अच्छे स्वास्थ्य में था, लेकिन मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से पीड़ित था और मेरी जानकारी के अनुसार वह अमुक अस्पताल के डॉ. एक्स से इसके लिए नियमित उपचार करवा रहा था।"

    यदि आप मृतक पॉलिसीधारक को अच्छी तरह से नहीं जानते थे तो आपका उत्तर कुछ इस प्रकार से हो सकता है: "हमारे पास मृतक के जीवन शैली के विषय में बहुत ही सिमित जानकारी है। मेरी जानकारी के अनुसार शायद वह सिगरेट का सेवन करते थे। हालाँकि अंतिम बीमारी के दौरान कोई विशेष नशीली आदत का प्रमाण नहीं मिला है।"

    कृपया ध्यान दें: मैंने उपरोक्त सभी प्रश्नों के उत्तर अपने विवेक से लिखे हैं और यह एक प्रशिक्षक के रूप में फॉर्म को समझने के उद्देश्य से है। जबकि यह फॉर्म किसी डॉक्टर द्वारा मेडिकल टर्म्स का उपयोग करके लिखा जाना चाहिए।

    हम यहाँ यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह फॉर्म बहुत महत्वपूर्ण है और मृत्यु दावे को पूरी तरह से प्रभावित करता है। इसलिए इस फॉर्म को भरते समय निष्पक्ष रहना और सटीक जानकारी देना बहुत जरूरी है। इस जानकारी को केवल एक समझ के रूप में लिया जाना चाहिए। हम किसी भी तरह से और किसी भी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। इसलिए फॉर्म भरते या भरवाते समय अपने विवेक का इस्तेमाल करें।

    फॉर्म 3784 भरते समय बरतें सावधानियां:

    एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 भरते समय निम्नलिखित सावधानियां अवश्य बरती जानी चाहिए।

    • यह फॉर्म उस डॉक्टर या मेडिकल अटेंडेंट द्वारा भरा जाना चाहिए जिसने पॉलिसीधारक का मृत्यु से पहले अंतिम बार उपचार किया हो या उसे मृत घोषित किया हो।
    • फॉर्म में पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर पूरी निष्पक्षता, सटीकता और स्पष्टता के साथ दिए जाने चाहिए।
    • फॉर्म भरते समय नीली या काली स्याही वाली अच्छी कलम का उपयोग करना चाहिए और फॉर्म को अलग-अलग कलमों से नहीं भरना चाहिए।
    • फॉर्म में सभी प्रश्नों के उत्तर देते समय संबंधित दस्तावेजों की जांच अवश्य करें। सभी जानकारी लिखते समय अस्पताल द्वारा जारी किए गए मरीज के दस्तावेज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सहायता लेना उचित है।
    • फॉर्म भरने के बाद उचित स्थान पर हस्ताक्षर, मुहर और अन्य संबंधित जानकारी देना आवश्यक है।

    मृत्यु दावा फॉर्म संख्या 3784 की सैंपल फाइल

    इस लेख के माध्यम से हमारा प्रयास आपको फॉर्म भरने के बारे में पूरी जानकारी देने का रहा है। लेकिन अगर आप एलआईसी एजेंट हैं, तो मृत्यु दावा प्रक्रिया में कई कारणों से आपको उलझन हो सकती है। इसलिए, हमने डमी डेटा के साथ इस फॉर्म की एक सैंपल फाइल तैयार की है।

    आप नीचे दिए गए लिंक बटन पर क्लिक करके एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3784 की इस सैंपल फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं और इसका इस्तेमाल आधिकारिक फॉर्म भरने में मदद पाने के लिए कर सकते हैं।

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    जीवन बीमा एजेंट बनकर अपना व्यवसाय शुरू करें

    हम यह अच्छी तरह समझते हैं कि जब परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार को कई तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्योंकि, रोजगार की समस्या एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में रोजगार शुरू करने के लिए जीवन बीमा एजेंसी आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है।

    अगर आप जीवन बीमा एजेंसी का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो आपको जीवन बीमा कंपनी के उस अधिकारी से संपर्क करना होगा, जिसके पास एजेंट नियुक्त करने का अधिकार होता है। इसलिए, आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए, हम आपके साथ एक लिंक बटन शेयर कर रहे हैं। इसकी मदद से आप अपने ही इलाके के अधिकारी से संपर्क करके जीवन बीमा एजेंसी लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

    वीडियो में एलआईसी फॉर्म 3784 भरने की जानकारी

    हालाँकि इस लेख में हमने एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3784 भरने के बारे में विस्तार से पूरी जानकारी दी है और एक सैंपल पीडीऍफ़ फ़ाइल भी शेयर की है। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरा यह प्रयास आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

    चूँकि यह फॉर्म मृत्यु दावा प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक छोटी सी गलती आपके दावे को जटिल बना सकती है और उसे खारिज भी करवा सकती है। इसलिए फॉर्म को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमने एक वीडियो तैयार किया है। मेरा सुझाव है कि फॉर्म भरने से पहले आप एक बार इस पूरे वीडियो को ध्यान से देखें।

    निष्कर्ष

    एलआईसी मृत्यु दावा फॉर्म नंबर 3784 एक बहुत ही महत्वपूर्ण फॉर्म है और मृत्यु दावे के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख के माध्यम से हमने फॉर्म नंबर 3784 से संबंधित सभी जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने का तरीका, डॉक्टर या मेडिकल अटेंडेंट की जिम्मेदारी और दावा प्रक्रिया में इस फॉर्म के महत्व को विस्तार से समझाने का प्रयास किया गया है।

    मुझे उम्मीद है कि हमारा यह प्रयास आपके लिए मददगार साबित होगा। लेकिन फिर भी संभव है कि आपके मन में कुछ सवाल हों। यदि हां, तो कृपया अपने प्रश्न उपरोक्त वीडियो के कमेंट बॉक्स में या इस लेख के कमेंट बॉक्स में लिखें।